वेदों में चिकित्सा, विज्ञानं, और पंचांग || नासा का प्लेनेटोरियम सॉफ्टवेयर और राम की जन्म तिथि

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आयुर्वेद की उत्पत्ति। क्या आयुर्वेद वेदों से आया है ?

1. आयुर्वेद की उत्पत्ति

  • आयुर्वेद एक “उपवेद” (Upaveda) कहलाता है। परंपरा के अनुसार यह अथर्ववेद से जुड़ा हुआ माना जाता है।
  • पर वास्तव में, आज का आयुर्वेद ग्रंथों पर आधारित है जैसे:
    • चरक संहिता (Charaka Samhita) – चिकित्सा (Medicine)
    • सुश्रुत संहिता (Sushruta Samhita) – शल्यचिकित्सा (Surgery)
    • अष्टांग हृदय (Ashtanga Hridaya) – जीवनशैली, आहार, औषधि
  • ये ग्रंथ मुख्य रूप से ईसा पूर्व 600–200 BCE के बीच लिखे गए थे।

2. वेदों में आयुर्वेद का उल्लेख

  • ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद में जड़ी-बूटियों, मंत्रों और रोगों का ज़िक्र मिलता है।
    • जैसे अथर्ववेद में बहुत सारी औषधीय जड़ी-बूटियों और रोग निवारण के मंत्र बताए गए हैं।
    • लेकिन यह आधुनिक आयुर्वेद जैसी व्यवस्थित चिकित्सा प्रणाली नहीं थी, बल्कि जड़ी-बूटी और तांत्रिक-मंत्र आधारित उपाय थे।
  • उदाहरण:
    • अथर्ववेद 8.7.10 – “औषधयः पीपलाद्या निघ्नन्तु विश्वतो रोगान्” (औषधियां सभी रोगों को दूर करें)।
    • इसमें चिकित्सा का आधार जड़ी-बूटियाँ और देवी-देवताओं का आशीर्वाद है, वैज्ञानिक प्रणाली नहीं।

3. अंतर

  • वेद मूलभूत मंत्र, औषधियों और प्रार्थना पर आधारित ज्ञान।
  • आयुर्वेद बाद के ग्रंथों (सुश्रुत, चरक) में व्यवस्थित चिकित्सा विज्ञान का रूप।

4. नतीजा

👉 आयुर्वेद को “वेदों से आया हुआ” कहना पूरी तरह सही नहीं है।
सही बात यह है:

 

  • वेदों में चिकित्सा और जड़ी-बूटियों का उल्लेख है।
  • आयुर्वेद ने इनसे प्रेरणा लेकर आगे चलकर एक स्वतंत्र चिकित्सा पद्धति के रूप में विकास किया।

चरक संहिता और सुश्रुत संहिता वास्तव में वेदों से कितनी अलग थीं और क्या खास बातें इनमें बताई गई थीं:

🔹 1. चरक संहिता (Charaka Samhita) – आंतरिक चिकित्सा

📌 रचना: लगभग ईसा पूर्व 200–100 BCE
📌 विषय: Internal Medicine (Kayachikitsa)

मुख्य बातें:

  • रोग का कारण – “त्रिदोष” (वात, पित्त, कफ) का असंतुलन।
  • इलाजआहार, औषधि, जीवनशैली सुधार।
  • मानव शरीर की गिनती
    • 360 हड्डियाँ बताई गई हैं (आज विज्ञान कहता है 206 होती हैं)।
    • यह दिखाता है कि एनाटॉमी पूरी तरह सटीक नहीं थी।
  • हृदय और रक्तवाहिनियाँचरक ने हृदय को जीवन का केंद्र माना, और 24 धमनियों का उल्लेख किया (जबकि आज 1000s of arteries/veins ज्ञात हैं)।
  • चमत्कारिक उपचारमंत्र-जप, यज्ञ, और जड़ी-बूटियों का मिश्रण।

👉 मतलब यह एक प्रारंभिक चिकित्सा शास्त्र था, जिसमें वैज्ञानिक और धार्मिक बातें दोनों शामिल थीं।


🔹 2. सुश्रुत संहिता (Sushruta Samhita) – शल्यचिकित्सा

📌 रचना: लगभग ईसा पूर्व 600 BCE
📌 विषय: Surgery

मुख्य बातें:

  • सर्जरी का ज्ञान
    • मोतियाबिंद की शल्यक्रिया
    • प्लास्टिक सर्जरी (नाक की पुनर्निर्माण – Rhinoplasty)
    • प्रसूति और हड्डी जोड़ने की तकनीक
  • शरीर विच्छेदनछात्रों को शरीर को पानी में सड़ाकर dissect करने की अनुमति दी जाती थी ताकि अंगों को समझा जा सके।
  • हड्डियों की संख्या – 300 बताई गईं (आज की 206 से अलग)।
  • रक्त संचार का ज्ञानथा, लेकिन बहुत सीमित और आधा-अधूरा।
  • औज़ार (Instruments)लगभग 120 प्रकार के शल्य उपकरणों का वर्णन।

👉 सुश्रुत संहिता को अक्सर “Father of Surgery” कहा जाता है, लेकिन इसकी तुलना आधुनिक सर्जरी से नहीं की जा सकती।


🔹 वेदों और आयुर्वेद का अंतर

पहलू

वेद (ऋग्वेद/अथर्ववेद)

आयुर्वेद (चरक/सुश्रुत)

