1️ पुस्तक का परिचय (Introduction)
लूका रचित सुसमाचार नया नियम की तीसरी पुस्तक है और यह विशेष रूप से यूनानी पाठकों को ध्यान में रखकर लिखा गया था। यह यीशु मसीह के जीवन, सेवा, मृत्यु और पुनरुत्थान का एक क्रमबद्ध और ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत करता है।
लेखक:
लूका – एक यूनानी डॉक्टर (कुलुस्सियों 4:14), पौलुस के सहकर्मी, और नए नियम के दो ग्रंथों (लूका और प्रेरितों के काम) के लेखक।
लिखने का समय:
लगभग 60-62 ईस्वी (रोम में लिखा गया हो सकता है)।
मुख्य उद्देश्य:
यीशु को संपूर्ण मानव और संपूर्ण परमेश्वर दिखाना।
ऐतिहासिक रूप से सत्यापित विवरण देना (लूका 1:1-4)।
यह बताना कि यीशु सब जातियों के लिए उद्धार लाए।
सामाजिक रूप से उपेक्षित लोगों—स्त्रियों, बच्चों, गरीबों, कर वसूलने वालों और पापियों—के प्रति यीशु की करुणा को दिखाना।
2️ मुख्य विषय (Themes of Luke)
यीशु का मानव रूप और उनकी करुणा।
जातियों (Non-Jews) के लिए उद्धार।
प्रेरितों के काम की भूमिका तैयार करना।
पवित्र आत्मा की शक्ति।
प्रार्थना और विश्वास का महत्व।
3️ पुस्तक की संरचना (Outline of Luke)
खंड | विवरण | अध्याय |
भाग 1 | यीशु के जन्म की तैयारी और बचपन | 1-2 |
भाग 2 | यीशु की सेवकाई की तैयारी | 3-4 |
भाग 3 | गलील में यीशु की सेवकाई | 5-9 |
भाग 4 | यरूशलेम की ओर यात्रा और शिक्षा | 10-19 |
भाग 5 | अंतिम सप्ताह, क्रूस पर मृत्यु और पुनरुत्थान | 20-24 |
4️ प्रमुख घटनाएँ और शिक्षाएँ (Key Events and Teachings in Luke)
यीशु की भविष्यवाणी (लूका 1:26-38) – स्वर्गदूत ने मरियम को यीशु के जन्म की घोषणा की।
यीशु का जन्म और चरवाहों को संदेश (लूका 2:1-20) – सभी जातियों के लिए शुभ समाचार।
यीशु का बपतिस्मा और परीक्षा (लूका 3:21-22; 4:1-13) – परमेश्वर ने अपने पुत्र की पहचान कराई।
नासरत में यीशु की सेवा की शुरुआत (लूका 4:16-30) – यीशु ने यशायाह 61 को पढ़ा और अपने मिशन की घोषणा की।
अच्छे सामरी की कथा (लूका 10:25-37) – पड़ोसी से प्रेम करने की शिक्षा।
खोए हुए पुत्र की दृष्टांत (लूका 15:11-32) – परमेश्वर की असीम करुणा।
यीशु का यरूशलेम में प्रवेश (लूका 19:28-44) – लोगों ने उसे राजा के रूप में स्वीकार किया।
अंतिम भोज और नया वाचा (लूका 22:14-20) – यीशु ने अपने बलिदान का अर्थ बताया।
क्रूस पर बलिदान (लूका 23) – यीशु ने “हे पिता, इन्हें क्षमा कर” कहा।
पुनरुत्थान और इम्माउस के मार्ग पर यीशु (लूका 24) – पुनर्जीवित मसीह अपने शिष्यों को प्रकट हुए।
5️ मसीही भविष्यवाणियाँ (Messianic Prophecies in Luke)
लूका 1:32-33 – यीशु राजा दाऊद के सिंहासन पर विराजमान होंगे (2 शमूएल 7:12-13 की पूर्ति)।
लूका 3:4-6 – “मार्ग तैयार करनेवाला” (यशायाह 40:3-5 की पूर्ति)।
लूका 4:18-19 – यीशु ने अपने मिशन को यशायाह 61 से जोड़ा।
लूका 22:37 – यीशु को अपराधियों के साथ गिना जाएगा (यशायाह 53:12 की पूर्ति)।
6️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from Luke)
यीशु सभी के लिए उद्धार लाए।
यीशु ने गरीबों, पापियों और बहिष्कृतों से प्रेम किया।
प्रार्थना और पवित्र आत्मा का महत्व।
यीशु ने खोए हुओं को ढूँढ़ने और बचाने का कार्य किया।
यीशु ने हमें दूसरों से प्रेम करना सिखाया।
7️ निष्कर्ष (Conclusion)
लूका का सुसमाचार हमें दिखाता है कि यीशु न केवल यहूदियों बल्कि समस्त मानवजाति के उद्धारकर्ता हैं। यह हमें उनकी करुणा, प्रेम, और उद्धार के कार्यों को देखने और उनका अनुसरण करने के लिए प्रेरित करता है।
अध्ययन प्रश्न (Study Questions)
1️ लूका सुसमाचार का मुख्य उद्देश्य क्या है?
2️ लूका 4:18-19 में यीशु ने अपने मिशन के बारे में क्या कहा?
3️ लूका में गरीबों और बहिष्कृतों के प्रति यीशु का दृष्टिकोण क्या था?
4️ “अच्छे सामरी” के दृष्टांत से हम क्या सीखते हैं?