प्रेरितों के काम का सर्वेक्षण (Survey of the Book of Acts)

1️ पुस्तक का परिचय (Introduction)

प्रेरितों के काम नया नियम की पाँचवीं पुस्तक है, जो कलीसिया के जन्म और प्रारंभिक मसीही सेवकाई का विस्तृत वर्णन करती है। यह दिखाती है कि कैसे पवित्र आत्मा की शक्ति से प्रेरितों ने सुसमाचार को यरूशलेम, यहूदिया, सामरिया और संसार के छोर तक फैलाया (प्रेरितों 1:8)

📌 लेखक:

✅ लूका प्रेरितवही जिसने लूका सुसमाचार लिखा।

📌 लिखने का समय:

✅ लगभग 62-64 ईस्वी

📌 मुख्य उद्देश्य:

✅ कलीसिया की उत्पत्ति और विस्तार का इतिहास।
✅ पवित्र आत्मा का कार्य और सामर्थ्य।
✅ प्रेरितों की सेवकाई और कष्ट।
✅ यहूदियों और अन्यजातियों में सुसमाचार का प्रचार।


2️ मुख्य विषय (Themes of Acts)

✅ पवित्र आत्मा का सामर्थ्य और मार्गदर्शन।
✅ सुसमाचार का प्रचार और कलीसिया की वृद्धि।
✅ प्रेरितों की सेवकाई और यातनाएँ।
✅ अन्यजातियों तक उद्धार का विस्तार।
✅ विश्वासयोग्यता और आत्मिक नेतृत्व।


3️ पुस्तक की संरचना (Outline of Acts)

खंड

विवरण

अध्याय

भाग 1

कलीसिया की उत्पत्ति (यरूशलेम में)

1-7

भाग 2

यहूदिया और सामरिया में प्रचार

8-12

भाग 3

अन्यजातियों में सुसमाचार का विस्तार

13-28


4️ प्रमुख घटनाएँ और शिक्षाएँ (Key Events and Teachings in Acts)

📍 यीशु का स्वर्गारोहण (प्रेरितों 1:9-11) – “यह यीशु… वैसे ही फिर आएगा।”
📍 पिन्तेकुस्त का दिन (प्रेरितों 2:1-47)पवित्र आत्मा की आग और भाषाओं का चमत्कार।
📍 पतरस और यूहन्ना द्वारा चंगाई (प्रेरितों 3:1-10) – “यीशु के नाम में चल फिर!”
📍 प्रेरितों पर अत्याचार (प्रेरितों 4:1-31) – “हम परमेश्वर की बातें कहने से नहीं रुक सकते!”
📍 सप्ताह के पहले शहीद स्तिफनुस (प्रेरितों 7:54-60) – “हे प्रभु यीशु, मेरी आत्मा को ग्रहण कर!”
📍 सामरिया में सुसमाचार (प्रेरितों 8:4-25)फिलिप्पुस की सेवकाई।
📍 साऊल का परिवर्तन (प्रेरितों 9:1-19)साऊल से पौलुस बना।
📍 पतरस की दृष्टि और अन्यजातियों को उद्धार (प्रेरितों 10:9-48) – “परमेश्वर किसी का पक्षपात नहीं करता।”
📍 पौलुस के तीन मिशनरी दौरे (प्रेरितों 13-21)एशिया माइनर और यूरोप में सुसमाचार का प्रचार।
📍 पौलुस की कैद और रोम यात्रा (प्रेरितों 22-28) – “तू अवश्य रोम में साक्षी देगा।”


5️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from Acts)

✅ पवित्र आत्मा मसीही जीवन का मार्गदर्शक है।
✅ सुसमाचार की शक्ति हर भाषा, जाति और राष्ट्र के लिए है।
✅ विश्वासियों को विरोध और यातनाओं के लिए तैयार रहना चाहिए।
✅ परमेश्वर अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लोगों को बुलाता है।
✅ यीशु मसीह की गवाही देना हर विश्वासी की जिम्मेदारी है।


6️ प्रमुख पात्र (Key Figures in Acts)

🔹 पतरसप्रारंभिक कलीसिया का अगुवा, जिसने पिन्तेकुस्त के दिन प्रचार किया।
🔹 यूहन्नापतरस के साथ प्रचार और चमत्कार किए।
🔹 स्तिफनुसपहला मसीही शहीद।
🔹 फिलिप्पुससामरिया में प्रचार और इथियोपियाई मंत्री को बपतिस्मा दिया।
🔹 साऊल/पौलुसमुख्य प्रेरित जिसने अन्यजातियों में सुसमाचार फैलाया।
🔹 बर्नबसपौलुस के सहायक और प्रचारक।
🔹 याकूबयरूशलेम की कलीसिया का अगुवा।


7️ मसीही भविष्यवाणियाँ (Messianic Prophecies in Acts)

📍 प्रेरितों 2:16-21योएल की भविष्यवाणी पूरी हुई, “मैं अपने आत्मा को उंडेलूँगा।”
📍 प्रेरितों 2:25-28दाऊद की भविष्यवाणी, “तू मेरे प्राणों को अधोलोक में न छोड़ेगा।”
📍 प्रेरितों 3:22-26मूसा की भविष्यवाणी, “एक भविष्यवक्ता उठेगा।”
📍 प्रेरितों 13:33-35यीशु का पुनरुत्थान भजन संहिता की पूर्ति है।


8️ निष्कर्ष (Conclusion)

प्रेरितों के काम हमें दिखाती है कि कैसे पवित्र आत्मा ने कलीसिया की नींव रखी और प्रेरितों को सामर्थ्य दी। यह हमें आज भी प्रेरित करती है कि हम पूरे संसार में सुसमाचार फैलाएँ और पवित्र आत्मा की अगुवाई में कार्य करें।


🔎 अध्ययन प्रश्न (Study Questions)

1️ प्रेरितों के काम 1:8 के अनुसार, विश्वासियों का मुख्य कार्य क्या है?
2️
 पिन्तेकुस्त के दिन क्या हुआ, और इसका क्या महत्व है?
3️
 साऊल से पौलुस का रूपांतरण हमारे लिए क्या सीख देता है?
4️
 प्रेरितों के काम हमें कलीसिया के बारे में क्या सिखाती है? 

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