परमेश्वर की प्रतिज्ञा और अब्राम का विश्वास
¹ इन घटनाओं के बाद, परमेश्वर ने एक दर्शन में अब्राम से कहा, “अब्राम, मत डरो; मैं तुम्हारी ढाल हूँ, और तुम्हारा बहुत बड़ा प्रतिफल हूँ।” ² लेकिन अब्राम ने उत्तर दिया, “हे प्रभु यहोवा, मेरे पास संतान नहीं है, तो आप मुझे क्या देंगे? मेरा वारिस दमिश्क का एलीएजेर होगा।” ³ अब्राम ने आगे कहा, “आपने मुझे संतान नहीं दी, इसलिए मेरा घर में जन्मा दास ही मेरा वारिस बनेगा।” ⁴ तब परमेश्वर ने कहा, “यह दास तेरा वारिस नहीं होगा; बल्कि तेरा अपना पुत्र ही तेरा वारिस होगा।” ⁵ फिर परमेश्वर ने अब्राम को बाहर ले जाकर कहा, “आकाश की ओर देखो और तारों को गिनो, यदि तुम गिन सको।” फिर उसने कहा, “तेरा वंश ऐसा ही अनगिनत होगा।” ⁶ अब्राम ने परमेश्वर पर विश्वास किया, और परमेश्वर ने इसे उसकी धार्मिकता गिना।
देश की प्रतिज्ञा और वाचा की स्थापना
⁷ फिर परमेश्वर ने कहा, “मैं वही यहोवा हूँ, जो तुझे कसदियों के ऊर से निकालकर लाया, ताकि यह देश तुझे विरासत में दूँ।” ⁸ अब्राम ने पूछा, “हे प्रभु यहोवा, मैं कैसे जानूँ कि मैं इसे प्राप्त करूँगा?” ⁹ तब परमेश्वर ने कहा, “मेरे लिए तीन वर्ष की एक गाय, तीन वर्ष की एक बकरी, तीन वर्ष का एक मेढ़ा, एक पिण्डुक और एक कबूतर का बच्चा ले आओ।” ¹⁰ अब्राम ने ये सब लाकर उन्हें बीच से दो भागों में काटा और टुकड़ों को एक-दूसरे के सामने रखा, लेकिन पक्षियों को नहीं काटा। ¹¹ जब शिकारी पक्षी उन टुकड़ों पर उतरने लगे, तो अब्राम ने उन्हें भगा दिया। ¹² सूर्य अस्त होने पर, अब्राम गहरी नींद में सो गया, और उस पर घोर अंधकार और भय छा गया। ¹³ तब परमेश्वर ने कहा, “निश्चय जान कि तेरा वंश पराए देश में परदेशी होगा, जहाँ वे उन्हें दास बनाएँगे और चार सौ वर्ष तक उन पर अत्याचार करेंगे। ¹⁴ लेकिन जिस राष्ट्र की वे दासता करेंगे, मैं उसे दंड दूँगा, और उसके बाद वे बड़ी संपत्ति लेकर निकलेंगे। ¹⁵ तू शांति से अपने पितरों के पास जाएगा और पूर्ण आयु में दफनाया जाएगा। ¹⁶ चौथी पीढ़ी में वे यहाँ लौट आएँगे, क्योंकि अब तक एमोरियों का अधर्म पूरा नहीं हुआ है।” ¹⁷ जब सूर्य अस्त हो गया और घना अंधकार छा गया, तो एक धुएँ वाली भट्ठी और जलती हुई मशाल उन टुकड़ों के बीच से होकर गुजरी। ¹⁸ उसी दिन परमेश्वर ने अब्राम से वाचा बाँधी और कहा, “मैंने मिस्र की नदी से लेकर महानद फरात तक का यह देश तेरे वंश को दिया है: ¹⁹ केनी, कनिज्जी, कदमोनी, ²⁰ हित्ती, परिज्जी, रपाई, ²¹ एमोरी, कनानी, गिर्गाशी और यबूसी।”
महत्वपूर्ण सीख (Important Lessons to Learn)
- विश्वास की शक्ति: अब्राम ने परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर विश्वास किया, और यह विश्वास उसकी धार्मिकता माना गया। यह हमें सिखाता है कि परमेश्वर पर अटूट विश्वास रखना चाहिए।
- धैर्य और प्रतीक्षा: परमेश्वर की योजनाएँ समय ले सकती हैं, लेकिन वे निश्चित रूप से पूरी होती हैं। हमें धैर्यपूर्वक उसकी समयसीमा का सम्मान करना चाहिए।
- वाचा की पवित्रता: परमेश्वर ने अब्राम के साथ वाचा बाँधी, जो उसकी प्रतिज्ञाओं की पवित्रता और सत्यता को दर्शाता है। यह हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर अपने वचनों के प्रति सच्चा है।
उत्पत्ति अध्याय 15 से संबंधित प्रश्न-उत्तर
1. परमेश्वर ने अब्राम से दर्शन में क्या कहा?
उत्तर: परमेश्वर ने कहा, “अब्राम, मत डरो; मैं तुम्हारी ढाल हूँ, और तुम्हारा बहुत बड़ा प्रतिफल हूँ।”
2. अब्राम ने अपनी संतानहीनता के बारे में परमेश्वर से क्या कहा?
उत्तर: अब्राम ने कहा कि उसके पास संतान नहीं है, और उसका वारिस उसके घर में जन्मा दास, दमिश्क का एलीएजेर होगा।
3. परमेश्वर ने अब्राम को क्या प्रतिज्ञा दी?
उत्तर: परमेश्वर ने कहा कि अब्राम का अपना पुत्र होगा, जो उसका वारिस बनेगा, और उसका वंश आकाश के तारों के समान अनगिनत होगा।
4. परमेश्वर ने अब्राम से वाचा बाँधते समय कौन-कौन से जानवर माँगे?
उत्तर: परमेश्वर ने तीन वर्ष की एक गाय, तीन वर्ष की एक बकरी, तीन वर्ष का एक मेढ़ा, एक पिण्डुक और एक कबूतर का बच्चा माँगा।
5. परमेश्वर ने अब्राम को उसके वंश के भविष्य के बारे में क्या बताया?
उत्तर: परमेश्वर ने बताया कि अब्राम का वंश पराए देश में चार सौ वर्ष तक दासता और अत्याचार सहेगा, लेकिन फिर वे उस देश से बड़ी संपत्ति के साथ निकलेंगे।
6. वाचा बाँधते समय क्या अद्भुत घटना घटी?
उत्तर: सूर्य अस्त होने के बाद, एक धुएँ वाली भट्ठी और जलती हुई मशाल जानवरों के टुकड़ों के बीच से होकर गुजरी, जो परमेश्वर की उपस्थिति का प्रतीक था।