कलीसिया और यीशु मसीह की दूसरी आगमन: एक दिव्य विवाह का रहस्य

  • Home
  • Content
  • Bible Study
  • Doctrines
  • कलीसिया और यीशु मसीह की दूसरी आगमन: एक दिव्य विवाह का रहस्य

यीशु मसीह की दूसरी आगमन (Second Coming) और कलीसिया का उसके साथ मिलन एक अद्भुत और गूढ़ विषय है, जिसे बाइबल में विवाह (Marriage) के रूप में प्रस्तुत किया गया है। प्रकाशितवाक्य (Revelation) और अन्य शास्त्रों में इसे “मेम्ने के विवाह” (Marriage of the Lamb) के रूप में दर्शाया गया है। यह लेख विस्तार से समझाएगा कि यह विवाह क्या है, कलीसिया का यीशु मसीह के साथ पुनर्मिलन कैसे होगा, और दूसरी आगमन के बाद कलीसिया का क्या होगा।


1. कलीसिया: मसीह की दुल्हन

बाइबल सिखाती है कि कलीसिया, जो कि सभी सच्चे विश्वासियों का समूह है, मसीह की दुल्हन है। इफिसियों 5:25-27 में पौलुस इस सच्चाई को प्रकट करते हैं:

हे पतियों, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो, जैसा कि मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम किया और अपने आप को उसके लिए दे दिया। ताकि उसे वचन के जल से धोकर और शुद्ध करके पवित्र बनाए।”

यह संदर्भ स्पष्ट करता है कि मसीह ने कलीसिया को प्रेम किया और उसे पवित्र करने के लिए अपने प्राण दिए। यीशु की दूसरी आगमन पर, यह पवित्र और सिद्ध कलीसिया मसीह से मिलने के लिए तैयार होगी। कलीसिया का यह प्रेमपूर्ण संबंध मसीह के साथ एक आत्मिक और अनंतकालिक एकता का प्रतीक है।

इसके अतिरिक्त, प्रकाशितवाक्य 21:2-3 में नई यरूशलेम को “विवाह के लिए सजी हुई दुल्हन” के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो दर्शाता है कि कलीसिया और मसीह का संबंध कितना पवित्र और विशेष है।


2. मसीह का आगमन और कलीसिया का उद्धार (Rapture)

1 थिस्सलुनीकियों 4:16-17 के अनुसार:

क्योंकि स्वयं प्रभु स्वर्ग से उतरकर, ललकार, प्रधान दूत का शब्द, और परमेश्वर की तुरही के साथ आएगा, और मसीह में मरे हुए पहले जी उठेंगे। तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उनके साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से सदा प्रभु के साथ रहेंगे।”

इस घटना को रैप्चर‘ (Rapture) कहा जाता है, जिसमें कलीसिया को यीशु से मिलने के लिए उठा लिया जाएगा। यह विवाह समारोह के प्रारंभ की तरह है, जहाँ दुल्हन (कलीसिया) अपने दूल्हे (यीशु) से मिलने जाती है।

रैप्चर अचानक और अप्रत्याशित होगा, जैसा कि मत्ती 24:40-41 में वर्णित है:

तब दो जन खेत में होंगे, एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा। दो स्त्रियाँ चक्की पीस रही होंगी, एक ले ली जाएगी और दूसरी छोड़ दी जाएगी।”

यह दिखाता है कि यह घटना कितनी तेज़ और निर्णायक होगी। यह प्रत्येक विश्वासी के लिए जागरूक रहने और प्रभु की वापसी के लिए तैयार रहने की प्रेरणा है।


3. मेम्ने का विवाह (Marriage of the Lamb)

प्रकाशितवाक्य 19:7-9 में यह लिखा है:

हम आनंदित और मगन हों और उसकी महिमा करें, क्योंकि मेम्ने का विवाह आ पहुँचा, और उसकी पत्नी ने अपने आप को तैयार कर लिया है।”

इस विवाह में:

  • कलीसिया मसीह की दुल्हन होगी।
  • स्वर्ग में एक महान भोज (Great Banquet) होगा, जिसे “मेम्ने के विवाह का भोज” कहा जाता है।
  • विश्वासियों को न्यायासन (Judgment Seat of Christ) के सामने खड़ा किया जाएगा और उनके कार्यों का हिसाब लिया जाएगा (2 कुरिन्थियों 5:10)
  • जो विश्वास में दृढ़ और मसीह के प्रति वफादार रहे, वे महिमा के मुकुट पाएंगे।

