राहेल की संतान न होने का दुःख
¹ जब राहेल ने देखा कि वह याकूब के लिए संतान नहीं उत्पन्न कर पा रही है, तो वह अपनी बहन से ईर्ष्या करने लगी। उसने याकूब से कहा, “मुझे संतान दे, नहीं तो मैं मर जाऊँगी!” ² याकूब को क्रोध आया और उसने कहा, “क्या मैं परमेश्वर के स्थान पर हूँ, जिसने तुझे संतान न दी?”
³ तब राहेल ने कहा, “यह मेरी दासी बिल्हा है, इसे मैं तुझे देती हूँ। तू इससे संतान उत्पन्न कर, जिससे मैं उसके द्वारा मातृत्व प्राप्त कर सकूँ।” ⁴ राहेल ने अपनी दासी बिल्हा को याकूब की पत्नी बना दिया, और याकूब उसके पास गया। ⁵ बिल्हा गर्भवती हुई और उसने याकूब के लिए एक पुत्र को जन्म दिया। ⁶ राहेल ने कहा, “परमेश्वर ने मेरा न्याय किया और मेरी प्रार्थना सुनी,” इसलिए उसने उसका नाम दान रखा।
⁷ फिर बिल्हा ने एक और पुत्र को जन्म दिया। ⁸ राहेल ने कहा, “मैंने अपनी बहन से बहुत संघर्ष किया और मैंने जीत हासिल की,” इसलिए उसने उसका नाम नप्ताली रखा।
लेआ की दासी से पुत्रों का जन्म
⁹ जब लेआ ने देखा कि वह अब संतान उत्पन्न नहीं कर रही है, तो उसने अपनी दासी जिल्पा को याकूब को पत्नी बना दिया। ¹⁰ जिल्पा ने याकूब के लिए एक पुत्र को जन्म दिया। ¹¹ लेआ ने कहा, “भाग्य आया!” इसलिए उसने उसका नाम गाद रखा।
¹² फिर जिल्पा ने दूसरा पुत्र उत्पन्न किया। ¹³ लेआ ने कहा, “मैं कितनी सुखी हूँ, क्योंकि स्त्रियाँ मुझे धन्य कहेंगी,” इसलिए उसने उसका नाम आशेर रखा।
रूबेन द्वारा मंदाकिनी (प्रजनन बढ़ाने वाली जड़ी-बूटी)
¹⁴ कटाई के समय, रूबेन ने एक मंदाकिनी का पौधा (mandrakes) खेत में पाया और उसे अपनी माँ लेआ को दिया। ¹⁵ राहेल ने लेआ से कहा, “तेरी मंदाकिनी मुझे दे।” लेआ ने उत्तर दिया, “क्या यह छोटी बात थी कि तूने मेरा पति छीन लिया? अब तू मेरे बेटे की मंदाकिनी भी लेना चाहती है?” ¹⁶ तब राहेल ने कहा, “आज रात याकूब तेरे पास रहेगा, बदले में तू मुझे मंदाकिनी दे।”
¹⁷ यहोवा ने लेआ की प्रार्थना सुनी, और उसने एक और पुत्र को जन्म दिया। ¹⁸ उसने कहा, “परमेश्वर ने मुझे पुरस्कार दिया है क्योंकि मैंने अपने पति को अपनी दासी दी थी,” इसलिए उसने उसका नाम इस्साकार रखा।
¹⁹ फिर लेआ ने एक और पुत्र को जन्म दिया। ²⁰ उसने कहा, “परमेश्वर ने मुझे एक अच्छा दान दिया है, अब मेरा पति मेरे साथ अधिक रहेगा,” और उसने उसका नाम जबूलून रखा। ²¹ बाद में उसने एक बेटी को जन्म दिया और उसका नाम दीनाह रखा।
राहेल का पुत्र – यूसुफ का जन्म
²² परमेश्वर ने राहेल की प्रार्थना सुनी और उसकी कोख खोल दी। ²³ उसने गर्भधारण किया और एक पुत्र को जन्म दिया। राहेल ने कहा, “परमेश्वर ने मेरी लज्जा दूर की!” ²⁴ और उसने उसका नाम यूसुफ रखा, यह कहकर, “यहोवा मुझे एक और पुत्र दे!”
याकूब का लाबान से अलग होना
²⁵ जब राहेल ने यूसुफ को जन्म दिया, तो याकूब ने लाबान से कहा, “अब मुझे जाने दे, ताकि मैं अपने देश और अपने स्थान पर लौट जाऊँ।” ²⁶ “मेरी पत्नियाँ और संतानें, जिनके लिए मैंने सेवा की, मुझे दे दे, ताकि मैं चला जाऊँ, क्योंकि तू जानता है कि मैंने तेरी कैसी सेवा की है।” ²⁷ लाबान ने कहा, “मैंने जाना है कि यहोवा ने तेरे कारण मुझे आशीष दी है।” ²⁸ “मुझे बता, तुझे क्या मजदूरी चाहिए, मैं दूँगा।”
²⁹ याकूब ने कहा, “तू जानता है कि मैंने तेरी कैसी सेवा की और तेरे पशुओं को कैसे बढ़ाया।” ³⁰ “जब मैं यहाँ आया, तब तेरा बहुत थोड़ा था, लेकिन अब यह बहुत बढ़ गया है। अब समय है कि मैं अपने परिवार के लिए भी कुछ करूँ।” ³¹ लाबान ने कहा, “मुझे बता, तेरी मजदूरी क्या होगी?”
³² याकूब ने कहा, “तेरे झुंड में से हर चितकबरा, धारीदार, और काला भेड़-बकरियों को मुझे दे दे, वही मेरी मजदूरी होगी।” ³³ “जब कभी तू मेरी ईमानदारी की जाँच करेगा, तो देख सकेगा कि जो भी पशु मेरे पास बिना चिह्नों का पाया जाए, वह चोरी माना जाए।” ³⁴ लाबान ने कहा, “ठीक है, जैसा तू कहता है, वैसा ही हो।”
याकूब का धन-सम्पत्ति में बढ़ना
³⁵ उसी दिन लाबान ने चितकबरे और धारीदार बकरे और सभी काली भेड़ों को अलग किया और उन्हें अपने बेटों के पास भेज दिया। ³⁶ और उसने याकूब और अपने बीच तीन दिन की दूरी बना ली। ³⁷ तब याकूब ने एक उपाय किया—उसने ताज़े हरे वृक्षों की टहनियों को लेकर उनकी छाल छीलकर सफेद धारीदार बना दिया।
³⁸ जब मजबूत और स्वस्थ पशु पानी पीने आते थे, तब वह उन टहनियों को उनके सामने रखता था, जिससे वे उसी प्रकार के धारीदार और चितकबरे बछड़े उत्पन्न करते थे। ³⁹ इस प्रकार याकूब के पास मजबूत पशु होते गए और कमजोर पशु लाबान के पास रहते थे।
⁴³ याकूब अत्यधिक समृद्ध हुआ और उसके पास बहुत से भेड़-बकरियाँ, ऊँट-गधे, और दास-दासियाँ हो गईं।
उत्पत्ति अध्याय 30 से संबंधित महत्वपूर्ण सीख
- प्रार्थना से परमेश्वर उत्तर देता है। राहेल और लेआ ने परमेश्वर से संतान के लिए प्रार्थना की, और उन्हें संतानें मिलीं।
- धैर्य और विश्वास से आशीष मिलती है। याकूब ने ईमानदारी से मेहनत की, और परमेश्वर ने उसे समृद्ध किया।
- परमेश्वर न्याय करता है। लाबान ने याकूब को बार-बार धोखा दिया, लेकिन अंततः याकूब को आशीष मिली।
- बुद्धिमत्ता से कार्य करना आवश्यक है। याकूब ने अपने पशुओं को बढ़ाने के लिए एक चतुर योजना बनाई, जिससे वह समृद्ध हुआ।
उत्पत्ति अध्याय 30 से संबंधित प्रश्न एवं उत्तर
प्रश्न 1: राहेल ने संतान प्राप्त करने के लिए क्या किया?
उत्तर: उसने अपनी दासी बिल्हा को याकूब को पत्नी के रूप में दे दिया।
प्रश्न 2: मंदाकिनी (mandrakes) के पौधे का क्या महत्व था?
उत्तर: इसे प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए माना जाता था, और राहेल इसे प्राप्त करने के लिए उत्सुक थी।
प्रश्न 3: याकूब की मजदूरी क्या थी?
उत्तर: वह चितकबरे, धारीदार और काले भेड़-बकरियाँ लेने के लिए सहमत हुआ।
प्रश्न 4: याकूब ने अपनी समृद्धि कैसे बढ़ाई?
उत्तर: उसने टहनियों का उपयोग कर एक चतुर योजना बनाई, जिससे उसके झुंड बढ़ते गए।