शुरुआती मसीहियों का उत्पीड़न: निर्दयी सम्राट और उनके अत्याचार

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यीशु मसीह के अनुयायियों ने शुरुआत से ही कड़ी परीक्षा और उत्पीड़न (Persecution) का सामना किया। यह उत्पीड़न मुख्य रूप से यहूदी धार्मिक नेताओं और रोमन सम्राटों द्वारा किया गया था। प्रारंभिक मसीही समुदाय के लिए यह समय अत्यंत कठिन था, क्योंकि उन्हें अपने विश्वास के कारण क्रूर यातनाएँ झेलनी पड़ीं। इस लेख में हम जानेंगे कि किन-किन सम्राटों ने मसीहियों को सताया और उन्होंने कैसे-कैसे अत्याचार किए।


1. सम्राट नीरो (Nero) – पहला बड़ा मसीही विरोधी

सम्राट नीरो (54-68 ईस्वी) इतिहास के सबसे निर्दयी शासकों में से एक था। उसे मसीहियों से गहरी नफरत थी और उसने उन पर अमानवीय अत्याचार किए।

🔥 मसीहियों को जलाना और यातनाएँ देना

64 ईस्वी में रोम में एक भयानक आग लगी, जिसे लेकर यह संदेह था कि इसे खुद नीरो ने लगवाया था। लेकिन जब जनता नीरो को दोष देने लगी, तो उसने इसका आरोप मसीहियों पर मढ़ दिया। इसके बाद:

  • मसीहियों को जिंदा जला दिया गया और उनकी जलती हुई लाशों को “रोम की रोशनी” कहा गया।
  • उन्हें जंगली जानवरों के सामने फेंक दिया जाता था, ताकि भीड़ उनका तमाशा देख सके।
  • कई लोगों को सूली पर चढ़ाया गया, जिनमें प्रेरित पतरस (Apostle Peter) भी थे, जिन्हें उल्टी क्रूस पर लटकाया गया।
  • प्रेरित पौलुस (Apostle Paul) को भी नीरो के आदेश पर सिर कलम कर मार दिया गया।

2. सम्राट डोमिशियन (Domitian) – खुद को “ईश्वर” मानने वाला शासक

सम्राट डोमिशियन (81-96 ईस्वी) ने मसीहियों को सताने के लिए कठोर नीतियाँ अपनाईं। उसने मसीहियों से कहा कि वे उसे “प्रभु और परमेश्वर” मानें। जिन्होंने इनकार किया, उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया।

  • प्रेरित यूहन्ना (Apostle John) को पतमोस (Patmos) द्वीप पर निर्वासित किया गया, जहाँ उन्होंने प्रकाशितवाक्य (Book of Revelation) लिखी।
  • कई चर्च नेताओं को यातनाएँ देकर मार डाला गया।
  • मसीहियों की संपत्तियों को जब्त कर लिया गया।

3. सम्राट ट्राजन (Trajan) – ईसाई धर्म को अवैध घोषित किया

सम्राट ट्राजन (98-117 ईस्वी) ने आदेश दिया कि मसीही होना अपने आप में एक अपराध है। उसने कहा कि अगर कोई मसीही साबित हो जाए और मसीह को त्यागने से इनकार कर दे, तो उसे मार दिया जाए।

  • इसके तहत चर्चों को जलाया गया और मसीही नेताओं को मौत की सजा दी गई।
  • इग्नाटियस (Ignatius of Antioch) को कोलोसियम में जंगली जानवरों के सामने फेंक दिया गया।
  • प्लिनी द यंगर (Pliny the Younger) नामक गवर्नर ने ट्राजन को पत्र लिखा और मसीहियों के खिलाफ और कड़े कानूनों की माँग की।

4. सम्राट डेसियस (Decius) – मसीहियों का व्यापक उत्पीड़न

सम्राट डेसियस (249-251 ईस्वी) ने आदेश दिया कि सभी रोमन नागरिकों को मूर्तिपूजा करनी होगी।

  • जिन्होंने मूर्तिपूजा करने से इनकार किया, उन्हें जिंदा जलाया गया या जानवरों के सामने डाल दिया गया।
  • बिशप साइप्रियन (Cyprian of Carthage) को मौत के घाट उतारा गया।
  • कई मसीही गुप्त रूप से कब्रों और गुफाओं में जाकर आराधना करने लगे।

5. सम्राट डायोक्लेशियन (Diocletian) – सबसे बड़ा मसीही-विरोधी अभियान

सम्राट डायोक्लेशियन (284-305 ईस्वी) ने सबसे भीषण उत्पीड़न किया, जिसे “महान उत्पीड़न” (Great Persecution) कहा जाता है।

  • मसीहियों की पवित्र पुस्तकों को जलाने का आदेश दिया गया।
  • चर्चों को तोड़ा गया और मसीही धर्म को पूरी तरह समाप्त करने का प्रयास किया गया।
  • हजारों मसीहियों को बेरहमी से मार दिया गया।
  • रोमन सैनिकों को आदेश दिया गया कि वे मसीहियों को पकड़कर जबरन मूर्तिपूजा करवाएँ।
  • संत जॉर्ज (Saint George) और संत लूसिया (Saint Lucia) जैसी महान हस्तियों को यातनाएँ दी गईं और शहीद कर दिया गया।

6. सम्राट मैक्सिमिनस (Maximinus) और गैलरियस (Galerius) – उत्पीड़न का अंत

सम्राट गैलरियस (Galerius) ने 311 ईस्वी में मसीहियों को सताने के अभियान को समाप्त करने का आदेश दिया। उन्होंने एडिक्ट ऑफ टॉलरेंस (Edict of Tolerance) जारी किया, जिसमें मसीहियों को पहली बार धार्मिक स्वतंत्रता दी गई। बाद में 313 ईस्वी में सम्राट कांस्टेंटाइन (Constantine the Great) ने मिलान की उद्घोषणा (Edict of Milan) जारी की और ईसाई धर्म को कानूनी मान्यता दी। यह मसीहियों के लिए एक बड़ी विजय थी।

प्रारंभिक मसीहियों को उनके विश्वास के कारण असीम पीड़ा सहनी पड़ी। लेकिन उनके बलिदान के कारण ही मसीही धर्म आगे बढ़ा और आज पूरे विश्व में इसका प्रचार हो रहा है। ये उत्पीड़न हमें यह सिखाते हैं कि यीशु मसीह में हमारा विश्वास दृढ़ रहना चाहिए, चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएँ।

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