अब्राम और लूत की बढ़ती संपत्ति
¹ अब्राम, अपनी पत्नी और अपनी सारी संपत्ति के साथ, मिस्र से कनान देश में वापस आया। लूत भी उसके साथ था। ² अब्राम बहुत धनवान हो चुका था; उसके पास सोना, चाँदी और पशुओं की बड़ी संपत्ति थी। ³ वह यात्रा करते हुए बैतेल और ऐ के बीच उस स्थान पर पहुँचा, जहाँ पहले उसने वेदी बनाई थी। ⁴ वहीं उसने पुनः परमेश्वर से प्रार्थना की।
लूत और अब्राम का अलग होना
⁵ लूत के पास भी बहुत सी भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल और तंबू थे। ⁶ लेकिन जिस देश में वे रह रहे थे, वह उनके दोनों के लिए पर्याप्त नहीं था, क्योंकि उनके पास इतनी अधिक संपत्ति थी कि वे एक साथ नहीं रह सकते थे। ⁷ उनके चरवाहों के बीच झगड़े होने लगे, और उस समय कनानी और परिज्जी लोग भी उस देश में रहते थे।
⁸ तब अब्राम ने लूत से कहा, “हम भाई हैं, इसलिए हमारे बीच और हमारे चरवाहों के बीच झगड़ा न हो। ⁹ यह सारा देश तेरे सामने है। यदि तू बाईं ओर जाएगा, तो मैं दाईं ओर जाऊँगा, और यदि तू दाईं ओर जाएगा, तो मैं बाईं ओर जाऊँगा।”
¹⁰ लूत ने चारों ओर देखा और देखा कि यरदन की तराई बहुत उपजाऊ थी। यह स्थान सोअर तक फैला था और देखने में परमेश्वर की वाटिका और मिस्र देश के समान था। ¹¹ इसलिए लूत ने यरदन की पूरी तराई को अपने लिए चुन लिया और वहाँ चला गया। वे दोनों अलग हो गए। ¹² अब्राम कनान में रहने लगा, जबकि लूत तराई के नगरों में बस गया और अपना डेरा सोदोम के पास लगाया। ¹³ लेकिन सोदोम के लोग बहुत दुष्ट और परमेश्वर के सामने बड़े पापी थे।
परमेश्वर की अब्राम को प्रतिज्ञा
¹⁴ जब लूत अब्राम से अलग हो गया, तो परमेश्वर ने अब्राम से कहा, “अपनी आँखें उठाकर चारों दिशाओं में देख। ¹⁵ यह सारा देश, जो तू देख रहा है, मैं तुझे और तेरी संतान को सदा के लिए दूँगा। ¹⁶ मैं तेरी संतान को धरती की धूल के समान कर दूँगा, इतनी अधिक कि यदि कोई धरती की धूल को गिन सके, तो तेरी संतान को भी गिना जा सकेगा। ¹⁷ उठ और इस देश की लंबाई और चौड़ाई में घूम-फिरकर देख, क्योंकि मैं इसे तुझे दूँगा।”
¹⁸ तब अब्राम ने डेरा उठाया और हेब्रोन में मम्रे के बांजवृक्षों के पास आकर बस गया। वहीं उसने परमेश्वर के लिए एक वेदी बनाई।
महत्वपूर्ण सीख (Important Lessons to Learn)
- अच्छे संबंधों के लिए बलिदान: अब्राम ने लूत से झगड़ा न करने के लिए अलग होने का प्रस्ताव रखा, जो बताता है कि शांति और प्रेम रिश्तों में सबसे महत्वपूर्ण हैं।
- संपत्ति के बजाय परमेश्वर की योजना को चुनें: लूत ने अपनी दृष्टि से सबसे अच्छा भाग चुना, लेकिन अंततः वह गलत स्थान पर जा बसा। अब्राम ने परमेश्वर पर भरोसा किया, और उसे आशीष मिली।
- परमेश्वर की प्रतिज्ञा अटल होती है: परमेश्वर ने अब्राम को पूरे देश का उत्तराधिकारी बनाने का वादा किया, जो आगे जाकर पूरा हुआ।
उत्पत्ति अध्याय 13 से संबंधित प्रश्न-उत्तर
1. अब्राम मिस्र से वापस कहाँ आया?
उत्तर: अब्राम अपनी पत्नी और संपत्ति के साथ कनान देश में वापस आया।
2. अब्राम और लूत के बीच क्या समस्या थी?
उत्तर: उनके चरवाहों के बीच झगड़े होने लगे, क्योंकि उनके पास इतनी संपत्ति थी कि वे एक साथ नहीं रह सकते थे।
3. लूत ने कौन-सा स्थान चुना?
उत्तर: लूत ने यरदन की उपजाऊ तराई को चुना और सोदोम के पास बस गया।
4. परमेश्वर ने अब्राम को क्या प्रतिज्ञा दी?
उत्तर: परमेश्वर ने अब्राम से कहा कि वह उसे और उसकी संतानों को सारा देश सदा के लिए देगा और उसकी संतानों को धरती की धूल के समान बढ़ाएगा।
5. अब्राम कहाँ जाकर बसा?
उत्तर: अब्राम हेब्रोन में मम्रे के बांजवृक्षों के पास जाकर बसा और वहाँ परमेश्वर के लिए एक वेदी बनाई।