प्रस्तावना (Introduction)
सेवकाई (Ministry) केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि परमेश्वर की बुलाहट (Calling) का एक पवित्र उत्तरदायित्व है। बाइबल हमें बताती है कि परमेश्वर ने अपने लोगों को दूसरों की सेवा करने के लिए बुलाया है।
यीशु मसीह ने स्वयं कहा:
“क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया कि उसकी सेवा की जाए, परन्तु इसलिये आया कि आप सेवा करे और बहुतों के लिए अपने प्राण का मोल दे।” (मरकुस 10:45)
अगर हम मसीह के सच्चे अनुयायी हैं, तो हमें भी उसकी तरह विनम्र होकर दूसरों की सेवा करनी चाहिए। इस लेख में हम देखेंगे कि एक आदर्श मसीही सेवक के क्या गुण होते हैं और बाइबल सेवकाई के बारे में क्या सिखाती है।
1. सेवक का बाइबलीय अर्थ (Biblical Definition of a Servant)
बाइबल में “सेवक” शब्द के लिए कई शब्द प्रयोग किए गए हैं, जैसे:
- अब्द (עבד – Ebed) – इब्रानी में जिसका अर्थ “परमेश्वर का दास” होता है।
- डोलोस (Δούλος – Doulos) – ग्रीक में जिसका अर्थ “पूर्णतः समर्पित दास” होता है।
- डायकनोस (διάκονος – Diakonos) – जिसका अर्थ “सेवक” या “परिचर” होता है।
इनसे यह स्पष्ट होता है कि परमेश्वर के सेवक को पूरी तरह से उसकी इच्छा के अधीन होना चाहिए।
2. एक आदर्श सेवक के गुण (Qualities of an Ideal Servant of God)
2.1 परमेश्वर के बुलावे (Calling) को स्वीकार करने वाला
- “तू जो काम पूरा करने के लिये बुलाया गया है, उसे पूरा कर।” (2 तीमुथियुस 4:5)
- परमेश्वर का सेवक वह होता है जो अपने जीवन को परमेश्वर की बुलाहट के अनुसार समर्पित करता है।
2.2 नम्रता (Humility)
- “जो अपने आप को नम्र करेगा, वह महान बनाया जाएगा।” (मत्ती 23:12)
- एक सच्चा सेवक घमंड से दूर रहता है और स्वयं को परमेश्वर के अधीन करता है।
2.3 प्रभु के वचन का जानकार (Deep Knowledge of the Word of God)
- “हर एक पवित्र शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा गया है, और उपदेश, ताड़ना, सुधार और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।” (2 तीमुथियुस 3:16)
- एक अच्छा सेवक बाइबल का अध्ययन करता है और सही शिक्षा देता है।
2.4 विश्वासयोग्य और ईमानदार (Faithful and Honest)
- “जो थोड़े में विश्वासयोग्य है, वह बहुत में भी विश्वासयोग्य रहेगा।” (लूका 16:10)
- एक आदर्श सेवक कभी भी धोखा या छल नहीं करता, बल्कि पूरी ईमानदारी से काम करता है।
2.5 आत्म-संयमी और अनुशासित (Self-Controlled and Disciplined)
- “और हर एक जो प्रतियोगिता में भाग लेता है, वह सब बातों में संयम करता है।” (1 कुरिन्थियों 9:25)
- सेवक को संयमित जीवन जीना चाहिए, ताकि वह दूसरों के लिए उदाहरण बन सके।
2.6 प्रार्थना में दृढ़ (Devoted to Prayer)
- “निरंतर प्रार्थना में लगे रहो।” (1 थिस्सलुनीकियों 5:17)
- सेवक को व्यक्तिगत और सामूहिक प्रार्थना में स्थिर रहना चाहिए।
2.7 प्रेम से भरा हुआ (Filled with Love and Compassion)
- “जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है।” (1 यूहन्ना 4:8)
- एक आदर्श सेवक बिना स्वार्थ के प्रेम करता है और दूसरों की परवाह करता है।
3. सेवक की भूमिका (Role of a Servant in the Church and Society)
3.1 वचन का प्रचार (Preaching the Word)
- “सुसमाचार प्रचार कर, समय और असमय तैयार रह।” (2 तीमुथियुस 4:2)
- सेवक को सच्चाई से बाइबलीय शिक्षा देनी चाहिए।
3.2 आत्मिक परामर्श (Spiritual Counseling)
- “एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।” (गलातियों 6:2)
- सेवक को दूसरों की आत्मिक समस्याओं में मार्गदर्शन देना चाहिए।
3.3 गरीबों और ज़रूरतमंदों की सेवा (Serving the Needy)
- “जो तुम्हारे बीच में बड़ा होना चाहता है, वह तुम्हारा सेवक बने।” (मत्ती 20:26)
- सेवक को जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए।
3.4 अगुवाई (Leadership in Church and Ministry)
- “यदि कोई अगुवाई करे, तो परिश्रम से करे।” (रोमियों 12:8)
- सेवक को चर्च में आत्मिक नेतृत्व करना चाहिए।
4. परमेश्वर के सेवक के लिए चेतावनियाँ (Warnings for God’s Servant)
गलत शिक्षाएँ न दें (1 तीमुथियुस 4:1)
घमंड से बचें (नीतिवचन 16:18)
पैसों की लालसा न करें (1 तीमुथियुस 6:10)
अशुद्ध जीवन से बचें (1 पतरस 1:16)
निष्कर्ष (Conclusion)
एक आदर्श सेवक वह होता है जो पूरी तरह से परमेश्वर को समर्पित होता है, मसीह के उदाहरण का अनुसरण करता है, वचन का प्रचार करता है, और आत्मिक व भौतिक रूप से जरूरतमंदों की सेवा करता है।
यीशु ने कहा:
“धन्य है वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा करते पाए!” (मत्ती 24:46)
आज हम भी यह निर्णय लें कि हम परमेश्वर के सच्चे और आदर्श सेवक बनें, ताकि हमारे जीवन से परमेश्वर की महिमा हो।
सभी महिमा हमारे प्रभु यीशु मसीह को!