25 बाइबल आयत नर्क के विषय में : दंड और पश्चाताप की शिक्षा

  • Home
  • Content
  • Bible Verses
  • 25 बाइबल आयत नर्क के विषय में : दंड और पश्चाताप की शिक्षा
हिन्दी English

नर्क एक ऐसा विषय जो गहरे चिंतन और पश्चाताप को बाल देता है, एक अवधारणा है जिसे बाइबिल में परमेश्वर से अनन्त अलगाव और उन लोगों के लिए दुख व पीड़ा के स्थान के रूप में वर्णित किया गया है जो यीशु मसीह के द्वारा मिलने वाले उद्धार को अस्वीकार करते हैं तथा अपने मार्गों नहीं जाँचते। जबकि नर्क की वास्तविकता गंभीर है, यह पाप के परिणामों और पश्चाताप की अत्यावश्यकता दर्शाता है। इस लेख में, हम 25 बाइबिल आयतों देखेंगे जो नर्क की कैसा है इसपर पर प्रकाश डालते हैं। ये आयत परमेश्वर के न्याय, उसकी चेतावनियों, और पाप से दूर होने और मसीह में अनन्त जीवन को अपनाने के लिए उसके प्रेमपूर्ण निमंत्रण देते हैं।

 

तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, हे स्रापित लोगो, मेरे साम्हने से उस अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है। मत्ती 25:41

और जिस किसी का नाम जीवन की पुस्तक में लिखा हुआ न मिला, वह आग की झील में डाला गया॥ प्रकाशित वाक्य 20:15

जो शरीर को घात करते हैं, पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, उन से मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नाश कर सकता है।  मत्ती 10:28

यदि तेरा हाथ तुझे ठोकर खिलाए तो उसे काट डाल टुण्डा होकर जीवन में प्रवेश करना, तेरे लिये इस से भला है कि दो हाथ रहते हुए नरक के बीच उस आग में डाला जाए जो कभी बुझने की नहीं। मरकुस 9:43

और अधोलोक में उस ने पीड़ा में पड़े हुए अपनी आंखें उठाई, और दूर से इब्राहीम की गोद में लाजर को देखा। लूका 16:23

वहां रोना और दांत पीसना होगा। मत्ती 13:50

वे प्रभु के साम्हने से, और उसकी शक्ति के तेज से दूर होकर अनन्त विनाश का दण्ड पाएंगे। 2 थिस्सलुनीकियों 1:9

जिस रीति से सदोम और अमोरा और उन के आस पास के नगर, जो इन की नाईं व्यभिचारी हो गए थे और पराये शरीर के पीछे लग गए थे आग के अनन्त दण्ड में पड़ कर दृष्टान्त ठहरे हैं। यहूदा 1:7

यदि तेरा हाथ या तेरा पांव तुझे ठोकर खिलाए, तो काटकर फेंक दे; टुण्डा या लंगड़ा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इस से भला है, कि दो हाथ या दो पांव रहते हुए तू अनन्त आग में डाला जाए। मत्ती 18:8

और उन की पीड़ा का धुआं युगानुयुग उठता रहेगा, और जो उस पशु और उस की मूरत की पूजा करते हैं, और जो उसके नाम की छाप लेते हैं, उन को रात दिन चैन न मिलेगा। प्रकाशित वाक्य 14:11

तब वे निकल कर उन लोगों की लोथों पर जिन्होंने मुझ से बलवा किया दृष्टि डालेंगे; क्योंकि उन में पड़े हुए कीड़े कभी न मरेंगे, उनकी आस कभी न बुझेगी, और सारे मनुष्यों को उन से अत्यन्त घृणा होगी॥ यशायाह 66:24

सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और चाकल है वह मार्ग जो विनाश को पहुंचाता है; और बहुतेरे हैं जो उस से प्रवेश करते हैं। क्योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है, और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं॥ मत्ती 7:13-14

और यह अनन्त दण्ड भोगेंगे परन्तु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे। मत्ती 25:46

पर डरपोकों, और अविश्वासियों, और घिनौनों, और हत्यारों, और व्यभिचारियों, और टोन्हों, और मूर्तिपूजकों, और सब झूठों का भाग उस झील में मिलेगा, जो आग और गन्धक से जलती रहती है: यह दूसरी मृत्यु है॥ प्रकाशित वाक्य 21:8

