लूत के पास स्वर्गदूतों का आगमन
¹ संध्या के समय दो स्वर्गदूत सदोम पहुँचे, और लूत नगर के द्वार पर बैठे थे। उन्हें देखकर लूत उठा और भूमि पर गिरकर प्रणाम किया। ² उसने कहा, “मेरे प्रभुओं, कृपया अपने दास के घर चलिए, रातभर वहाँ ठहरिए, अपने पैर धोइए और प्रातःकाल अपने मार्ग पर जाइए।” लेकिन उन्होंने कहा, “नहीं, हम रातभर चौक में ही रहेंगे।” ³ लूत ने उनसे बहुत आग्रह किया, तब वे उसके साथ उसके घर गए। उसने उनके लिए भोजन तैयार किया और उन्होंने खाया।
सदोम के लोगों का पाप
⁴ जब वे सोने जा रहे थे, तब नगर के लोग, जवान और बूढ़े, सब लूत के घर को घेरकर खड़े हो गए। ⁵ उन्होंने लूत को पुकारकर कहा, “वे आदमी जो तेरे घर आए हैं, उन्हें बाहर ला, ताकि हम उनके साथ कुकर्म करें।” ⁶ लूत घर के द्वार पर गया और उसे बंद करके कहा, ⁷ “हे मेरे भाइयो, ऐसा दुष्कर्म मत करो! ⁸ मेरे पास दो अविवाहित बेटियाँ हैं, मैं उन्हें तुम्हें दे सकता हूँ, परंतु इन पुरुषों को मत छूना, क्योंकि वे मेरे घर की शरण में आए हैं।”
⁹ लेकिन उन्होंने कहा, “साइड हट! यह आदमी यहाँ परदेशी होकर आया है और अब न्यायाधीश बन रहा है! अब हम तुझसे भी बुरा व्यवहार करेंगे।” तब वे लूत को धक्का देकर दरवाजा तोड़ने लगे। ¹⁰ लेकिन उन पुरुषों (स्वर्गदूतों) ने लूत को अंदर खींच लिया और द्वार बंद कर दिया। ¹¹ फिर उन्होंने उन लोगों को, जो द्वार पर थे, अंधा कर दिया, जिससे वे द्वार खोज न सके।
लूत और उसका परिवार नगर छोड़ता है
¹² तब उन पुरुषों ने लूत से कहा, “तेरे यहाँ और कौन-कौन है? दामाद, पुत्र, पुत्रियाँ – जो कुछ तेरा है, सबको नगर से बाहर निकाल ले। ¹³ क्योंकि हम इस स्थान को नष्ट करने वाले हैं, क्योंकि यह स्थान परमेश्वर के सामने अत्यधिक पापमय हो गया है।”
¹⁴ तब लूत अपने दामादों के पास गया और कहा, “उठो, इस स्थान से निकलो, क्योंकि परमेश्वर इसे नष्ट करने वाला है।” लेकिन उसके दामादों ने समझा कि वह मज़ाक कर रहा है।
¹⁵ जब भोर हुआ, तब स्वर्गदूतों ने लूत से कहा, “उठ! अपनी पत्नी और दोनों बेटियों को लेकर निकल जा, नहीं तो तुम भी इस नगर के पाप में नष्ट हो जाओगे।” ¹⁶ लूत विलंब कर रहा था, तब स्वर्गदूतों ने उसका, उसकी पत्नी और बेटियों का हाथ पकड़ा और उन्हें नगर के बाहर ले गए।
¹⁷ बाहर पहुँचकर उन्होंने कहा, “अपने प्राण के लिए भागो, पीछे मत देखो, और न ही किसी मैदान में ठहरो। पहाड़ पर भाग जाओ, ताकि तुम नष्ट न हो जाओ।”
लूत की पत्नी का नमक का स्तंभ बनना
²³ जब सूर्य उगा, तब लूत सोअर नगर पहुँचा। ²⁴ तब परमेश्वर ने सदोम और अमोरा पर गंधक और आग बरसाई। ²⁵ उसने उन नगरों, उनके निवासियों, भूमि और वनस्पतियों को नष्ट कर दिया।
