1️ पुस्तक का परिचय (Introduction)
हबक्कूक की पुस्तक एक अनूठी भविष्यद्वाणी है क्योंकि इसमें भविष्यवक्ता परमेश्वर से संवाद करता है और परमेश्वर उसके प्रश्नों का उत्तर देता है। हबक्कूक यह पूछता है कि दुष्ट क्यों फलते-फूलते हैं और धर्मी क्यों पीड़ित होते हैं। परमेश्वर उत्तर देता है कि वह अपने समय पर न्याय करेगा और धर्मी “विश्वास के द्वारा जीवित रहेगा” (हबक्कूक 2:4)।
लेखक:
भविष्यवक्ता हबक्कूक (हबक्कूक 1:1)
लिखने का समय:
लगभग 612-605 ईसा पूर्व
ऐतिहासिक संदर्भ:
इस समय यहूदा पाप में डूब चुका था, और परमेश्वर ने घोषणा की कि वह बाबुलियों (कल्दियों) का उपयोग यहूदा के न्याय के लिए करेगा। हबक्कूक इस निर्णय से उलझन में था, लेकिन अंततः उसने परमेश्वर पर विश्वास किया और उसकी स्तुति की।
2️ मुख्य विषय (Themes of Habakkuk)
परमेश्वर का न्याय – परमेश्वर दुष्टों को उनके पापों के लिए दंडित करता है।
धर्मी विश्वास से जीवित रहेगा – हमें परिस्थितियों में नहीं, बल्कि परमेश्वर में विश्वास रखना चाहिए।
प्रार्थना और परमेश्वर की योजना – परमेश्वर हमारे प्रश्नों को सुनता है और सही समय पर उत्तर देता है।
परमेश्वर की संप्रभुता – वह सभी राष्ट्रों पर अधिकार रखता है और अपने उद्देश्यों को पूरा करता है।
3️ पुस्तक की संरचना (Outline of Habakkuk)
खंड | विवरण | अध्याय |
भाग 1 | हबक्कूक की पहली शिकायत – क्यों दुष्ट लोग विजयी होते हैं? | 1:1-4 |
भाग 2 | परमेश्वर का उत्तर – बाबुलियों को दंड दिया जाएगा | 1:5-11 |
भाग 3 | हबक्कूक की दूसरी शिकायत – दुष्ट राष्ट्रों का न्याय कब होगा? | 1:12-2:1 |
भाग 4 | परमेश्वर का उत्तर – धर्मी विश्वास से जीवित रहेगा | 2:2-20 |
भाग 5 | हबक्कूक का प्रार्थना गीत – परमेश्वर की स्तुति | 3 |
4️ प्रमुख शिक्षाएँ (Key Lessons from Habakkuk)
हबक्कूक 1:5 – “मैं एक ऐसा कार्य करने जा रहा हूँ कि यदि कोई तुम से कहे, तो तुम विश्वास न करोगे।”
हबक्कूक 2:4 – “धर्मी अपने विश्वास से जीवित रहेगा।”
हबक्कूक 2:14 – “पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से भर जाएगी।”
हबक्कूक 3:17-18 – “चाहे अंजीर का वृक्ष न फले… फिर भी मैं यहोवा के कारण आनन्दित रहूँगा।”
5️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from Habakkuk)
विश्वास कठिन समय में भी अडिग रहना चाहिए।
परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं को सुनता है और उत्तर देता है।
परमेश्वर का समय और उसकी योजनाएँ सर्वोत्तम होती हैं।
परिस्थितियाँ बदल सकती हैं, लेकिन परमेश्वर कभी नहीं बदलता।
6️ मसीही दृष्टिकोण (Christ in Habakkuk)
हबक्कूक 2:4 – “धर्मी अपने विश्वास से जीवित रहेगा।” यह पद नया नियम (रोमियों 1:17, गलातियों 3:11, इब्रानियों 10:38) में उद्धृत किया गया है और यीशु मसीह में विश्वास के माध्यम से उद्धार को दर्शाता है।
हबक्कूक 3:13 – यह पद संकेत देता है कि परमेश्वर अपने अभिषिक्त को उद्धार देने के लिए आएगा, जो मसीह का प्रतीक है।
7️ निष्कर्ष (Conclusion)
हबक्कूक की पुस्तक हमें सिखाती है कि जब हमें परमेश्वर की योजना समझ नहीं आती, तब भी हमें “विश्वास के द्वारा जीवित रहना” चाहिए। परमेश्वर हमेशा न्यायी और विश्वासयोग्य होता है।
अध्ययन प्रश्न (Study Questions)
1️ हबक्कूक 1:2-4 में भविष्यवक्ता परमेश्वर से क्या प्रश्न पूछता है?
2️ हबक्कूक 2:4 का नया नियम में क्या महत्व है?
3️ परमेश्वर ने बाबुलियों को न्याय क्यों दिया?
4️ हबक्कूक 3:17-18 हमें विश्वास के बारे में क्या सिखाता है?