दुष्ट अधोलोक में लौट जाएंगे, तथा वे सब जातियां भी जा परमेश्वर को भूल जाती है। भजन संहिता 9:17

क्योंकि जब परमेश्वर ने उन स्वर्गदूतों को जिन्हों ने पाप किया नहीं छोड़ा, पर नरक में भेज कर अन्धेरे कुण्डों में डाल दिया, ताकि न्याय के दिन तक बन्दी रहें। 2 पतरस 2:4

बुद्धिमान के लिये जीवन का मार्ग ऊपर की ओर जाता है, इस रीति से वह अधोलोक में पड़ने से बच जाता है। नीतिवचन 15:24

और उन का भरमाने वाला शैतान आग और गन्धक की उस झील में, जिस में वह पशु और झूठा भविष्यद्वक्ता भी होगा, डाल दिया जाएगा, और वे रात दिन युगानुयुग पीड़ा में तड़पते रहेंगे॥ प्रकाशित वाक्य 20:10

और उन्हें आग के कुंड में डालेंगे, वहां रोना और दांत पीसना होगा। मत्ती 13:42

मैं तुम्हें चिताता हूं कि तुम्हें किस से डरना चाहिए, घात करने के बाद जिस को नरक में डालने का अधिकार है, उसी से डरो : वरन मैं तुम से कहता हूं उसी से डरो। लूका 12:5

और यदि तेरी आंख तुझे ठोकर खिलाए तो उसे निकाल डाल, काना होकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना तेरे लिये इस से भला है, कि दो आंख रहते हुए तू नरक में डाला जाए। जहां उन का कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती। मरकुस 9:47-48

और मृत्यु और अधोलोक भी आग की झील में डाले गए; यह आग की झील तो दूसरी मृत्यु है। और जिस किसी का नाम जीवन की पुस्तक में लिखा हुआ न मिला, वह आग की झील में डाला गया॥ प्रकाशित वाक्य 20:14-15

सिय्योन के पापी थरथरा गए हैं: भक्तिहीनों को कंपकंपी लगी है: हम में से कौन प्रचण्ड आग में रह सकता? हम में से कौन उस आग में बना रह सकता है जो कभी नहीं बुझेगी? यशायाह 33:14

तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, हे स्रापित लोगो, मेरे साम्हने से उस अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है। मत्ती 25:41

और उस में कोई अपवित्र वस्तु था घृणित काम करनेवाला, या झूठ का गढ़ने वाला, किसी रीति से प्रवेश न करेगा; पर केवल वे लोग जिन के नाम मेम्ने के जीवन की पुस्तक में लिखे हैं॥ प्रकाशित वाक्य 21:27

 

बाइबल के ये 25 पद नर्क की वास्तविकता की गंभीर झलक प्रदान करते हैं। वे परमेश्वर के उद्धार को अस्वीकार करने और पाप का मार्ग चुनने के अनंत परिणामों पर जोर देते हैं। नर्क का विवरण दर व चिंता में डालने वाला है, यह परमेश्वर के न्याय और यीशु मसीह में पश्चाताप और विश्वास की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाने कार्य भी करता है। ये आयतें हमें परमेश्वर का भय मानने, धार्मिकता की खोज करने और दूसरों के साथ उद्धार की आशा व सुसमाचार साझा करने के लिए बुलाहट देते हैं। सभवतः इन्हें पढ़कर पाठक अपने जीवन व कार्यों पर चिंतन करें और हमें परमेश्वर की कृपा और दया को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करें, उस मार्ग को चुनें जो उससे अनन्त अलगाव के बजाय अनन्त जीवन की ओर ले जाए।

Hell, a topic that sparks deep contemplation and reflection, is a concept described in the Bible as a place of eternal separation from God and torment for those who reject Him. While the reality of Hell is sobering, it serves as a reminder of the consequences of sin and the urgency of repentance. In this article, we explore 25 Bible verses that shed light on the nature and significance of Hell. These verses offer insight into God's justice, His warnings, and His loving invitation to turn away from sin and embrace eternal life in Christ.

Matthew 25:41: "Then he will say to those on his left, 'Depart from me, you cursed, into the eternal fire prepared for the devil and his angels.'"

Revelation 20:15: "And if anyone's name was not found written in the book of life, he was thrown into the lake of fire."

