कैन और हाबिल – बच्चों के लिये बाइबल की कहानियाँ || Story of Cain and Abel for kids from the Bible

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बच्चों के लिए बाइबिल कहानियाँ सिखाती हैं, समझाती हैं और रूपांतरित करती हैं। इस बार, हम लेकर आएं हैं एक ऐसी कहानी, जो बाइबिल के पन्नों से बच्चों के दिलों में बस जाती है – “कैन और एबेल की कहानी” “The Story of Cain and Abel”

यह कहानी न केवल एक परिवार के बीच हुए एक दुखद घटना को बताती है, बल्कि यह बच्चों को धर्म, साझेदारी, और सहमति की महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती है। हम इस कहानी के माध्यम से बच्चों को यह बताएंगे कि कैसे एक सही और अच्छे जीवन की ओर बढ़ना होता है।

इस पोस्ट में हम बच्चों के साथ इस रोमांचक बाइबिल कहानी को साझा करेंगे, जो उन्हें सिखाएगी कि दुसरों के प्रति समर्पण, प्यार, और समर्पण से कैसे सच्ची जीत होती है।

आइए इस अनुसंधान में बच्चों के साथ मिलकर इस अद्भुत कहानी की यात्रा करें और उन्हें बाइबिल के इस अद्वितीय पाठ से परिचित कराएं।

Exploring Morals and Values: The Story of Cain and Abel for Kids

एक बार की बात है, आदम और हव्वा ने परमेश्वर से प्रार्थना की कि उन्हें एक बच्चा दे. परमेश्वर ने उनकी प्रार्थना सुनी और उन्हें एक बेटा दिया, जिसका नाम उन्होंने हाबिल रखा. कुछ समय बाद, आदम और हव्वा को एक और बेटा हुआ, जिसका नाम उन्होंने काइन रखा.

हाबिल और काइन बड़े होकर बहुत ही अलग-अलग व्यक्ति बन गए. हाबिल एक चरवाहा था और वह बहुत ही शांत और भरोसेमंद था. वह हमेशा परमेश्वर से प्रार्थना करता था और अपने काम में बहुत ही मेहनती था. काइन एक किसान था और वह बहुत ही ईर्ष्यालु और गुस्सैल था. वह हमेशा अपने भाई हाबिल से ईर्ष्या करता था क्योंकि हाबिल परमेश्वर से बहुत प्यार करता था और परमेश्वर भी हाबिल से बहुत प्यार करता था.

एक दिन, हाबिल और काइन ने परमेश्वर को चढ़ावा चढ़ाने का फैसला किया. हाबिल ने अपने चरवाहे के काम से कुछ सबसे अच्छी भेड़ें चुनीं और उन्हें परमेश्वर को चढ़ा दीं. काइन ने भी अपने खेत से कुछ फसल चुनीं और उन्हें परमेश्वर को चढ़ा दीं.

परमेश्वर ने हाबिल का चढ़ावा स्वीकार किया, लेकिन काइन का चढ़ावा नहीं. इससे काइन बहुत क्रोधित हो गया और उसने अपने भाई हाबिल से कहा, “यह क्यों हुआ कि परमेश्वर ने तेरे चढ़ावे को स्वीकार किया और मेरे चढ़ावे को नहीं?”

हाबिल ने कहा, “मैं नहीं जानता। शायद यह इसलिए हुआ क्योंकि मैं हमेशा परमेश्वर से प्रार्थना करता हूं और मैं अपने काम में बहुत मेहनती हूं।”

काइन ने और भी क्रोधित हो गया और उसने अपने भाई हाबिल को मार डाला.

परमेश्वर ने काइन से कहा, “तू ने क्या किया? तेरे भाई का खून पुकार रहा है। तू अब हमेशा के लिए भटकेगा।”

काइन ने परमेश्वर से कहा, “यह बहुत ही बुरा है। मैं अब कहां जाऊंगा?”

परमेश्वर ने कहा, “तू पृथ्वी पर नहीं रह सकता। तू अब हमेशा के लिए भटकेगा।”

काइन ने परमेश्वर से प्रार्थना की, “मुझे माफ कर दो। मैं बहुत ही दुखी हूं।”

परमेश्वर ने कहा, “मैं तुझे माफ कर देता हूं। लेकिन तू अब हमेशा के लिए भटकेगा।”

काइन पृथ्वी पर नहीं रह सका और वह हमेशा के लिए भटकने लगा. वह बहुत ही दुखी था और वह कभी भी अपने भाई हाबिल के लिए माफी नहीं मांग सका

यह कहानी हमें यह सीख देती है कि हमें हमेशा परमेश्वर की इच्छा के अनुसार जीना चाहिए हमें अपने भाइयों और बहनों के साथ भी प्यार से रहना चाहिए और उन्हें कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए अगर हम ईर्ष्यालु और गुस्सैल हो जाते हैं, तो हम भी काइन की तरह बुरा काम कर सकते हैं. हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि परमेश्वर को प्यार और दया पसंद है. हमें अपने भाइयों और बहनों से प्यार करना चाहिए और उन्हें कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए

FAQ About the Story of Cain and Abel for Kids from the Bible. 

कैन और एबेल की कहानी बाइबल की प्रथम पुस्तक उत्पत्ति में है और वहां यह बताया गया है कि वे आदम और हव्वा के बेटे थे। वे दोनों किसान थे और अपने काम में मेहनती थे।

जब कैन और हाबिल ने परमेश्वर को भेंट अर्पण की, तो परमेश्वर ने हाबिल की भेंट को स्वीकार किया, लेकिन कैन की भेंट को स्वीकार नहीं किया। इससे कैन ने अपने भाई के प्रति ईर्ष्या की बुराई में पड़ा।

कैन ने एबेल के साथ बुरा किया क्योंकि परमेश्वर ने उसकी भेंट स्वीकार नहीं की थी और उसने अपने भाई के सफलता को स्वीकार नहीं किया। इस से हम यह सीखते है कि हमें दूसरों की सफलता पर खुश होना चाहिए और ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपने भाई बहन और सभी की की सफलता का पर खुश होना चाहिए, भक्ति और समर्पण का महत्व समझना चाहिए, और बुरे कामों से बचना चाहिए।

बच्चों को इस कहानी के माध्यम से नैतिक मूल्यों का महत्व समझाया जा सकता है, और उन्हें यह सिखाने का अवसर मिलता है कि अच्छे काम करना और दूसरों की मदद करना हमें सच्ची सुख-शान्ति प्रदान करता है और इस से परमेश्वर भी हमसे खुश होते हैं।

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