1️ पुस्तक का परिचय (Introduction to 3 John)
3 यूहन्ना नये नियम की सबसे छोटी पुस्तक है, लेकिन इसका संदेश गहरा है। यह एक व्यक्तिगत पत्र है जो गयुस नामक व्यक्ति को लिखा गया, जिसमें यूहन्ना ने उसे सत्य में बने रहने और अच्छे कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया।
लेखक:
प्रेरित यूहन्ना (John the Apostle), यीशु मसीह के 12 शिष्यों में से एक
लिखने का समय:
85-95 ईस्वी के बीच (संभवतः इफिसुस से लिखी गई)
मुख्य उद्देश्य:
सत्य में चलने और अच्छे कार्यों को बढ़ावा देना।
सच्चे सेवकों का समर्थन करना और मसीही आतिथ्य को बढ़ावा देना।
झूठे और अहंकारी नेताओं की पहचान करना।
2️ मुख्य विषय (Themes of 3 John)
सत्य में चलना – मसीही जीवन का आधार सत्य और ईमानदारी है।
मसीही आतिथ्य – सच्चे सेवकों और प्रचारकों का समर्थन करना चाहिए।
अहंकार और झूठे नेतृत्व से बचाव – आत्म-केन्द्रित और अधिकारवादी लोगों से सावधान रहना चाहिए।
अच्छे और बुरे के बीच का अंतर – हमें केवल उन्हीं का अनुसरण करना चाहिए जो अच्छा करते हैं।
3️ पुस्तक की संरचना (Outline of 3 John)
खंड | विवरण | मुख्य पद |
1. अभिवादन | यूहन्ना का गयुस को व्यक्तिगत पत्र | 3 यूहन्ना 1:1-4 |
2. गयुस की सच्ची सेवकाई | गयुस की भक्ति और आतिथ्य की प्रशंसा | 3 यूहन्ना 1:5-8 |
3. दियेत्रिफेस की निंदा | अहंकारी और झूठे नेतृत्व से सावधान रहने की चेतावनी | 3 यूहन्ना 1:9-10 |
4. दिमित्रियुस की सराहना | एक अच्छे विश्वासयोग्य का उदाहरण | 3 यूहन्ना 1:11-12 |
5. अंतिम शुभकामनाएँ | व्यक्तिगत मुलाकात की इच्छा | 3 यूहन्ना 1:13-14 |
4️ प्रमुख शिक्षाएँ (Key Teachings in 3 John)
3 यूहन्ना 1:4 – “मुझे इस से बढ़कर और कोई आनंद नहीं कि मैं सुनूँ कि मेरे लड़के-बाले सत्य में चलते हैं।” – सत्य में बने रहना मसीही जीवन की प्राथमिकता है।
3 यूहन्ना 1:5-6 – “प्रिय, जो कुछ तू भाइयों के साथ करता है, विशेष करके यात्रियों के साथ, वह विश्वासयोग्य होकर करता है।” – आतिथ्य और भलाई करने की शिक्षा।
3 यूहन्ना 1:9-10 – “मैं ने कलीसिया को कुछ लिखा था, परन्तु दियेत्रिफेस, जो उन में प्रधान बनना चाहता है, हमें ग्रहण नहीं करता।” – अहंकारी और झूठे नेताओं से सावधान रहना।
3 यूहन्ना 1:11 – “जो भला करता है, वह परमेश्वर से है; जो बुरा करता है, उसने परमेश्वर को नहीं देखा।” – अच्छे और बुरे का स्पष्ट भेद।
5️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from 3 John)
मसीही प्रेम और आतिथ्य महत्वपूर्ण हैं।
सत्य में चलना ही सच्चे विश्वास की पहचान है।
झूठे नेताओं की पहचान करना और उनसे बचना आवश्यक है।
हमें केवल अच्छे कार्यों का अनुसरण करना चाहिए, बुरे कार्यों से बचना चाहिए।
6️ प्रमुख पात्र (Key Figures in 3 John)
यूहन्ना – पत्री के लेखक, जो यीशु के प्रिय शिष्य थे।
गयुस – एक मसीही विश्वासी, जिसे पत्र लिखा गया, उसकी भक्ति और आतिथ्य की प्रशंसा की गई।
दियेत्रिफेस – एक अहंकारी और झूठा नेता, जिसने प्रेरितों की बातें नहीं मानीं।
दिमित्रियुस – एक अच्छा विश्वासयोग्य व्यक्ति, जिसकी ईमानदारी की सराहना की गई।
7️ मसीही दृष्टिकोण (Christ in 3 John)
यीशु ही सत्य हैं (3 यूहन्ना 1:4)।
यीशु ने हमें प्रेम और आतिथ्य का उदाहरण दिया (3 यूहन्ना 1:5)।
जो यीशु के अनुयायी हैं, वे सत्य में चलते हैं (3 यूहन्ना 1:11)।
8️ निष्कर्ष (Conclusion)
3 यूहन्ना की पत्री हमें सिखाती है कि सच्चे विश्वासियों का समर्थन करना और मसीही आतिथ्य को बढ़ावा देना कितना महत्वपूर्ण है। यह हमें अहंकारी और झूठे नेताओं से बचने की चेतावनी भी देती है और हमें सत्य में बने रहने के लिए प्रेरित करती है।
अध्ययन प्रश्न (Study Questions)
1️ 3 यूहन्ना 1:4 के अनुसार, मसीही जीवन में सत्य का क्या महत्व है?
2️ गयुस का आतिथ्य क्यों सराहा गया?
3️ दियेत्रिफेस के गलत रवैये से हम क्या सीख सकते हैं?
4️ हमें अच्छे और बुरे में भेद कैसे करना चाहिए?