बाबेल की मीनार – मानव अभिमान और परमेश्वर का हस्तक्षेप
¹ पूरी पृथ्वी पर सभी लोग एक ही भाषा बोलते थे और उनके शब्द समान थे। ² जब वे पूर्व की ओर यात्रा कर रहे थे, तो उन्हें शिनार नामक मैदान मिला और वे वहीं बस गए। ³ उन्होंने आपस में कहा, “आओ, हम मिट्टी की ईंटें बनाएँ और उन्हें आग में पकाएँ।” तब उन्होंने पत्थरों के स्थान पर ईंटों का और गारे के स्थान पर अलकतरे का उपयोग किया। ⁴ फिर उन्होंने कहा, “आओ, हम एक नगर और एक ऊँची मीनार बनाएँ, जिसकी चोटी आकाश तक पहुँचे, ताकि हम प्रसिद्ध हो जाएँ और पूरी पृथ्वी पर बिखर न जाएँ।”
⁵ तब परमेश्वर ने उतरकर उस नगर और मीनार को देखा, जिसे मनुष्यों ने बनाना शुरू किया था। ⁶ परमेश्वर ने कहा, “देखो, वे एक ही जाति के हैं और एक ही भाषा बोलते हैं। अब वे जो भी करने का निश्चय करेंगे, उसे रोकना कठिन होगा। ⁷ आओ, हम नीचे चलकर उनकी भाषा को ऐसा कर दें कि वे एक-दूसरे की बात न समझ सकें।” ⁸ इस प्रकार परमेश्वर ने उन्हें वहाँ से पूरी पृथ्वी पर फैला दिया, और वे उस नगर को बनाना छोड़ दिए। ⁹ इसलिए उस स्थान का नाम बाबेल रखा गया, क्योंकि वहीं परमेश्वर ने सारी पृथ्वी की भाषा को मिला दिया और वहीं से उसने मनुष्यों को पूरी पृथ्वी पर बिखेर दिया।
शेम की वंशावली – अब्राहम का पूर्वज परिवार
¹⁰ शेम की वंशावली इस प्रकार है – जब शेम 100 वर्ष का था, तब उसने जलप्रलय के दो साल बाद अर्पक्षद को जन्म दिया। ¹¹ इसके बाद वह 500 वर्ष तक जीवित रहा और उसके अन्य पुत्र-पुत्रियाँ हुईं।
¹² जब अर्पक्षद 35 वर्ष का था, तब उसने शेलह को जन्म दिया। ¹³ इसके बाद वह 403 वर्ष तक जीवित रहा और उसके अन्य संतानें हुईं।
¹⁴ जब शेलह 30 वर्ष का था, तब उसने एबर को जन्म दिया। ¹⁵ इसके बाद वह 403 वर्ष तक जीवित रहा और उसकी अन्य संतानें हुईं।
¹⁶ जब एबर 34 वर्ष का था, तब उसने पेलेग को जन्म दिया। ¹⁷ इसके बाद वह 430 वर्ष तक जीवित रहा और उसके अन्य संतानें हुईं।
¹⁸ जब पेलेग 30 वर्ष का था, तब उसने रेउ को जन्म दिया। ¹⁹ इसके बाद वह 209 वर्ष तक जीवित रहा और उसकी अन्य संतानें हुईं।
²⁰ जब रेउ 32 वर्ष का था, तब उसने सेरुग को जन्म दिया। ²¹ इसके बाद वह 207 वर्ष तक जीवित रहा और उसके अन्य संतानें हुईं।
²² जब सेरुग 30 वर्ष का था, तब उसने नाहोर को जन्म दिया। ²³ इसके बाद वह 200 वर्ष तक जीवित रहा और उसकी अन्य संतानें हुईं।
²⁴ जब नाहोर 29 वर्ष का था, तब उसने तेरह को जन्म दिया। ²⁵ इसके बाद वह 119 वर्ष तक जीवित रहा और उसकी अन्य संतानें हुईं।
²⁶ जब तेरह 70 वर्ष का था, तब उसने अब्राम, नाहोर और हारान को जन्म दिया।
अब्राम का परिवार
²⁷ तेरह की वंशावली इस प्रकार है – तेरह के तीन पुत्र हुए: अब्राम, नाहोर और हारान। हारान ने लूत को जन्म दिया। ²⁸ हारान अपने जन्मस्थान ऊर में ही मर गया, जब उसका पिता तेरह जीवित था। ²⁹ अब्राम और नाहोर ने विवाह किया। अब्राम की पत्नी का नाम सारै था, और नाहोर की पत्नी मिल्का थी, जो हारान की पुत्री थी। ³⁰ लेकिन सारै निःसंतान थी, उसके कोई संतान नहीं थी।
³¹ तब तेरह ने अपने पुत्र अब्राम, पोते लूत (जो हारान का पुत्र था), और बहू सारै को लिया और वे ऊर से कनान देश की ओर जाने के लिए निकले। लेकिन जब वे हारान पहुँचे, तो वहीं बस गए। ³² तेरह 205 वर्ष जीवित रहा और हारान में उसकी मृत्यु हो गई।
महत्वपूर्ण सीख (Important Lessons to Learn)
- मनुष्य की योजना बनाम परमेश्वर की योजना: बाबेल की मीनार के निर्माण में मनुष्यों ने अपनी महिमा और एकता को प्राथमिकता दी, लेकिन परमेश्वर ने उन्हें बिखेरकर अपनी संप्रभुता को दिखाया।
- परमेश्वर की इच्छा पूरी होती है: परमेश्वर चाहता था कि मनुष्य पूरी पृथ्वी पर फैले, लेकिन जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो उसने स्वयं उन्हें बिखेर दिया।
- अब्राम की बुलाहट की तैयारी: उत्पत्ति 11 से हमें अब्राम के परिवार का परिचय मिलता है, जो आगे चलकर परमेश्वर की विशेष योजना का हिस्सा बनेगा।
उत्पत्ति अध्याय 11 से संबंधित प्रश्न-उत्तर
1. बाबेल की मीनार क्यों बनाई गई थी?
उत्तर: मनुष्यों ने एक ऊँची मीनार बनानी चाही ताकि वे प्रसिद्ध हो जाएँ और पृथ्वी पर बिखरने से बच सकें।
2. परमेश्वर ने बाबेल की मीनार के निर्माण को क्यों रोका?
उत्तर: परमेश्वर ने उनकी भाषा को बदल दिया ताकि वे एक-दूसरे को न समझ सकें और उन्हें पूरी पृथ्वी पर फैला दिया, क्योंकि उनकी योजना उसकी इच्छा के विरुद्ध थी।
3. शेम के वंशजों में कौन प्रमुख था?
उत्तर: शेम के वंशजों में अर्पक्षद, शेलह, एबर, पेलेग, रेउ, सेरुग, नाहोर और तेरह प्रमुख थे, और तेरह के पुत्र अब्राम (अब्राहम) हुए।
4. अब्राम कौन था और वह कहाँ से आया था?
उत्तर: अब्राम तेरह का पुत्र था, जो ऊर से कनान देश की ओर निकला, लेकिन पहले हारान में ठहरा।
5. सारै के बारे में क्या विशेष बात थी?
उत्तर: सारै निःसंतान थी और उसके कोई संतान नहीं थी।