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1. भूमिका
लैव्यव्यवस्था (Leviticus), गिनती (Numbers), और व्यवस्थाविवरण (Deuteronomy) पुराने नियम की तीन महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं, जो इस्राएलियों की आध्यात्मिक, नैतिक, और सामाजिक व्यवस्था को स्थापित करती हैं।
- लैव्यव्यवस्था – परमेश्वर द्वारा दी गई व्यवस्था और अनुष्ठानों पर केंद्रित।
- गिनती – इस्राएलियों की जंगल की यात्रा और उनकी आज्ञाकारिता व अवज्ञा का विवरण।
- व्यवस्थाविवरण – मूसा का अंतिम उपदेश और प्रतिज्ञात देश में प्रवेश की तैयारी।
यह तीनों पुस्तकें इस्राएलियों की मिस्र से निकलने के बाद की यात्रा, परमेश्वर की दी हुई व्यवस्थाओं और उनकी प्रतिज्ञात देश (कनान) में प्रवेश से संबंधित हैं।
2. लैव्यव्यवस्था: परमेश्वर की व्यवस्था और अनुष्ठान
(i) लैव्यव्यवस्था का उद्देश्य
- इस्राएलियों को पवित्र जीवन जीने की शिक्षा देना। (लैव्यव्यवस्था 19:2)
- याजकों (लेवियों) के लिए विधियाँ और अनुष्ठान निर्धारित करना।
- बलिदान और उपासना की सही विधि को समझाना।
(ii) प्रमुख विषय
- बलिदान प्रणाली (Leviticus 1-7)
- होमबलि, अन्नबलि, मेलबलि, पापबलि, दोषबलि।
- यीशु मसीह का बलिदान इन बलिदानों की पूर्ति है (इब्रानियों 10:10-14)।
- याजकीय सेवा और पवित्रता (Leviticus 8-10)
- हारून और उसके पुत्रों का अभिषेक।
- नादाब और अबीहू का दंड (गलत उपासना के लिए)।
- शुद्धता के नियम (Leviticus 11-15)
- स्वच्छ और अशुद्ध भोजन, चर्मरोग, अन्य अशुद्धताएँ।
- प्रायश्चित्त का दिन (Leviticus 16)
- यह सबसे महत्वपूर्ण दिन था जब प्रधान याजक पूरे राष्ट्र के पापों के लिए बलिदान चढ़ाता था।
- नैतिक और सामाजिक विधियाँ (Leviticus 17-27)
- विवाह और यौन शुद्धता के नियम।
- गरीबों और परदेसियों के लिए न्याय।
(iii) लैव्यव्यवस्था का मसीही संदर्भ
- यीशु मसीह महान प्रधान याजक हैं (इब्रानियों 4:14-16)।
- उसका बलिदान हमें सभी बलिदानों से मुक्त करता है (इब्रानियों 9:12)।
3. गिनती: जंगल की यात्रा और इस्राएलियों की आज्ञाकारिता-अवज्ञा
(i) गिनती पुस्तक का उद्देश्य
- इस्राएलियों की मिस्र से कनान तक की यात्रा का वर्णन।
- परमेश्वर की आज्ञा मानने और न मानने के परिणाम।
- इस्राएलियों की गिनती और सैन्य तैयारियाँ।
(ii) प्रमुख घटनाएँ
- इस्राएलियों की गिनती (Numbers 1-4)
- प्रत्येक गोत्र की संख्या और उनका शिविर में स्थान।
- बढ़ते विद्रोह और शिकायतें (Numbers 11-14)
- मन, बटेर और मरीअम का विरोध।
- 12 गुप्तचरों की भेजा जाना और कनान की बुरी रिपोर्ट।
- इस्राएलियों की अविश्वासिता के कारण 40 वर्षों की जंगल की यात्रा।
- कोरह का विद्रोह (Numbers 16)
- कोरह, दातान और अबीराम का मूसा और हारून के विरुद्ध विद्रोह।
- परमेश्वर ने उन्हें दंड दिया और पृथ्वी ने उन्हें निगल लिया।
- कादेश में मूसा की गलती (Numbers 20:1-13)
- मूसा ने चट्टान पर दो बार मारा, जबकि परमेश्वर ने केवल बोलने को कहा था।
