1️ पुस्तक का परिचय (Introduction)
नहूम की पुस्तक परमेश्वर के धार्मिक न्याय और न्यायपूर्ण स्वभाव को दर्शाती है। यह विशेष रूप से अश्शूर साम्राज्य और उसकी राजधानी नीनवे के विनाश की भविष्यवाणी करती है। नीनवे ने योना के समय पश्चाताप किया था, लेकिन लगभग 100 साल बाद, यह फिर से पाप और हिंसा में गिर गया, जिससे परमेश्वर ने इसके खिलाफ कठोर दंड की घोषणा की।
लेखक:
भविष्यवक्ता नहूम (नहूम 1:1)
लिखने का समय:
लगभग 660-630 ईसा पूर्व
ऐतिहासिक संदर्भ:
अश्शूर साम्राज्य उस समय विश्व की सबसे शक्तिशाली साम्राज्य था। लेकिन यह बहुत क्रूर और अन्यायी था। नीनवे, उसकी राजधानी, हिंसा, अन्याय और मूर्तिपूजा का केंद्र बन चुका था। नहूम ने घोषणा की कि परमेश्वर नीनवे को पूरी तरह नष्ट कर देगा, और यह भविष्यवाणी 612 ईसा पूर्व में पूरी हुई जब बाबुल और मादी राष्ट्रों ने नीनवे को नष्ट कर दिया।
2️ मुख्य विषय (Themes of Nahum)
परमेश्वर का न्याय – पाप का दंड अवश्य मिलेगा।
नीनवे का पतन – अश्शूर की क्रूरता और अन्याय का अंत।
परमेश्वर की धार्मिकता – वह भले लोगों की रक्षा करता है और दुष्टों को दंडित करता है।
परमेश्वर की संप्रभुता – वह राष्ट्रों को उन्नति और विनाश देने वाला प्रभु है।
3️ पुस्तक की संरचना (Outline of Nahum)
खंड | विवरण | अध्याय |
भाग 1 | परमेश्वर का चरित्र और नीनवे का न्याय | 1 |
भाग 2 | नीनवे की पूरी तरह से विनाश की भविष्यवाणी | 2 |
भाग 3 | नीनवे का अंतिम दंड और अश्शूर का पतन | 3 |
4️ प्रमुख शिक्षाएँ (Key Lessons from Nahum)
नहूम 1:3 – “यहोवा विलंब से क्रोध करने वाला और अत्यंत सामर्थी है, और वह दोषी को किसी प्रकार निर्दोष नहीं ठहराएगा।”
नहूम 1:7 – “यहोवा भला है, संकट के दिन वह शरणस्थान है। वह अपने शरणागतों की सुधि रखता है।”
नहूम 2:13 – “देख, मैं तेरा सामना करूँगा, यहोवा की यह वाणी है!”
नहूम 3:19 – “तेरी चोट लाइलाज है; तेरा घाव गहरा है।”
5️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from Nahum)
परमेश्वर न्यायी और पवित्र है। वह दुष्टों को दंड देता है और धर्मी लोगों की रक्षा करता है।
परमेश्वर विलंब से क्रोध करता है, लेकिन पाप को अनदेखा नहीं करता।
जो राष्ट्र परमेश्वर के विरुद्ध जाते हैं, वे अंततः नष्ट हो जाते हैं।
संकट के समय परमेश्वर हमारे लिए शरणस्थान है (नहूम 1:7)।
6️ मसीही दृष्टिकोण (Christ in Nahum)
नहूम 1:7 – यीशु मसीह संकट के समय में हमारे शरणदाता हैं।
नहूम 1:15 – “देख, जो शुभ समाचार सुनाता और शांति का प्रचार करता है, वह पहाड़ों पर चला आता है।” (यह पद रोमियों 10:15 में उद्धृत किया गया है और मसीह के सुसमाचार का संकेत देता है।)
परमेश्वर का क्रोध और न्याय क्रूस पर यीशु मसीह में पूरी तरह संतुष्ट हुआ।
7️ निष्कर्ष (Conclusion)
नहूम की पुस्तक हमें परमेश्वर के धार्मिक न्याय, उसकी संप्रभुता और उसकी भलाई की याद दिलाती है। जो लोग पाप में चलते हैं, वे अंततः परमेश्वर के न्याय के अधीन आते हैं, लेकिन जो उसकी शरण में आते हैं, वे सुरक्षित रहते हैं।
अध्ययन प्रश्न (Study Questions)
1️ नहूम 1:7 हमें परमेश्वर के बारे में क्या सिखाता है?
2️ नीनवे पर परमेश्वर का न्याय क्यों आया?
3️ नहूम 1:3 में परमेश्वर के स्वभाव के बारे में क्या बताया गया है?
4️ नहूम की पुस्तक से हम आज के जीवन में क्या सीख सकते हैं?