यीशु मसीह के शिष्य (Disciples of Jesus) उनके करीबी अनुयायी थे, जिन्होंने प्रभु के सुसमाचार (Gospel) को पूरी दुनिया में फैलाने का कार्य किया। उनके जीवन का अंत ज्यादातर शहादत (Martyrdom) के रूप में हुआ। उन्होंने अपने विश्वास के लिए क्रूर यातनाएँ सही और अंततः मृत्यु को गले लगाया। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि यीशु के प्रमुख शिष्यों की मृत्यु कैसे हुई।
1. प्रेरित पतरस (Apostle Peter)
प्रेरित पतरस, जिन्हें यीशु ने “चट्टान” कहा था, रोम में प्रचार कर रहे थे। सम्राट नीरो (Nero) के शासनकाल में उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया। परंपरा के अनुसार, उन्होंने अनुरोध किया कि उन्हें उल्टी क्रूस पर चढ़ाया जाए क्योंकि वे खुद को यीशु के समान मरने योग्य नहीं मानते थे।
2. प्रेरित याकूब (Apostle James, Zebedee का पुत्र)
याकूब, जो योहन के भाई थे, पहले प्रेरित थे जो शहीद हुए। हेरोद अग्रिप्पा प्रथम (Herod Agrippa I) ने 44 ईस्वी में उन्हें तलवार से मरवा दिया। यह घटना प्रेरितों के काम (Acts 12:1-2) में दर्ज है।
3. प्रेरित योहन (Apostle John)
योहन को रोमन सम्राट डोमिशियन (Domitian) के समय में उबलते हुए तेल में डाला गया था, लेकिन वे चमत्कारी रूप से बच गए। बाद में उन्हें पतमोस (Patmos) द्वीप पर निर्वासित कर दिया गया, जहाँ उन्होंने प्रकाशितवाक्य (Book of Revelation) लिखी। वे एकमात्र शिष्य थे, जो स्वाभाविक मृत्यु मरे।
4. प्रेरित अन्द्रियास (Apostle Andrew)
अन्द्रियास, जो पतरस के भाई थे, यूनान (Greece) में प्रचार कर रहे थे। वहाँ उन्हें X-आकार के क्रूस (St. Andrew’s Cross) पर लटकाकर मार दिया गया। कहा जाता है कि वे दो दिनों तक क्रूस पर जीवित रहे और मसीही संदेश सुनाते रहे।
5. प्रेरित फिलिप (Apostle Philip)
फिलिप ने फ्राइगिया (Phrygia, आधुनिक तुर्की) में प्रचार किया। वहाँ के शासकों ने उन्हें क्रूस पर चढ़ा दिया। कहा जाता है कि उनके प्रभाव से वहाँ कई लोग मसीही बन गए।
6. प्रेरित बरथोलोमिय (Apostle Bartholomew / Nathanael)
बरथोलोमिय को आर्मेनिया में मसीह का प्रचार करने के लिए जीवित ही चमड़ी उतारकर मार दिया गया। यह ईसाई इतिहास की सबसे क्रूर घटनाओं में से एक है।
7. प्रेरित मत्ती (Apostle Matthew)
मत्ती, जिन्होंने सुसमाचार लिखा, इथियोपिया में प्रचार कर रहे थे। उन्हें वहाँ के शासकों ने भाले से मार दिया।
8. प्रेरित थोमा (Apostle Thomas)
थोमा भारत आए और उन्होंने दक्षिण भारत में सुसमाचार का प्रचार किया। परंपरा के अनुसार, उन्हें चेन्नई (Chennai) में एक भाले से मार दिया गया। आज भी “संत थोमा चर्च” वहाँ उनकी स्मृति में बना हुआ है।
9. प्रेरित याकूब (Apostle James, Alphaeus का पुत्र)
याकूब को यरूशलेम में धर्मगुरुओं द्वारा मंदिर की छत से नीचे फेंक दिया गया और फिर पीट-पीटकर मार डाला गया।
10. प्रेरित यहूदा तद्दियुस (Apostle Jude / Thaddaeus)
यहूदा तद्दियुस ने फारस (Persia) में प्रचार किया, जहाँ उन्हें तीरों से मार दिया गया।
11. प्रेरित सिमोन (Apostle Simon the Zealot)
सिमोन ने अफ्रीका और ब्रिटेन तक प्रचार किया। उन्हें फारस में क्रूस पर चढ़ा दिया गया या आरी से दो टुकड़ों में काट दिया गया।
12. यहूदा इस्करियोती (Judas Iscariot)
यहूदा, जिसने यीशु को धोखा दिया था, ने अपराधबोध के कारण आत्महत्या कर ली।
यीशु के शिष्यों ने अपने विश्वास के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके बलिदानों ने यह साबित किया कि वे पूरी तरह से मसीह में विश्वास रखते थे और दुनिया में सुसमाचार फैलाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थे। उनका जीवन आज भी हमें प्रेरणा देता है कि हम भी किसी भी परिस्थिति में अपने विश्वास पर अडिग रहें।