नूह और उसका परिवार जहाज में प्रवेश करते हैं
¹ फिर परमेश्वर ने नूह से कहा, “तू और तेरा पूरा परिवार जहाज में प्रवेश कर जाओ, क्योंकि मैंने तुझे इस पीढ़ी में धर्मी पाया है। ² तू शुद्ध पशुओं में से सात-सात जोड़े और अशुद्ध पशुओं में से दो-दो जोड़े लेना, ³ आकाश के पक्षियों में से भी सात-सात जोड़े लेना, ताकि वे पृथ्वी पर जीवित रह सकें। ⁴ क्योंकि अब से सात दिन बाद मैं पृथ्वी पर चालीस दिन और चालीस रात तक वर्षा करूँगा, और जो कुछ जीवित प्राणी मैंने बनाए हैं, उन्हें पृथ्वी से मिटा दूँगा।”
⁵ नूह ने वैसा ही किया, जैसा परमेश्वर ने उसे आज्ञा दी थी। ⁶ जब जलप्रलय पृथ्वी पर आया, उस समय नूह 600 वर्ष का था। ⁷ नूह, उसके पुत्र, उसकी पत्नी और उसके पुत्रों की पत्नियाँ जलप्रलय से बचने के लिए जहाज में चले गए। ⁸ शुद्ध और अशुद्ध पशु, पक्षी और भूमि पर रेंगने वाले जीवों में से ⁹ एक-एक जोड़ा नूह के पास जहाज में आया, जैसे परमेश्वर ने आज्ञा दी थी। ¹⁰ और सात दिन बाद जलप्रलय पृथ्वी पर आ गया।
जलप्रलय का आरंभ
¹¹ नूह के जीवन के 600वें वर्ष के दूसरे महीने के सत्रहवें दिन, पृथ्वी के गहरे स्रोत्र फूट पड़े और आकाश के झरने खुल गए। ¹² चालीस दिन और चालीस रात तक लगातार पृथ्वी पर वर्षा होती रही। ¹³ उसी दिन नूह, उसके पुत्र शेम, हाम और जापेत, उसकी पत्नी और उसके तीनों पुत्रों की पत्नियाँ जहाज में प्रवेश कर गए। ¹⁴ वे अपने साथ सभी प्रकार के जीवों को ले गए—पशु, रेंगने वाले जीव और पक्षी। ¹⁵ प्रत्येक जीवित प्राणी में से एक-एक जोड़ा नूह के पास जहाज में आया। ¹⁶ जो भी आए, वे नर और मादा थे, और परमेश्वर ने उनके पीछे द्वार बंद कर दिया।
जल का बढ़ना और पृथ्वी पर प्रलय
¹⁷ चालीस दिनों तक जलप्रलय पृथ्वी पर छाया रहा, और जल बढ़कर जहाज को ऊपर उठाने लगा। ¹⁸ जल बढ़ता गया और जहाज पृथ्वी पर तैरने लगा। ¹⁹ जल इतना बढ़ा कि उसने सभी ऊँचे पहाड़ों को ढक लिया। ²⁰ जल पहाड़ों से 15 हाथ ऊपर तक बढ़ गया, और सभी पहाड़ डूब गए।
²¹ पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवित प्राणी—पक्षी, पशु, वन्य जीव, भूमि पर रेंगने वाले जीव और सभी मनुष्य नष्ट हो गए। ²² जो कुछ भी भूमि पर साँस लेता था, वह मर गया। ²³ परमेश्वर ने हर जीवधारी को पृथ्वी से मिटा दिया—मनुष्य, पशु, रेंगने वाले जीव और आकाश के पक्षी—सब नष्ट हो गए। केवल नूह और जो उसके साथ जहाज में थे, वे ही बच गए।
²⁴ जल 150 दिनों तक पृथ्वी पर बना रहा।