1. भूमिका
मिस्र की दस विपत्तियाँ (10 Plagues of Egypt) बाइबल में निर्गमन 7-12 में वर्णित हैं। ये विपत्तियाँ परमेश्वर ने मिस्र पर भेजीं ताकि फिरौन इस्राएलियों को गुलामी से मुक्त कर दे। ये केवल दंड नहीं थे, बल्कि मिस्र के झूठे देवताओं पर परमेश्वर की सर्वोच्चता को साबित करने का माध्यम भी थे।
निर्गमन 12:12:
“उस रात मैं मिस्र देश में होकर जाऊँगा और मिस्र के देश के सब पहिलौठों को, क्या मनुष्य क्या पशु, घात करूँगा; और मिस्र के सब देवताओं को दण्ड दूँगा, मैं यहोवा हूँ।”
प्रत्येक विपत्ति किसी न किसी मिस्री देवता के विरुद्ध थी, जिससे सिद्ध हो कि केवल यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है।
2. मिस्र की दस विपत्तियाँ और संबंधित मिस्री देवता
# | विपत्ति | बाइबिल संदर्भ | संबंधित मिस्री देवता | देवता की भूमिका |
1 | नील नदी का जल रक्त बना | निर्गमन 7:14-24 | ख्नूम (Khnum), हापी (Hapi), ओसिरिस (Osiris) | नील नदी का रक्षक, उर्वरता और जीवन का देवता |
2 | मेंढकों की विपत्ति | निर्गमन 8:1-15 | हेकत (Heket) | प्रजनन और उर्वरता की देवी, मेंढकों से जुड़ी |
3 | जूँओं की विपत्ति | निर्गमन 8:16-19 | गेब (Geb) | पृथ्वी और धूल का देवता |
4 | मक्खियों की विपत्ति | निर्गमन 8:20-32 | केप्रि (Khepri) | परिवर्तन और पुनर्जन्म का देवता |
5 | पशुओं की महामारी | निर्गमन 9:1-7 | हाथोर (Hathor), अपिस (Apis) | पशुधन और प्रजनन के देवता |
6 | शरीर पर फोड़े | निर्गमन 9:8-12 | सेखमेट (Sekhmet), इम्होटेप (Imhotep) | स्वास्थ्य और उपचार की देवी |
7 | भारी ओलों की वर्षा | निर्गमन 9:13-35 | नुट (Nut), सेत (Seth) | आकाश और मौसम का देवता |
8 | टिड्डियों का आक्रमण | निर्गमन 10:1-20 | ओसिरिस (Osiris), सेत (Seth) | कृषि और फसल का देवता |
9 | घोर अंधकार | निर्गमन 10:21-29 | रा (Ra), होरस (Horus) | सूर्य के देवता |
10 | पहलौठों की मृत्यु | निर्गमन 11:1-12:30 | फिरौन (Pharaoh), ओसिरिस (Osiris) | मिस्र के राजा को देवता माना जाता था |
3. प्रत्येक विपत्ति का उद्देश्य
- मिस्र के झूठे देवताओं को निरर्थक साबित करना।
- फिरौन के हृदय की कठोरता को दिखाना।
- परमेश्वर की शक्ति और न्याय को प्रकट करना।
- इस्राएलियों की मुक्ति के लिए मार्ग तैयार करना।
रोमियों 9:17:
“क्योंकि पवित्र शास्त्र फिरौन से कहता है, कि इसी लिये मैं ने तुझे उठाया कि तुझ में अपनी सामर्थ्य दिखाऊं, और मेरा नाम सारी पृथ्वी पर प्रसिद्ध हो।”
4. फसह (Passover) और अंतिम विपत्ति
- अंतिम विपत्ति “पहिलौठों की मृत्यु” में परमेश्वर ने मिस्र के हर परिवार के बड़े बेटे को मारा।
- इस्राएलियों को अपने घरों के दरवाजों पर एक निर्दोष मेम्ने का लहू लगाने को कहा गया, जिससे मृत्यु का दूत उनके घरों को छोड़ दे।
- यही घटना फसह (Passover) पर्व की स्थापना का आधार बनी, जो बाद में मसीह के बलिदान का प्रतीक बना।
यूहन्ना 1:29:
“देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत के पाप उठा ले जाता है!”
5. सामान्य प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: मिस्र की दस विपत्तियाँ क्यों आईं?
उत्तर: परमेश्वर ने यहोवा की शक्ति को प्रदर्शित करने और इस्राएलियों को मुक्त करने के लिए इन विपत्तियों को भेजा (निर्गमन 7:5)।
प्रश्न 2: क्या फिरौन ने सभी विपत्तियों के बाद इस्राएलियों को छोड़ दिया?
उत्तर: पहले नौ विपत्तियों के बाद फिरौन का हृदय कठोर रहा, लेकिन दसवीं विपत्ति के बाद उसने इस्राएलियों को जाने दिया (निर्गमन 12:31-32)।
प्रश्न 3: क्या आज भी परमेश्वर विपत्तियों के माध्यम से न्याय करता है?
उत्तर: परमेश्वर पाप का न्याय अवश्य करता है, लेकिन अब अनुग्रह का समय है। अंतिम न्याय यीशु मसीह के पुनरागमन पर होगा (प्रकाशितवाक्य 16)।
प्रश्न 4: फसह (Passover) मसीह के बलिदान से कैसे संबंधित है?
उत्तर: जिस प्रकार इस्राएली मेम्ने के लहू के कारण मृत्यु से बच गए, उसी प्रकार यीशु मसीह के लहू से हमारे पापों की क्षमा होती है (1 पतरस 1:18-19)।
6. निष्कर्ष
मिस्र की दस विपत्तियाँ केवल प्राचीन घटनाएँ नहीं थीं, बल्कि यहोवा की शक्ति और न्याय का प्रमाण हैं। उन्होंने मिस्र के देवताओं की असत्यता को उजागर किया और इस्राएलियों की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया।
आज भी, यीशु मसीह के माध्यम से परमेश्वर हमें पाप और मृत्यु के बंधन से मुक्त करता है, जैसा कि उसने इस्राएलियों को मिस्र से छुड़ाया था। इससे हमें यह संदेश मिलता है कि केवल यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है, और हमें उसी पर भरोसा रखना चाहिए।
“यहोवा ही परमेश्वर है; उसके तुल्य कोई नहीं।” (व्यवस्थाविवरण 4:35)