एक बार की बात है, आदम और हव्वा ने परमेश्वर से प्रार्थना की कि उन्हें एक बच्चा दे. परमेश्वर ने उनकी प्रार्थना सुनी और उन्हें एक बेटा दिया, जिसका नाम उन्होंने हाबिल रखा. कुछ समय बाद, आदम और हव्वा को एक और बेटा हुआ, जिसका नाम उन्होंने काइन रखा.
हाबिल और काइन बड़े होकर बहुत ही अलग-अलग व्यक्ति बन गए. हाबिल एक चरवाहा था और वह बहुत ही शांत और भरोसेमंद था. वह हमेशा परमेश्वर से प्रार्थना करता था और अपने काम में बहुत ही मेहनती था. काइन एक किसान था और वह बहुत ही ईर्ष्यालु और गुस्सैल था. वह हमेशा अपने भाई हाबिल से ईर्ष्या करता था क्योंकि हाबिल परमेश्वर से बहुत प्यार करता था और परमेश्वर भी हाबिल से बहुत प्यार करता था.
एक दिन, हाबिल और काइन ने परमेश्वर को चढ़ावा चढ़ाने का फैसला किया. हाबिल ने अपने चरवाहे के काम से कुछ सबसे अच्छी भेड़ें चुनीं और उन्हें परमेश्वर को चढ़ा दीं. काइन ने भी अपने खेत से कुछ फसल चुनीं और उन्हें परमेश्वर को चढ़ा दीं.
परमेश्वर ने हाबिल का चढ़ावा स्वीकार किया, लेकिन काइन का चढ़ावा नहीं. इससे काइन बहुत क्रोधित हो गया और उसने अपने भाई हाबिल से कहा, “यह क्यों हुआ कि परमेश्वर ने तेरे चढ़ावे को स्वीकार किया और मेरे चढ़ावे को नहीं?”
हाबिल ने कहा, “मैं नहीं जानता। शायद यह इसलिए हुआ क्योंकि मैं हमेशा परमेश्वर से प्रार्थना करता हूं और मैं अपने काम में बहुत मेहनती हूं।”
काइन ने और भी क्रोधित हो गया और उसने अपने भाई हाबिल को मार डाला.
परमेश्वर ने काइन से कहा, “तू ने क्या किया? तेरे भाई का खून पुकार रहा है। तू अब हमेशा के लिए भटकेगा।”
काइन ने परमेश्वर से कहा, “यह बहुत ही बुरा है। मैं अब कहां जाऊंगा?”
परमेश्वर ने कहा, “तू पृथ्वी पर नहीं रह सकता। तू अब हमेशा के लिए भटकेगा।”
काइन ने परमेश्वर से प्रार्थना की, “मुझे माफ कर दो। मैं बहुत ही दुखी हूं।”
परमेश्वर ने कहा, “मैं तुझे माफ कर देता हूं। लेकिन तू अब हमेशा के लिए भटकेगा।”
काइन पृथ्वी पर नहीं रह सका और वह हमेशा के लिए भटकने लगा. वह बहुत ही दुखी था और वह कभी भी अपने भाई हाबिल के लिए माफी नहीं मांग सका.
यह कहानी हमें यह सीख देती है कि हमें हमेशा परमेश्वर की इच्छा के अनुसार जीना चाहिए. हमें अपने भाइयों और बहनों के साथ भी प्यार से रहना चाहिए और उन्हें कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए.
अगर हम ईर्ष्यालु और गुस्सैल हो जाते हैं, तो हम भी काइन की तरह बुरा काम कर सकते हैं. हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि परमेश्वर को प्यार और दया पसंद है. हमें अपने भाइयों और बहनों से प्यार करना चाहिए और उन्हें कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए.