इसहाक के लिए पत्नी की खोज
¹ अब्राहम बहुत वृद्ध हो चुका था और परमेश्वर ने उसे हर बात में आशीष दी थी। ² तब उसने अपने घर के सबसे पुराने और भरोसेमंद सेवक को बुलाया, जो उसकी सारी संपत्ति का देखभाल करता था, और उससे कहा, “अपना हाथ मेरी जंघा के नीचे रख। ³ मैं तुझे यह शपथ दिलाता हूँ कि तू मेरे पुत्र इसहाक के लिए इस देश के कनानी लोगों में से पत्नी नहीं लाएगा, ⁴ बल्कि तू मेरे देश, मेरे संबंधियों के पास जाएगा और वहाँ से मेरे पुत्र के लिए पत्नी लाएगा।”
सेवक का हर्रान की यात्रा
⁵ सेवक ने कहा, “यदि वह स्त्री मेरे साथ यहाँ आने को तैयार न हो, तो क्या मैं आपके पुत्र को उस देश में वापस ले जाऊँ, जहाँ से आप आए थे?” ⁶ अब्राहम ने कहा, “नहीं, तू मेरे पुत्र को वहाँ न ले जाना। ⁷ परमेश्वर, जिसने मुझे मेरे पिता के घर से बाहर बुलाया और मुझसे प्रतिज्ञा की, वह स्वर्गदूत को तेरे आगे भेजेगा ताकि तू वहाँ से मेरे पुत्र के लिए पत्नी ला सके। ⁸ लेकिन यदि वह स्त्री तेरे साथ आने को तैयार न हो, तो तू इस शपथ से मुक्त रहेगा, परंतु मेरे पुत्र को वहाँ मत ले जाना।” ⁹ तब सेवक ने अपने स्वामी अब्राहम के कहे अनुसार उसकी जंघा के नीचे हाथ रखकर शपथ ली।
रिबका से मुलाकात
¹⁰ सेवक ने अपने स्वामी के दस ऊँट लिए और बहुत से उपहार लेकर नाहर के नगर हर्रान की ओर चल पड़ा। ¹¹ जब वह नगर के बाहर पहुँचा, तो उसने एक कुएँ के पास ऊँटों को बैठाया। वह संध्या का समय था, जब स्त्रियाँ जल भरने आती थीं। ¹² तब उसने प्रार्थना की, “हे मेरे स्वामी अब्राहम के परमेश्वर, कृपया मेरी यात्रा को सफल बना और मेरे स्वामी पर कृपा कर। ¹³ देख, मैं जल के कुएँ के पास खड़ा हूँ और नगर की पुत्रियाँ जल भरने आ रही हैं। ¹´ मैं किसी लड़की से कहूँगा, ‘कृपया अपना घड़ा नीचे कर कि मैं जल पी सकूँ,’ और यदि वह कहे, ‘पी और मैं तेरे ऊँटों के लिए भी जल भरूँगी,’ तो समझूँगा कि वही स्त्री मेरे स्वामी के पुत्र के लिए चुनी गई है।”
¹⁵ वह यह कह ही रहा था कि रिबका आ गई। वह अब्राहम के भाई नाहर की पत्नी मिल्का और बेटूएल की बेटी थी। ¹⁶ वह बहुत सुंदर और कुँवारी थी। उसने अपने घड़े में जल भरा और वापस आने लगी। ¹⁷ सेवक दौड़कर उसके पास गया और कहा, “कृपया मुझे अपने घड़े से थोड़ा जल पिला।” ¹⁸ उसने कहा, “हाँ, पीजिए।” ¹⁹ फिर उसने कहा, “मैं आपके ऊँटों के लिए भी जल भरूँगी।” ²⁰ तब वह जल्दी से पानी निकालकर ऊँटों के लिए भरने लगी।
विवाह का प्रस्ताव
²¹ सेवक चुपचाप देखता रहा कि क्या परमेश्वर ने उसकी यात्रा को सफल बनाया है। ²² जब ऊँटों ने पानी पी लिया, तो सेवक ने कृतज्ञता स्वरूप रिबका को एक सोने की नथ और दो सोने के कंगन पहनाए। ²³ फिर पूछा, “तू किसकी बेटी है? क्या तेरे पिता के घर हमारे ठहरने की जगह है?” ²´ उसने उत्तर दिया, “मैं बेटूएल की बेटी हूँ, जो मिल्का और नाहर का पुत्र है।” ²µ फिर उसने कहा, “हमारे पास आपके ऊँटों के लिए भी जगह है।”
सेवक की कृतज्ञता
²⁶ तब सेवक ने सिर झुकाकर परमेश्वर की उपासना की ²⁷ और कहा, “धन्य है मेरे स्वामी अब्राहम का परमेश्वर, जिसने अपने प्रेम और सच्चाई को नहीं छोड़ा। उसने मुझे मेरे स्वामी के भाई के घर तक पहुँचा दिया।” ²⁸ रिबका दौड़कर अपने घर गई और अपनी माता को यह सब बताया। ²⁹ उसका भाई लाबान दौड़ता हुआ कुएँ के पास सेवक के पास आया। ³⁰ जब उसने अपनी बहन की नथ और कंगन देखे और सुना कि सेवक ने क्या कहा, तो उसने सेवक को घर बुलाया।
महत्वपूर्ण सीख
- परमेश्वर की अगुवाई: सेवक की प्रार्थना का उत्तर तुरंत मिला, जिससे पता चलता है कि परमेश्वर हमारी प्रार्थना सुनते हैं।
- विश्वास और आज्ञाकारिता: रिबका ने बिना किसी संकोच के परमेश्वर की योजना को स्वीकार किया।
- ध्यान और परमेश्वर पर निर्भरता: इसहाक ध्यान करने के लिए गया था, और उसी समय परमेश्वर ने उसे उसकी पत्नी दी।
- परमेश्वर की योजना पूर्ण होती है: परमेश्वर ने अब्राहम से जो वचन दिया था, उसे पूरा किया।
उत्पत्ति अध्याय 24 से संबंधित प्रश्न एवं उत्तर
प्रश्न 1: अब्राहम ने अपने सेवक को किस बात की शपथ दिलाई?
उत्तर: अब्राहम ने सेवक को शपथ दिलाई कि वह इसहाक के लिए कनानी स्त्रियों में से पत्नी न लाए, बल्कि उसके संबंधियों के पास जाकर पत्नी चुने।
प्रश्न 2: सेवक ने कैसे पहचाना कि रिबका परमेश्वर द्वारा चुनी गई है?
उत्तर: सेवक ने प्रार्थना की थी कि जो लड़की न केवल उसे पानी दे, बल्कि ऊँटों को भी जल पिलाए, वही सही होगी।
प्रश्न 3: रिबका इसहाक से मिलने पर क्या करती है?
उत्तर: जब रिबका ने इसहाक को देखा, तो उसने घूँघट ओढ़ लिया।