यहोशू: कनान पर विजय

1. भूमिका

यहोशू की पुस्तक पुराने नियम की छठी पुस्तक है और यह इस्राएलियों के कनान पर विजय और उनके प्रतिज्ञात देश में प्रवेश को दर्शाती है। यह पुस्तक मूसा की मृत्यु के बाद यहोशू के नेतृत्व में इस्राएलियों की विजय यात्राओं का वर्णन करती है और परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं की पूर्ति को प्रकट करती है।

यहोशू की पुस्तक में तीन मुख्य भाग हैं:

  1. कनान देश पर अधिकार (अध्याय 1-12)
  2. कनान की भूमि का वितरण (अध्याय 13-22)
  3. यहोशू के अंतिम उपदेश और विदाई (अध्याय 23-24)

2. यहोशू का नेतृत्व और कनान में प्रवेश (अध्याय 1-5)

(i) परमेश्वर की यहोशू को बुलाहट (यहोशू 1:1-9)

  • मूसा की मृत्यु के बाद, परमेश्वर ने यहोशू को इस्राएलियों का अगुवा नियुक्त किया।
  • परमेश्वर ने उसे तीन आदेश दिए:
    1. मजबूत और साहसी बनो।
    2. व्यवस्था का पालन करो और दिन-रात परमेश्वर के वचन का ध्यान करो।
    3. कनान को अधिकार में लेने के लिए आगे बढ़ो।

(ii) राहाब और दो गुप्तचरों का भेजा जाना (यहोशू 2)

  • यहोशू ने यरीहो की भूमि की जासूसी के लिए दो गुप्तचर भेजे।
  • राहाब नामक एक व्यभिचारिणी स्त्री ने उन गुप्तचरों को छिपाया।
  • उसने विश्वास किया कि यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है और उसकी सहायता के कारण उसका परिवार बचाया गया।

(iii) यरदन नदी का विभाजन (यहोशू 3-4)

  • परमेश्वर ने यरदन नदी को विभाजित किया और इस्राएली उसे पार कर गए।
  • उन्होंने स्मरण के लिए 12 पत्थर रखे जो इस घटना की गवाही थे।

(iv) गिलगाल में इस्राएलियों की आत्मिक तैयारी (यहोशू 5)

  • पुरुषों का खतना किया गया, जो परमेश्वर की वाचा का चिह्न था।
  • फसह का पर्व मनाया गया।
  • स्वर्ग से मन्ना गिरना बंद हो गया, क्योंकि अब वे कनान की उपज खाने लगे।

3. कनान पर विजय (यहोशू 6-12)

(i) यरीहो का पतन (यहोशू 6)

  • इस्राएलियों ने छह दिन तक नगर के चारों ओर परिक्रमा की और सातवें दिन सात बार घूमे।
  • उन्होंने नरसिंगा बजाया और जयजयकार किया, जिससे यरीहो की दीवारें गिर गईं।
  • राहाब और उसके परिवार को छोड़कर नगर के सभी लोग नष्ट कर दिए गए।

(ii) ऐ नगर की पराजय और विजय (यहोशू 7-8)

  • अज्ञानता के कारण आकान नामक व्यक्ति ने परमेश्वर के निषेध का उल्लंघन किया और निषिद्ध वस्तुएँ चुरा लीं।
  • इसके कारण ऐ नगर में इस्राएल पराजित हुए।
  • आकान का पाप प्रकट हुआ और उसे दंड दिया गया, तब जाकर यहोशू ऐ नगर पर विजय प्राप्त कर सका।

(iii) गिबोनियों की चतुराई और बेइत होरोन की लड़ाई (यहोशू 9-10)

  • गिबोनियों ने चालाकी से यहोशू से संधि कर ली।
  • पांच एमोरी राजाओं ने गिबोन पर आक्रमण किया, तब यहोशू ने उनकी सहायता की।
  • परमेश्वर ने ओलों की वर्षा कर शत्रुओं को नष्ट किया और यहोशू की प्रार्थना पर सूर्य और चंद्रमा को स्थिर कर दिया ताकि इस्राएली पूरी विजय प्राप्त कर सकें।