- परिणामस्वरूप, मूसा को प्रतिज्ञात देश में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली।
- पीतल का साँप (Numbers 21:4-9)
- इस्राएलियों ने शिकायत की, परमेश्वर ने साँप भेजे।
- मूसा ने परमेश्वर के आदेश पर पीतल का साँप बनाया; जो उसे देखता, वह बच जाता।
- यह यीशु मसीह के क्रूस पर चढ़ने का प्रतीक था (यूहन्ना 3:14-15)।
4. व्यवस्थाविवरण: मूसा का अंतिम उपदेश और प्रतिज्ञात देश का प्रवेश
(i) व्यवस्थाविवरण पुस्तक का उद्देश्य
- परमेश्वर की व्यवस्था को दोहराना।
- इस्राएलियों को प्रतिज्ञात देश में प्रवेश की तैयारी कराना।
- मूसा की अंतिम शिक्षाएँ और आशीर्वाद।
(ii) प्रमुख विषय
- व्यवस्था का दोहराव (Deuteronomy 5-11)
- दस आज्ञाएँ दोबारा दी गईं।
- परमेश्वर से प्रेम और उसकी आज्ञाओं को मानने का आह्वान।
- आशीष और श्राप (Deuteronomy 27-28)
- आशीष: यदि इस्राएली आज्ञाकारिता दिखाएँगे तो वे समृद्ध होंगे।
- श्राप: यदि वे अवज्ञा करेंगे तो वे संकट में पड़ेंगे।
- मसीह की भविष्यवाणी (Deuteronomy 18:15-19)
- मूसा ने एक भविष्यवक्ता की भविष्यवाणी की, जो मसीह को दर्शाता है।
- मूसा की मृत्यु और यहोशू का नेतृत्व (Deuteronomy 34)
- मूसा ने नबो पहाड़ से कनान देखा, लेकिन प्रवेश नहीं किया।
- यहोशू को इस्राएल का अगुवा बनाया गया।
5. प्रमुख धार्मिक संदेश
- परमेश्वर पवित्र है और उसकी उपासना सही तरीके से होनी चाहिए।
- आज्ञाकारिता आशीष लाती है, अवज्ञा दंड लाती है।
- पुरानी व्यवस्था मसीह की ओर इशारा करती है।
- विश्वास और धैर्य परमेश्वर की योजनाओं को पूरा करते हैं।
6. सामान्य प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: लैव्यव्यवस्था में बलिदानों का क्या उद्देश्य था?
उत्तर: बलिदान पापों की क्षमा और परमेश्वर के साथ मेल के लिए थे, लेकिन यीशु मसीह का बलिदान इन सभी बलिदानों की पूर्ति है (इब्रानियों 10:10-14)।
प्रश्न 2: गिनती पुस्तक में 40 वर्षों की जंगल यात्रा क्यों हुई?
उत्तर: इस्राएलियों ने कनान में प्रवेश करने से इनकार किया और परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया, इसलिए उन्हें जंगल में 40 वर्षों तक भटकना पड़ा (गिनती 14:33-34)।
प्रश्न 3: पीतल का साँप मसीह को कैसे दर्शाता है?
उत्तर: जिस तरह जो कोई साँप को देखता, वह बच जाता, उसी प्रकार जो कोई मसीह पर विश्वास करता है, उसे अनंत जीवन मिलता है (यूहन्ना 3:14-15)।
प्रश्न 4: व्यवस्थाविवरण क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: यह इस्राएल के इतिहास का सारांश देता है और परमेश्वर की आज्ञाकारिता का महत्व सिखाता है।
7. निष्कर्ष
लैव्यव्यवस्था, गिनती, और व्यवस्थाविवरण इस्राएलियों की धार्मिक, सामाजिक, और नैतिक नींव रखते हैं। ये पुस्तकें हमें पवित्रता, विश्वास, और परमेश्वर की योजनाओं में धैर्य रखने का पाठ सिखाती हैं। यीशु मसीह पुरानी व्यवस्था की पूर्ति हैं और हमें अनुग्रह में जीने के लिए बुलाते हैं।