Bible Study

संत ऑगस्टीन और ईश्वरविज्ञान – एक गहन अध्ययन

संत ऑगस्टीन कौन थे? संत ऑगस्टीन (Saint Augustine) चौथी और पाँचवीं सदी के एक महान मसीही विचारक, धर्मशास्त्री और बिशप थे। उनका जन्म 354 AD में उत्तरी अफ्रीका के थागस्ते (अब अल्जीरिया) में हुआ था। उन्होंने मसीही धर्म को गहराई से समझा और समझाया, और पश्चिमी ईसाई धर्मशास्त्र की नींव…
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ईश्वरविज्ञान – बाइबल आधारित गहन अध्ययन | Theology Proper – Paterology

Theology Proper systematic theology की वह शाखा है जो विशेष रूप से परमेश्वर के स्वरूप, अस्तित्व, गुण, और कार्य पर ध्यान केंद्रित करती है। यह विषय हमें परमेश्वर को उसकी बाइबिलीय पहचान में गहराई से जानने में मदद करता है। ईश्वरविज्ञान न केवल बौद्धिक अध्ययन है, बल्कि एक आत्मिक खोज…
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बाइबल अध्ययन की प्रमुख शाखाएँ | Doctrinal Bible Study Topics

1.  थियोलॉजी (Theology) – ईश्वरविज्ञान परिभाषा:यह परमेश्वर की प्रकृति, गुणों और उसके कार्यों का गहन अध्ययन है। मुख्य विषय: परमेश्वर सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और सर्वव्यापी है परमेश्वर प्रेमी, दयालु, परंतु न्यायी और पवित्र भी है त्रिएकता का सिद्धांत: पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा एक ही परमेश्वर हैं उदाहरण:उत्पत्ति 1:1 – “आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि…
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यशायाह की पुस्तक का सारांश – न्याय, आशा और मसीहा की भविष्यवाणी | All Chapters 1 to 66

बाइबल की भविष्यवाणी पुस्तक ‘यशायाह’ का सम्पूर्ण हिंदी सारांश PDF – अभी डाउनलोड करें! इस PDF में आपको मिलेगा यशायाह के 66 अध्यायों का अध्याय-दर-अध्याय सरल और स्पष्ट व्याख्या, जो नए और पुराने सभी विश्वासियों के लिए अनमोल है। Download ✅ आप इस PDF में क्या पाएंगे? ✔ हर अध्याय…
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कलीसिया और यीशु मसीह की दूसरी आगमन: एक दिव्य विवाह का रहस्य

यीशु की दूसरी आगमन और कलीसिया का विवाह | मसीह की दुल्हन की भूमिका यीशु मसीह की दूसरी आगमन (Second Coming) और कलीसिया का उसके साथ मिलन एक अद्भुत और गूढ़ विषय है, जिसे बाइबल में विवाह (Marriage) के रूप में प्रस्तुत किया गया है। प्रकाशितवाक्य (Revelation) और अन्य शास्त्रों…
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Ecclesiology: बाइबलीय कलीसिया का स्वरूप, उद्देश्य और भूमिका

परिचय: कलीसिया का अर्थ और इसकी महत्वपूर्ण भूमिका Ecclesiology (एक्लीसियोलॉजी) मसीही धर्मशास्त्र की एक महत्वपूर्ण शाखा है, जो यह समझने में सहायता करती है कि बाइबलीय कलीसिया (Church) क्या है, इसका स्वरूप क्या है, इसका उद्देश्य क्या है, और यह कैसे संचालित होती है। बाइबल में ‘कलीसिया’ का अर्थ केवल…
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प्रेरितों के काम (Acts) की गहन बाइबल अध्ययन प्रश्नोत्तरी

इस लेख में हम 25+ doctrinal प्रश्न और उत्तर प्रस्तुत कर रहे हैं, जो प्रेरितों के काम से लिए गए हैं। ये प्रश्न बाइबल शिक्षण, चर्च नेतृत्व और आत्मिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यदि आप बाइबल अध्ययन कर रहे हैं या किसी बाइबल प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में भाग ले…
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यीशु मसीह के चेलों की शहादत | कैसे हुई 12 चेलों मृत्यु?

यीशु मसीह के शिष्य (Disciples of Jesus) उनके करीबी अनुयायी थे, जिन्होंने प्रभु के सुसमाचार (Gospel) को पूरी दुनिया में फैलाने का कार्य किया। उनके जीवन का अंत ज्यादातर शहादत (Martyrdom) के रूप में हुआ। उन्होंने अपने विश्वास के लिए क्रूर यातनाएँ सही और अंततः मृत्यु को गले लगाया। इस…
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शुरुआती मसीहियों का सताव | निर्दयी सम्राट और कलीसिया पर उनके अत्याचार

यीशु मसीह के अनुयायियों ने शुरुआत से ही कड़ी परीक्षा और उत्पीड़न (Persecution) का सामना किया। यह उत्पीड़न मुख्य रूप से यहूदी धार्मिक नेताओं और रोमन सम्राटों द्वारा किया गया था। प्रारंभिक मसीही समुदाय के लिए यह समय अत्यंत कठिन था, क्योंकि उन्हें अपने विश्वास के कारण क्रूर यातनाएँ झेलनी…
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कॉन्सटैंटाइन महान: वह सम्राट जिसने ईसाई धर्म का भविष्य बदला

सम्राट कॉन्सटैंटाइन महान – ईसाई इतिहास में एक युगांतकारी परिवर्तन कॉन्सटैंटाइन महान (Constantine the Great) ईसाई इतिहास के सबसे प्रभावशाली शासकों में से एक थे। उन्होंने न केवल रोमन साम्राज्य पर शासन किया, बल्कि ईसाई धर्म को कानूनी मान्यता देकर पूरे इतिहास की दिशा बदल दी। उनकी नीतियों और कार्यों…
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