इस लेख में पढ़िए मनुष्य जाती की उत्पति से सम्बन्धी बाइबिल आयत. मानव मस्तिष्क में उठते कई सवालों कें जवाब जैसे मनुष्य कहाँ से आया है, हम बीमार क्यों पड़ते हैं, जीवन के बाद क्या है आदि कई सवालों के जवाब आपको इस लेख में मिल जायेंगे.
और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा।
उत्पत्ति 2:7

मनुष्यों को भूमि की मिट्टी से बनाया गया है। परमेश्वर ने मनुष्य जाति को सृष्टि में सभी जीवों और प्रजातियों में सबसे श्रेष्ठ बनाया है क्योंकि परमेश्वर सिर्फ मनुष्य जाति को उनके खुदके गुण दिए है और खुदकी आत्मा का अंश दिया है। इस लिहाज़ से मनुष्य जाति सभी जीवों में श्रेष्ठ है और मनुष्य जीवन अत्यधिक मूल्यवान है।
फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।
उत्पत्ति 1:26
पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना: क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाए उसी दिन अवश्य मर जाएगा॥
उत्पत्ति 2:17
परमेश्वर ने मनुष्य जाति को बुद्धि दी और साथ ही अपने चुनाव खुद करने का अधिकार दिया है जिसका अर्थ है हर एक व्यक्ति भला बनकर भलाई करे गया बुरा बनकर बुराई करे ये उसका अपना चुनाव है और इसी चुनाव के आधार पर मनुष्यों का न्याय होता है।
परमेश्वर जानते हैं कि कौन कब क्या करेगा लेकिन उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते क्योंकि परमेश्वर कभी अपने ही बनाये हुए नियम नहीं तोड़ सकते या गलती नही कर सकते।
आदम ने सब जाति के घरेलू पशुओं, और आकाश के पक्षियों, और सब जाति के बनैले पशुओं के नाम रखे;
उत्पत्ति 2:20
परमेश्वर ने मनुष्य को अत्यधिक क्षमता वाली बुद्धि दी है। परमेश्वर के ही समान रचना करना, सोचने की क्षमता, क्रियात्मकता ये सब बुद्धि के गुण परमेश्वर से ही मिले हैं।
और आदम से उसने कहा, तू ने जो अपनी पत्नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैं ने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना उसको तू ने खाया है, इसलिये भूमि तेरे कारण शापित है: तू उसकी उपज जीवन भर दु:ख के साथ खाया करेगा:
उत्पत्ति ३:1७
मनुष्य जाति की प्रथम स्थिति में मृत्यु और बीमारियां नहीं थी। मृत्यु और बीमारियाँ आदम के परमेश्वर की आज्ञा उल्लंघन करने और श्रापित स्वर्गदूत लुसिफेर की बात मानकर श्रापित होने के कारण आयीं