कैन और हाबिल का जन्म
¹ फिर आदम ने अपनी पत्नी हवा के साथ संबंध बनाए, और उसने गर्भधारण करके कैन को जन्म दिया। उसने कहा, “मैंने यहोवा की सहायता से एक पुरुष को जन्म दिया है।” ² फिर उसने उसके भाई हाबिल को जन्म दिया। हाबिल एक चरवाहा बन गया, जबकि कैन भूमि की खेती करने वाला किसान बना।
कैन और हाबिल का बलिदान
³ कुछ समय बाद, कैन ने भूमि की उपज में से यहोवा के लिए भेंट चढ़ाई। ⁴ लेकिन हाबिल ने अपनी भेड़ों के झुंड में से कुछ पहली और सबसे अच्छी भेड़ें चढ़ाईं। यहोवा ने हाबिल और उसकी भेंट को स्वीकार किया, ⁵ परंतु कैन और उसकी भेंट को उसने स्वीकार नहीं किया। इससे कैन बहुत क्रोधित हो गया और उसका चेहरा उदास हो गया।
परमेश्वर की चेतावनी और कैन का पाप
⁶ यहोवा ने कैन से कहा, “तू क्यों क्रोधित है? तेरा चेहरा क्यों उतर गया है? ⁷ यदि तू अच्छा करेगा, तो क्या तुझे स्वीकार नहीं किया जाएगा? लेकिन यदि तू अच्छा नहीं करेगा, तो पाप द्वार पर धूर्तता से बैठा है, जो तुझे वश में करना चाहता है, परंतु तुझे उस पर अधिकार पाना चाहिए।”
कैन द्वारा हाबिल की हत्या
⁸ फिर कैन ने अपने भाई हाबिल से कहा, “आओ, हम मैदान में चलें।” जब वे दोनों मैदान में थे, तब कैन ने अपने भाई हाबिल पर हमला करके उसे मार डाला।
परमेश्वर का न्याय और कैन का श्राप
⁹ तब यहोवा ने कैन से पूछा, “तेरा भाई हाबिल कहाँ है?” कैन ने उत्तर दिया, “मुझे नहीं पता। क्या मैं अपने भाई का रखवाला हूँ?” ¹⁰ यहोवा ने कहा, “तूने क्या किया? तेरे भाई का खून भूमि से मेरी ओर पुकार रहा है! ¹¹ अब तू श्रापित रहेगा और भूमि तुझे अपनी उपज देना बंद कर देगी। ¹² जब तू भूमि की खेती करेगा, तो वह तुझे अच्छा फल नहीं देगी, और तू धरती पर भटकता हुआ भागता फिरेगा।”
कैन का डर और परमेश्वर की दया
¹³ कैन ने यहोवा से कहा, “मेरा दंड इतना बड़ा है कि मैं उसे सहन नहीं कर सकता! ¹⁴ आज तू मुझे इस भूमि से भगा रहा है, और मैं तुझसे छिप जाऊँगा। जो कोई मुझे पाएगा, वह मुझे मार डालेगा।” ¹⁵ यहोवा ने उससे कहा, “नहीं, यदि कोई कैन को मारेगा, तो उससे सात गुना बदला लिया जाएगा।” तब यहोवा ने कैन पर एक चिह्न लगा दिया, ताकि कोई भी उसे मार न सके। ¹⁶ फिर कैन यहोवा के सामने से चला गया और नोद देश में जाकर बस गया।
कैन के वंशज और सभ्यता की शुरुआत
¹⁷ फिर कैन ने अपनी पत्नी से संबंध बनाए, और उसने हनोक को जन्म दिया। तब कैन ने एक नगर बसाया और अपने पुत्र के नाम पर उसका नाम हनोक रखा। ¹⁸ हनोक से इराद जन्मा, इराद से महूयाएल, महूयाएल से मतूशाएल और मतूशाएल से लामेक जन्मा।
लामेक का अहंकार और हिंसा
¹⁹ लामेक ने दो पत्नियाँ लीं; एक का नाम आदा और दूसरी का नाम सिल्ला था। ²⁰ आदा के पुत्र का नाम याबाल था, जो उन लोगों का मूल पिता बना जो तंबू में रहते और पशु चराते हैं। ²¹ उसके भाई का नाम यूबाल था, जो वीणा और बांसुरी बजाने वालों का मूल पिता बना। ²² सिल्ला ने तूबाल-कैन को जन्म दिया, जो काँस्य और लोहे के औजार बनाने में कुशल था।
²³ एक दिन लामेक ने अपनी पत्नियों से कहा, “हे आदा और सिल्ला, मेरी बात सुनो! मैंने एक आदमी को मारा है, क्योंकि उसने मुझे चोट पहुँचाई थी। ²⁴ यदि कैन के लिए सात गुना प्रतिशोध लिया गया, तो लामेक के लिए सत्तर गुना लिया जाएगा।”
शेठ का जन्म और परमेश्वर की आराधना
²⁵ फिर आदम ने अपनी पत्नी से संबंध बनाए, और उसने एक और पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम उसने शेठ रखा, क्योंकि उसने कहा, “परमेश्वर ने हाबिल के स्थान पर मुझे एक और संतान दी, जिसे कैन ने मार दिया था।” ²⁶ शेठ का भी एक पुत्र हुआ, जिसका नाम उसने एनोश रखा। उसी समय लोगों ने यहोवा से प्रार्थना और आराधना करनी शुरू की।