"आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।"
"इस प्रकार परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में उत्पन्न किया; परमेश्वर के स्वरूप में उसने उसे उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने उन्हें उत्पन्न किया।"
और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवता प्राणी बन गया।
"आकाश परमेश्वर की महिमा का वर्णन करता है; और आकाशमण्डल उसकी हाथों की कारीगरी दिखाता है।"
"यहोवा के वचन से आकाश बनाए गए, और उसके मुख की श्वास से उनके समस्त गण।"
हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है।
"क्या तुम नहीं जानते? क्या तुमने नहीं सुना? यहोवा सनातन परमेश्वर है, समस्त पृथ्वी का रचयिता है। वह न थकता है और न श्रमित होता है, और उसकी समझ का कोई माप नहीं।"
क्योंकि यहोवा जो आकाश का सृजनहार है, वही परमेश्वर है; उसी ने पृथ्वी को रचा और बनाया, उसी ने उसको स्थिर भी किया; उसने उसे सुनसान रहने के लिये नहीं परन्तु बसने के लिये उसे रचा है। वही यों कहता है, मैं यहोवा हूं, मेरे सिवा दूसरा और कोई नहीं है।
"सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ; और उसके बिना कुछ भी नहीं उत्पन्न हुआ, जो उत्पन्न हुआ।"
क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुतांए, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं।
विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्तुओं से बना हो।
"हे हमारे प्रभु और परमेश्वर, तू ही महिमा और आदर और सामर्थ्य के योग्य है, क्योंकि तूने सब वस्तुएं सृजी हैं, और तेरी इच्छा से ही वे थीं और सृजी गईं।"
तू ही अकेला यहोवा है; स्वर्ग वरन सब से ऊंचे स्वर्ग और उसके सब गण, और पृथ्वी और जो कुछ उस में है, और समुद्र और जो कुछ उस में है, सभों को तू ही ने बनाया, और सभों की रक्षा तू ही करता है; और स्वर्ग की समस्त सेना तुझी को दण्डवत करती हैं।
पशुओं से तो पूछ और वे तुझे दिखाएंगे; और आकाश के पक्षियों से, और वे तुझे बता देंगे। 8 पृथ्वी पर ध्यान दे, तब उस से तुझे शिक्षा मिलेगी; ओर समुद्र की मछलियां भी तुझ से वर्णन करेंगी। 9 कौन इन बातों को नहीं जानता, कि यहोवा ही ने अपने हाथ से इस संसार को बनाया है। 10 उसके हाथ में एक एक जीवधारी का प्राण, और एक एक देहधारी मनुष्य की आत्मा भी रहती है।
जब मैं आकाश को, जो तेरे हाथों का कार्य है, और चंद्रमा और तरागण को जो तू ने नियुक्त किए हैं, देखता हूं; तो फिर मनुष्य क्या है कि तू उसका स्मरण रखे, और आदमी क्या है कि तू उसकी सुधि ले?
"आकाश तेरा है, और पृथ्वी भी तेरी है; तूने पृथ्वी को और जो कुछ उसमें है उसे स्थापित किया है।"
समुद्र उसका है, और उसी ने उसको बनाया, और स्थल भी उसी के हाथ का रचा है॥
यहोवा के नाम की स्तुति करें, क्योंकि उसी ने आज्ञा दी और ये सिरजे गए।
ईश्वर जो आकाश का सृजने और तानने वाला है, जो उपज सहित पृथ्वी का फैलाने वाला और उस पर के लोगों को सांस और उस पर के चलने वालों को आत्मा देने वाला यहावो है, वह यों कहता है:
"उसने पृथ्वी को अपनी सामर्थ्य से बनाया, उसने जगत को अपनी बुद्धि से स्थिर किया, और उसने आकाश को अपनी समझ से फैलाया।"
जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्वामी होकर हाथ के बनाए हुए मन्दिरों में नहीं रहता।
क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं।
"यहोवा, तेरा छुड़ानेवाला, जिसने तुझे गर्भ में ही रचा, यह कहता है: मैं यहोवा हूँ, जिसने सब कुछ बनाया, जिसने आकाश को अकेला फैलाया, और जिसने पृथ्वी को फैलाया।"
क्योंकि देश देश के सब देवता मूतिर्यां ही हैं; परन्तु यहोवा ही ने स्वर्ग को बनाया है।
"और उसने उस पर शपथ खाई जो युगानुयुग जीवित रहता है, जिसने आकाश और उसमें की सब वस्तुओं को, और पृथ्वी और उसमें की सब वस्तुओं को, और समुद्र और उसमें की सब वस्तुओं को बनाया है, और कहा कि अब और विलम्ब न होगा।"