²⁶ लेकिन लूत की पत्नी पीछे मुड़कर देखने लगी और वह नमक का स्तंभ बन गई।
अब्राहम की मध्यस्थता का प्रभाव
²⁷ जब अब्राहम भोर को उठा और वहाँ गया जहाँ वह परमेश्वर के सामने खड़ा था, ²⁸ तब उसने नीचे सदोम और अमोरा की ओर दृष्टि डाली और देखा कि वहाँ से धुआँ उठ रहा था, जैसे किसी भट्टी से धुआँ उठता है।
²⁹ इस प्रकार परमेश्वर ने अब्राहम की विनती सुनकर लूत को विनाश से बचा लिया।
लूत और उसकी बेटियाँ
³⁰ लूत सोअर से निकलकर पहाड़ पर रहने लगा। उसकी दोनों बेटियाँ उसके साथ थीं। ³¹ बड़ी बेटी ने छोटी से कहा, “हमारा पिता बूढ़ा हो गया है, और इस देश में ऐसा कोई पुरुष नहीं जो हमारी संतान उत्पन्न करे। ³² आओ, हम अपने पिता को दाखमधु पिलाएँ और उसके साथ सहवास करें, ताकि हमारी वंशबेल बनी रहे।”
³³ तब उन्होंने अपने पिता को रात में दाखमधु पिलाया और बड़ी बेटी उसके साथ सो गई। ³⁴ अगले दिन छोटी बेटी ने भी यही किया। ³⁶ इस प्रकार लूत की दोनों बेटियाँ गर्भवती हो गईं।
³⁷ बड़ी बेटी से एक पुत्र हुआ, जिसका नाम मोआब रखा गया, जो मोआबियों का मूल पिता हुआ। ³⁸ छोटी बेटी से भी एक पुत्र हुआ, जिसका नाम बेन-अम्मी रखा गया, जो अम्मोनियों का मूल पिता हुआ।
महत्वपूर्ण सीखने योग्य बातें
- परमेश्वर न्यायी है – जब पाप सीमा से अधिक बढ़ता है, तो परमेश्वर दंड देता है।
- धर्मियों के लिए सुरक्षा – परमेश्वर अपने भक्तों को बचाने की योजना बनाता है।
- आज्ञा पालन महत्वपूर्ण है – लूत की पत्नी पीछे मुड़कर देखने के कारण दंडित हुई।
- पारिवारिक पवित्रता आवश्यक है – लूत की बेटियों का कार्य अनैतिक था, जिससे गलत जातियों की उत्पत्ति हुई।
उत्पत्ति अध्याय 19 से संबंधित प्रश्न एवं उत्तर
प्रश्न 1: लूत ने स्वर्गदूतों के लिए क्या किया?
उत्तर: लूत ने उन्हें अपने घर में आश्रय दिया और उनके लिए भोजन तैयार किया।
प्रश्न 2: सदोम के लोग स्वर्गदूतों के साथ क्या करना चाहते थे?
उत्तर: वे दुष्कर्म करना चाहते थे, जिससे उनका पाप परमेश्वर के सामने अत्यधिक बढ़ गया था।
प्रश्न 3: लूत की पत्नी के साथ क्या हुआ और क्यों?
उत्तर: उसने परमेश्वर के निर्देश का उल्लंघन किया और पीछे मुड़कर देखा, जिससे वह नमक का स्तंभ बन गई।
प्रश्न 4: लूत की बेटियों ने क्या किया और उसका परिणाम क्या हुआ?
उत्तर: उन्होंने अपने पिता को मदिरा पिलाकर उसके साथ संबंध बनाए, जिससे मोआब और अम्मोन नामक जातियों की उत्पत्ति हुई।
प्रश्न 5: इस अध्याय से हमें क्या सीखने को मिलता है?
उत्तर: हमें यह सीखने को मिलता है कि परमेश्वर न्यायी है, आज्ञा पालन आवश्यक है, और अनैतिक कार्यों से बचना चाहिए।