पुराने नियम का अवलोकन: संरचना, लेखक और ऐतिहासिक संदर्भ

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1. भूमिका: पुराने नियम का महत्व

पुराना नियम बाइबल का पहला भाग है, जिसमें सृष्टि से लेकर मसीह के आगमन तक का इतिहास दर्ज है। यह परमेश्वर की धार्मिक योजना, इस्राएल के इतिहास और भविष्यद्वाणी को प्रकट करता है। इस पाठ में, हम पुराने नियम की संरचना, इसके लेखकों और इसके ऐतिहासिक संदर्भ को विस्तार से समझेंगे।


2. पुराने नियम की संरचना

पुराना नियम 39 पुस्तकों का संग्रह है, जिसे मुख्यतः पाँच भागों में विभाजित किया गया है:

(i) व्यवस्था की पुस्तकें (Torah या Pentateuch) – 5 पुस्तकें

  • लेखक: परंपरागत रूप से मूसा।
  • पुस्तकें: उत्पत्ति, निर्गमन, लैव्यव्यवस्था, गिनती, व्यवस्थाविवरण।
  • विषय: सृष्टि, आदम और हव्वा, नूह की बाढ़, अब्राहम से परमेश्वर की वाचा, मूसा द्वारा इस्राएल का नेतृत्व, व्यवस्था का दिया जाना।

(ii) ऐतिहासिक पुस्तकें – 12 पुस्तकें

  • पुस्तकें: यहोशू, न्यायियों, रूत, 1 और 2 शमूएल, 1 और 2 राजा, 1 और 2 इतिहास, एज्रा, नहेमायाह, एस्तेर।
  • विषय: इस्राएल के राष्ट्र के गठन, उनके राजा, युद्ध, निर्वासन और पुनःस्थापना का विवरण।

(iii) काव्यात्मक एवं ज्ञान साहित्य – 5 पुस्तकें

  • पुस्तकें: अय्यूब, भजन संहिता, नीतिवचन, सभोपदेशक, श्रेष्ठगीत।
  • विषय: ज्ञान, आराधना, प्रार्थना, जीवन के अर्थ और परमेश्वर का भय।

(iv) मुख्य भविष्यद्वक्ता – 5 पुस्तकें

  • पुस्तकें: यशायाह, यिर्मयाह, विलापगीत, यहेजकेल, दानिय्येल।
  • विषय: इस्राएल और अन्य जातियों के प्रति परमेश्वर का न्याय और उद्धार की भविष्यवाणी।

(v) छोटे भविष्यद्वक्ता – 12 पुस्तकें

  • पुस्तकें: होशे, योएल, आमोस, ओबद्याह, योना, मीका, नहूम, हबक्कूक, सपन्याह, हाग्गै, जकर्याह, मलाकी।
  • विषय: इस्राएल को चेतावनी, न्याय और आशा के संदेश।

3. पुराने नियम के लेखक

  • पुराने नियम को विभिन्न समयों में अलग-अलग लेखकों ने लिखा, जो प्रेरित और परमेश्वर से प्रेरित थे।
  • प्रमुख लेखक:
    • मूसा (व्यवस्था की पुस्तकें)
    • यहोशू, शमूएल, नहेमायाह (ऐतिहासिक पुस्तकें)
    • दाऊद और अन्य कवि (भजन संहिता)
    • सुलेमान (नीतिवचन, सभोपदेशक, श्रेष्ठगीत)
    • भविष्यद्वक्ता (यशायाह, यिर्मयाह, यहेजकेल, दानिय्येल, आदि)
  • लेखन काल: लगभग 1400 ई.पू. से 400 ई.पू. तक।

4. पुराने नियम की विशेषताएँ और उद्देश्य

(i) परमेश्वर की वाचा (Covenant Theology)

  • परमेश्वर ने मनुष्यों के साथ कई वाचाएँ कीं:
    1. आदमिक वाचा (उत्पत्ति 2-3)
    2. नोहिक वाचा (उत्पत्ति 9:8-17)
    3. अब्राहमिक वाचा (उत्पत्ति 12, 15, 17)
    4. मूसा की वाचा (निर्गमन 19-24)
    5. दाऊदी वाचा (2 शमूएल 7)
    6. नई वाचा की भविष्यवाणी (यिर्मयाह 31:31-34)

(ii) मसीह की भविष्यवाणियाँ

  • यशायाह 53: यीशु का बलिदान।
  • मीका 5:2: मसीह का जन्मस्थान।
  • भजन संहिता 22: क्रूस की भविष्यवाणी।

(iii) नैतिक और आत्मिक शिक्षाएँ

  • परमेश्वर की पवित्रता और धार्मिकता।
  • प्रेम, दया, और न्याय की आवश्यकता।
  • पाप का दंड और पश्चाताप का आह्वान।

6. निष्कर्ष

पुराना नियम न केवल इस्राएल के इतिहास का दस्तावेज है, बल्कि यह परमेश्वर की योजना, वचनों और मसीह की भविष्यवाणी का प्रमाण भी है। यह मसीही विश्वास के लिए आधारशिला है और हमें परमेश्वर के स्वभाव, प्रेम और धार्मिकता को समझने में सहायता करता है। इसके अध्ययन से हम परमेश्वर की योजना को गहराई से समझ सकते हैं और उसके प्रति अपने विश्वास को मजबूत कर सकते हैं।

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