Matthew 10:28: "And do not fear those who kill the body but cannot kill the soul. Rather fear him who can destroy both soul and body in hell."

Mark 9:43: "And if your hand causes you to sin, cut it off. It is better for you to enter life crippled than with two hands to go to hell, to the unquenchable fire."

Luke 16:23: "And in Hades, being in torment, he lifted up his eyes and saw Abraham far off and Lazarus at his side."

Matthew 13:50: "And throw them into the fiery furnace. In that place, there will be weeping and gnashing of teeth."

2 Thessalonians 1:9: "They will suffer the punishment of eternal destruction, away from the presence of the Lord and from the glory of his might."

Revelation 14:11: "And the smoke of their torment goes up forever and ever, and they have no rest, day or night, these worshipers of the beast and its image, and whoever receives the mark of its name."

Jude 1:7: "Just as Sodom and Gomorrah and the surrounding cities, which likewise indulged in sexual immorality and pursued unnatural desire, serve as an example by undergoing a punishment of eternal fire."

Matthew 18:8: "And if your hand or your foot causes you to sin, cut it off and throw it away. It is better for you to enter life crippled or lame than with two hands or two feet to be thrown into the eternal fire."

Isaiah 66:24: "And they shall go out and look on the dead bodies of the men who have rebelled against me. For their worm shall not die, their fire shall not be quenched, and they shall be an abhorrence to all flesh."

Matthew 7:13-14: "Enter by the narrow gate. For the gate is wide and the way is easy that leads to destruction, and those who enter by it are many. For the gate is narrow and the way is hard that leads to life, and those who find it are few."

Revelation 21:8: "But as for the cowardly, the faithless, the detestable, as for murderers, the sexually immoral, sorcerers, idolaters, and all liars, their portion will be in the lake that burns with fire and sulfur, which is the second death."

Matthew 25:46: "And these will go away into eternal punishment, but the righteous into eternal life."

Psalm 9:17: "The wicked shall return to Sheol, all the nations that forget God."

2 Peter 2:4: "For if God did not spare angels when they sinned, but cast them into hell and committed them to chains of gloomy darkness to be kept until the judgment."

Proverbs 15:24: "The path of life leads upward for the prudent, that he may turn away from Sheol beneath."

Revelation 20:10: "And the devil who had deceived them was thrown into the lake of fire and sulfur where the beast and the false prophet were, and they will be tormented day and night forever and ever."

Matthew 13:42: "And throw them into the fiery furnace. In that place, there will be weeping and gnashing of teeth."

Luke 12:5: "But I will warn you whom to fear: fear him who, after he has killed, has authority to cast into hell. Yes, I tell you, fear him!"

Mark 9:47-48: "And if your eye causes you to sin, tear it out. It is better for you to enter the kingdom of God with one eye than with two eyes to be thrown into hell, 'where their worm does not die and the fire is not quenched.'"

Revelation 20:14-15: "Then Death and Hades were thrown into the lake of fire. This is the second death, the lake of fire. And if anyone's name was not found written in the book of life, he was thrown into the lake of fire."

Isaiah 33:14: "The sinners in Zion are afraid; trembling has seized the godless: 'Who among us can dwell with the consuming fire? Who among us can dwell with everlasting burnings?'"

Matthew 25:41-46: "Then he will say to those on his left, 'Depart from me, you cursed, into the eternal fire prepared for the devil and his angels.' And these will go away into eternal punishment, but the righteous into eternal life."

Revelation 21:27: "But nothing unclean will ever enter it, nor anyone who does what is detestable or false, but only those who are written in the Lamb's book of life."

These 25 Bible verses provide a sobering glimpse into the reality of Hell. They emphasize the eternal consequences of rejecting God's salvation and choosing a path of sin. While the concept of Hell is unsettling, it serves as a reminder of God's justice and the urgent need for repentance and faith in Jesus Christ. These verses call us to fear God, seek righteousness, and share the hope of salvation with others. May they prompt reflection on the choices we make and compel us to embrace the grace and mercy of God, choosing the path that leads to eternal life rather than eternal separation from Him.

Stay Updated with NewLetter SignUp

अपना ईमेल भरें ताकि नये पोस्ट आप तक सबसे पहले पहुचें
Support Us: GPay; PayTM; PhonePe; 9592485467
Stay Updated with NewLetter SignUp