1️ पुस्तक का परिचय (Introduction to 2 John)
2 यूहन्ना की पत्री नये नियम की सबसे छोटी पुस्तकों में से एक है। यह मुख्य रूप से एक मसीही समुदाय (संभवतः किसी चर्च या एक विशिष्ट महिला और उसके बच्चों) को लिखा गया था, जिसमें सत्य में बने रहने और झूठी शिक्षाओं से बचने की चेतावनी दी गई थी।
लेखक:
प्रेरित यूहन्ना (John the Apostle), यीशु मसीह के 12 शिष्यों में से एक
लिखने का समय:
85-95 ईस्वी के बीच (संभवतः इफिसुस से लिखी गई)
मुख्य उद्देश्य:
मसीही विश्वास को झूठी शिक्षाओं से सुरक्षित रखना।
सत्य और प्रेम में चलने की प्रेरणा देना।
विश्वासियों को यह सिखाना कि वे झूठे शिक्षकों का स्वागत न करें।
2️ मुख्य विषय (Themes of 2 John)
सत्य और प्रेम का संतुलन – मसीही जीवन में प्रेम के साथ सत्य आवश्यक है।
झूठे शिक्षकों से बचाव – ग़लत शिक्षाएँ मसीही विश्वास को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
मसीह में स्थिर रहना – जो लोग सत्य से दूर हो जाते हैं, वे परमेश्वर के साथ नहीं होते।
3️ पुस्तक की संरचना (Outline of 2 John)
खंड | विवरण | मुख्य पद |
1. अभिवादन | प्रेरित यूहन्ना का पत्र प्राप्तकर्ता को | 2 यूहन्ना 1:1-3 |
2. सत्य और प्रेम में चलना | परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना | 2 यूहन्ना 1:4-6 |
3. झूठे शिक्षकों से बचाव | धोखेबाजों से सावधान रहना | 2 यूहन्ना 1:7-11 |
4. अंतिम शुभकामनाएँ | व्यक्तिगत भेंट की इच्छा | 2 यूहन्ना 1:12-13 |
4️ प्रमुख शिक्षाएँ (Key Teachings in 2 John)
2 यूहन्ना 1:6 – “और प्रेम यह है कि हम उसकी आज्ञाओं के अनुसार चलें।” – प्रेम और आज्ञाकारिता का संबंध।
2 यूहन्ना 1:7 – “क्योंकि बहुत से धोखेबाज जगत में निकल गए हैं, जो यह नहीं मानते कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया।” – झूठे शिक्षकों से सावधान रहने की चेतावनी।
2 यूहन्ना 1:9 – “जो कोई मसीह के शिक्षा से आगे बढ़ जाता है और उसमें बना नहीं रहता, उसके पास परमेश्वर नहीं।” – मसीह की सच्ची शिक्षा में बने रहना।
2 यूहन्ना 1:10-11 – “यदि कोई तुम्हारे पास आए और यह शिक्षा न दे, तो उसे घर में न आने दो।” – झूठे शिक्षकों को बढ़ावा न देने की चेतावनी।
5️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from 2 John)
सत्य और प्रेम साथ-साथ चलते हैं।
झूठी शिक्षाओं से सतर्क रहना आवश्यक है।
परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना ही सच्चा प्रेम है।
विश्वासियों को सावधान रहना चाहिए कि वे ग़लत शिक्षकों का समर्थन न करें।
6️ प्रमुख पात्र (Key Figures in 2 John)
यूहन्ना – पत्री के लेखक, जो यीशु के प्रिय शिष्य थे।
चुनी हुई महिला और उसके बच्चे – पत्री के प्राप्तकर्ता (संभवतः एक चर्च या एक मसीही महिला)।
झूठे शिक्षक – वे जो यीशु के बारे में ग़लत बातें सिखाते थे।
7️ मसीही दृष्टिकोण (Christ in 2 John)
यीशु ही सत्य हैं (2 यूहन्ना 1:3)।
यीशु के बिना कोई भी परमेश्वर के पास नहीं आ सकता (2 यूहन्ना 1:9)।
जो यीशु के बारे में ग़लत सिखाते हैं, वे धोखेबाज हैं (2 यूहन्ना 1:7)।
8️ निष्कर्ष (Conclusion)
2 यूहन्ना की पत्री हमें सिखाती है कि सच्चा मसीही जीवन सत्य और प्रेम में जिया जाता है। यह हमें झूठी शिक्षाओं से बचने और परमेश्वर की आज्ञाओं में स्थिर रहने की प्रेरणा देती है।
अध्ययन प्रश्न (Study Questions)
1️ 2 यूहन्ना 1:6 के अनुसार, प्रेम का सही अर्थ क्या है?
2️ झूठे शिक्षकों की पहचान कैसे की जा सकती है?
3️ हमें झूठे शिक्षकों को घर में क्यों नहीं बुलाना चाहिए?
4️ सत्य और प्रेम के संतुलन को बनाए रखने के लिए हमें क्या करना चाहिए?