यह भोज केवल आनंद और उत्सव का समय नहीं होगा, बल्कि यह कलीसिया की विजय और उसकी अनंत संगति का प्रमाण भी होगा।


4. यीशु की दूसरी आगमन के बाद कलीसिया की भूमिका

यीशु जब दूसरी बार आएंगे, तो वे न केवल कलीसिया को अपने पास बुलाएंगे, बल्कि वे पृथ्वी पर न्याय करने और एक नया राज्य स्थापित करने आएंगे। कलीसिया की भूमिका निम्नलिखित होगी:

A. यीशु के साथ सह-राज्य करना

प्रकाशितवाक्य 20:6 कहता है:

धन्य और पवित्र है वह जो इस पहले पुनरुत्थान में भागी है; ऐसे लोगों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं, पर वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे, और उसके साथ एक हजार वर्ष तक राज्य करेंगे।”

इसका अर्थ है कि कलीसिया यीशु के साथ मिलकर सह-राज्य करेगी। यह राज्य मसीह का हज़ार वर्ष का राज्य (Millennial Kingdom) होगा, जहाँ यीशु पृथ्वी पर शासन करेंगे और उनकी धार्मिकता का साम्राज्य स्थापित होगा।

B. महा-संगति और पूर्ण आराधना

स्वर्ग में सभी विश्वासियों को प्रभु की आराधना में भाग लेने का अवसर मिलेगा। प्रकाशितवाक्य 7:9-10 में कहा गया है कि हर जाति, भाषा और देश के लोग परमेश्वर और मेम्ने की आराधना करेंगे। यह आराधना एक शाश्वत संगति होगी, जहाँ कोई दुःख, पीड़ा या मृत्यु नहीं होगी।

C. नए स्वर्ग और नई पृथ्वी में प्रवेश

प्रकाशितवाक्य 21:1-3 में एक नया स्वर्ग और एक नई पृथ्वी की बात की गई है। नयी यरूशलेम, जो कलीसिया का अंतिम निवास स्थान होगी, परमेश्वर की महिमा से भरी होगी और वहाँ कोई दुख, पीड़ा या मृत्यु नहीं होगी।

फिर मैंने एक नया स्वर्ग और एक नई पृथ्वी को देखा… और मैं ने सुना कि सिंहासन में से किसी ने बड़े शब्द से कहा, ‘देखो, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है।‘”

यह एक नई शुरुआत होगी, जहाँ परमेश्वर और उसके लोग अनंतकाल तक एक साथ रहेंगे।


निष्कर्ष

यीशु मसीह की दूसरी आगमन केवल एक न्याय का समय नहीं है, बल्कि यह कलीसिया के लिए महिमा, आनन्द और उसके साथ एक दिव्य विवाह का समय भी है। कलीसिया, जो यीशु की दुल्हन के रूप में प्रस्तुत की गई है, अंततः उससे मिलने के लिए तैयार होगी। यह विवाह परमेश्वर और उसके लोगों के बीच एक शाश्वत संगति को दर्शाता है, जो अनंतकाल तक बनी रहेगी।

प्रमुख बिंदु:

✔️ यीशु की दूसरी आगमन कलीसिया के लिए महिमा और विजय का समय होगा।
✔️ विश्वासियों को रैप्चर (Rapture) के द्वारा उठा लिया जाएगा।
✔️ कलीसिया स्वर्ग में मेम्ने के विवाह में भाग लेगी।
✔️ यीशु के साथ हज़ार वर्ष तक शासन करेगी और अंततः नए स्वर्ग और नई पृथ्वी में प्रवेश करेगी।

हमें जागरूक रहकर, विश्वास में दृढ़ रहकर, और अपने जीवन को पवित्र बनाए रखने के लिए तैयार रहना चाहिए।

प्रेरितों के कार्य पुस्तक में जानें प्रथम कलिसिया का जन्म और मसीही इतिहास
प्रेरितों के काम (Acts) की गहन बाइबल अध्ययन प्रश्नोत्तरी
ईसाई इतिहास के प्रमुख युग और घटनाएँ – कॉन्स्टेंटाइन से सुधार आंदोलन तक
शुरुआती मसीहियों का उत्पीड़न: निर्दयी सम्राट और उनके अत्याचार
कॉन्सटैंटाइन महान: वह सम्राट जिसने ईसाई धर्म का भविष्य बदला
जब आत्मा उतरता है तो क्या बदलाव आते हैं
यीशु मसीह के चेलों की शहादत: कैसे हुई 12 चेलों मृत्यु?
Ecclesiology: बाइबलीय कलीसिया का स्वरूप, उद्देश्य और भूमिका