Christianity in Uttarakhand
उत्तराखंड जो की देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है। हरी हरी वादियों और बेहद खूबसूरत प्राकृतिक नज़ारों से भरा है। ये क्षेत्र. पर उत्तराखंड की विविध संस्कृति और खूबसूरती के पीछे एक और दृश्य है जिसपर किसी का ध्यान नहीं जाता। वो है बेरोज़गारी, गरीबी, अंध विश्वास, जातिवाद, नशा, शराब, ये वो कुरीतियां हैं जो इस क्षेत्र की जड़ों में बसी हुई है।
इस अत्यंत सुन्दर क्षेत्र के अधिकतर गांव खाली पड़े हैं। लोग अपने पुश्तैनी घरों को छोड़ कर शहरी इलाकों में या बड़े बड़े शहरों में जाकर बस गए हैं और उनके घर या तो टूट चुके हैं जर्जर हालत में हैं और टूटने की कगार पर हैं।
ऐसी परिस्थिति में जब लोगों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है, नौकरी नहीं है तो उनका आसरा और उम्मीद ईश्वर पर होती है की ईश्वर उनकी सहायता करे। इसीलिए गरीबी की दशा में भी लोगो पूजा करना, भक्ति करना नहीं छोड़ते।
लेकिन क्या हो यदि लोग भक्ति करें, सारे रीती रिवाज़ों को अच्छे से निभाएं फिर भी उनके जीवन में मुश्किलें आएं और परेशानी से उनका जीवन भरा रहे ?
क्या हो यदि वे भक्ति करें फिर भी वे और उनका परिवार भूत प्रेत और दुष्टात्माओं से परेशान रहे ?
इसका परिणाम ये होगा की लोगों का विश्वास अपने ईश्वरों पर से उठ जायेगा और वे अन्य विकल्पों की खोज करने लगेंगे, और ऐसे में जिस अन्य ईश्वर पर वे विश्वास करें उस ईश्वर से प्रार्थना करेने से उनको ईश्वरीय जवाब मिलने लगे और वे सब प्रकार के डर से और भूत प्रेत और दुसतात्मओं से बचे रहे तो वे उस ही ईश्वर को अपना आराध्य बना लेंगे और उस ही के पीछे चलेंगे। ऐसा ही वर्त्तमान समय में उत्तराखंड में हो रहा है. क्षेत्र वासी तेज़ी से प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास ला रहे है और यीशु को अपना आराध्य ईश्वर के रूप में स्वीकार कर रहे हैं.
क्या उत्तराखंड में ईसाई हैं?
विरोधियों का आरोप है की ईसाई मिशनरी धोखे से, लालच से या अन्य तरीकों से लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित कर रहे हैं, जोकि एक हास्यास्पद और आधारहीन तर्क है. क्योंकि ये धर्म परिवर्तन नहीं बल्कि आस्था परिवर्तन है. और फिर धर्म ईश्वर ने नहीं बल्कि इंसानों ने अपने फायदे के लिए बनाये हैं.
वैसे भी इतने कम समय में इतनी बड़ी आबादी को उनके ईश्वर को छोड़कर किसी अन्य ईश्वर को मानने के लिए विवश करना असंभव है. वे लोग ये समझ ही नहीं पा रहे की जिन ईश्वरों की क्षेत्र वासी उपासना कर रहे थे उनसे जन साधारण को कोई ईश्वरीय जवाब नहीं मिल रहा था जोकि यीशु मसीह से उन्हें मिला. और फिर जहां लोगों को अपनी समस्याओं का समाधान मिलेगा और जहाँ उन्हें सत्य मिलेगा वे वहीँ जायेंगे।
ऐसी ही कुछ गवाहियों को देखकर आपको अंदाज़ा हो जायेगा की उत्तराखंड वासी क्यों तेज़ी से यीशु मसीह को अपना आराध्य स्वीकार कर रहे हैं.