(iv) उत्तरी कनान पर विजय (यहोशू 11-12)

  • यहोशू ने उत्तरी कनान के राजाओं को हराकर पूरे देश पर अधिकार कर लिया।
  • 31 राजाओं को पराजित किया गया।

4. भूमि का वितरण (यहोशू 13-22)

(i) गोत्रों को भूमि बाँटी गई (यहोशू 13-19)

  • इस्राएल के 12 गोत्रों को कनान की भूमि में उनकी विरासत दी गई।
  • लेवी गोत्र को कोई भूमि नहीं मिली, क्योंकि वे याजकीय सेवा के लिए नियुक्त थे।

(ii) शरण नगरों की स्थापना (यहोशू 20)

  • निर्दोष हत्यारों के लिए छः शरण नगर स्थापित किए गए।

(iii) यरदन नदी के पार के गोत्रों का लौटना (यहोशू 22)

  • रूबेन, गाद और मनश्शे के आधे गोत्र को यरदन नदी के पार उनकी भूमि मिली।

5. यहोशू का अंतिम उपदेश और विदाई (यहोशू 23-24)

(i) यहोशू की चेतावनी और परमेश्वर की आज्ञाकारिता का आह्वान (यहोशू 23)

  • परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने और अन्य जातियों के देवताओं की उपासना न करने की चेतावनी दी गई।

(ii) इस्राएल की प्रतिज्ञा और परमेश्वर की भक्ति का चुनाव (यहोशू 24:15)

  • यहोशू ने कहा:
    यदि तुम्हें यहोवा की सेवा करना बुरा लगे, तो आज ही चुन लो कि तुम किसकी सेवा करोगे… परन्तु मैं और मेरा घराना यहोवा की सेवा करेगा।”

(iii) यहोशू की मृत्यु (यहोशू 24:29-33)

  • यहोशू की मृत्यु 110 वर्ष की आयु में हुई।

6. प्रमुख धार्मिक संदेश

  1. परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करता है।
  2. आज्ञाकारिता से विजय मिलती है, लेकिन अवज्ञा से पराजय होती है।
  3. परमेश्वर हमें हमारे विश्वास की परीक्षा में डालता है।
  4. हमें परमेश्वर को ही अपने जीवन का प्रभु चुनना चाहिए।

7. सामान्य प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: यहोशू ने कनान पर विजय कैसे प्राप्त की?

उत्तर: परमेश्वर की आज्ञाकारिता, विश्वास और युद्ध में परमेश्वर की सहायता से (यहोशू 1:8)

प्रश्न 2: यरीहो की दीवारें कैसे गिरीं?

उत्तर: इस्राएलियों ने परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार नगर के चारों ओर परिक्रमा की, नरसिंगा बजाया और जयजयकार किया (यहोशू 6:20)

प्रश्न 3: गिबोनियों ने यहोशू को कैसे धोखा दिया?

उत्तर: उन्होंने पुराने कपड़े और सूखी रोटी लेकर स्वयं को दूर के यात्री बताया और इस्राएल के साथ संधि कर ली (यहोशू 9:4-6)

प्रश्न 4: परमेश्वर ने यहोशू के युद्ध में सूर्य को स्थिर क्यों किया?

उत्तर: ताकि इस्राएल को पूरी विजय प्राप्त करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके (यहोशू 10:12-14)

प्रश्न 5: यहोशू के जीवन से हम क्या सीख सकते हैं?

उत्तर: परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं पर विश्वास करना, उसकी आज्ञा मानना, और अपने जीवन को उसके लिए समर्पित करना।


8. निष्कर्ष

यहोशू की पुस्तक आज्ञाकारिता, विश्वास और परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं की पूर्ति का अद्भुत उदाहरण है। जिस प्रकार इस्राएलियों ने कनान पर विजय प्राप्त की, उसी प्रकार यीशु मसीह के माध्यम से हम भी आत्मिक विजय प्राप्त कर सकते हैं

मैं और मेरा घराना यहोवा की सेवा करेगा।” (यहोशू 24:15)

 

 

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