चिकित्सा का आधार

मंत्र, यज्ञ, देवी-देवता की स्तुति

जड़ी-बूटी, आहार, शल्यक्रिया

रोग की समझ

दैवी कारण (राक्षस, शाप, दुष्ट आत्माएँ)

वात, पित्त, कफ (dosha theory)

शरीर का ज्ञान

बहुत सीमित

आंशिक वैज्ञानिक (हड्डियाँ, धमनियाँ, अंग)

इलाज

प्रार्थना + औषधि

औषधि + सर्जरी + जीवनशैली


🔹 निष्कर्ष

 

  • आयुर्वेद = वेदों से प्रेरित लेकिन अलग सिस्टम।
  • वेदों में बस बुनियादी “जड़ी-बूटी + मंत्र” थे।
  • चरक और सुश्रुत ने इसे व्यवस्थित किया और चिकित्सा को एक स्वतंत्र विज्ञान बनाया।
  • लेकिन इसमें कई गलतियाँ भी थीं (जैसे हड्डियों की गलत गिनती, रक्त प्रवाह का अधूरा ज्ञान, आध्यात्मिक कारणों को रोग का कारण मानना)।

वैदिक गणित। क्या गणित वेदों से आया है ?

🔹 1. वैदिक गणित (Vedic Mathematics)

 

  • Reality: जिसे आज “Vedic Mathematics” कहा जाता है, वह असल में 1911–1918 के बीच स्वामी भारती कृष्ण तीर्थजी ने लिखा था।
  • उन्होंने दावा किया कि ये “अथर्ववेद” से लिया गया है, लेकिन वेदों में कहीं भी ये गणितीय सूत्र नहीं मिलते।
  • यह ज़्यादातर “mental calculation tricks” हैं (जैसे multiplication short-cuts), लेकिन इन्हें “वैदिक” कहना misleading है।
  • Mathematical historians ने prove किया है कि यह classical Indian mathematics (आर्यभट, ब्रह्मगुप्त, भास्कर) और modern simplifications का mix है, वेदों से नहीं।

विश्व के कुछ अन्य महान गणितज्ञ

1. यूक्लिड (Euclid) – ज्यामिति का पिता

  • लगभग 300 ईसा पूर्व सक्रिय, उन्होंने अपनी पुस्तक Elements में ज्यामिति की नींव रखी, जो सदियों तक पढ़ी गई।

2. आर्किमिडीज़ (Archimedes)

  • (~287–212 BC) – भौतिकी, इंजीनियरिंग और गणित में गहरी समझ। अबतक के गणितज्ञों में सर्वश्रेष्ठ कहे जाते हैं; π (पाई) की गणना और विसर्जन सिद्धांत के लिए प्रसिद्ध। 
 

3. पाइथागोरस (Pythagoras)

  • (~570–495 BC) – पाइथागोरस का प्रमेय, जो समकोण त्रिकोण की भुजाओं के बीच संबंध बताता है, आज भी लोकप्रिय है।

4. कार्ल फ्रेडरिक गौस (Carl Friedrich Gauss)

  • (1777–1855) – “गणित का राजकुमार” कहलाने वाले गौस ने बीजगणित, सांख्यिकी और ज्यामिति में अमूल्य योगदान दिया।

5. लियोनहार्ड यूलर (Leonhard Euler)

 

  • (1707–1783) – आधुनिक गणितीय लेखन (जैसे ‘e’, π, फ़ंक्शन का उपयोग) को जन जन तक पहुंचाया।

हिन्दू पंचांग और ज्योतिष

🔹 2. पंचांग (Hindu Calendar / Panchang)

  • पंचांग का आधार = चंद्रमा और सूर्य की गतियाँ।
  • यह lunar-solar calendar है, जिसमें “तिथि, नक्षत्र, योग, करण” आदि दिखाए जाते हैं।
  • लेकिन problem: अलग-अलग पंचांग (उत्तर भारत vs दक्षिण भारत) अलग-अलग results दिखाते हैं।
  • यानी “exact science” नहीं है, बल्कि approximation है।
  • Modern astronomy (NASA, ISRO) completely solar-based और accurate है, लेकिन पंचांग में कई जगह contradictions हैं।

🔹 3. ज्योतिष (Hindu Astrology)

 

  • दावा: ग्रह-नक्षत्र से इंसान की किस्मत तय होती है।
  • Reality: Modern science ने astrology को pseudoscience मान लिया है। कोई भी scientific proof नहीं है कि जन्म के समय ग्रह-स्थिति future predict कर सकती है।
  • Example: “Rahu-Ketu” नाम के ग्रह ज्योतिष में major माने जाते हैं, लेकिन astronomy में वे सिर्फ shadows हैं (Earth-Sun-Moon के positions के कारण eclipse points)
  • NASA या किसी भी science body ने astrology को कभी valid नहीं माना।

NASA Planetarium Software और राम की जन्मतिथि

  • कई हिन्दू दावा करते हैं कि NASA software ने “राम जन्म” की exact date confirm की है (5114 BC / 7323 BC आदि अलग-अलग dates circulate होती हैं)।
  • Reality: NASA ने कभी भी ऐसा कोई statement issue नहीं किया।
  • यह claim सबसे पहले हिन्दू खगोल-शोधकर्ताओं (जैसे Pushkar Bhatnagar, 2003) ने किया, जिन्होंने Planetarium software से hypothetical planetary positions match करने की कोशिश की।
  • लेकिन समस्या:
    • रामायण में जो ग्रह-स्थिति लिखी गई है, वह poetic और symbolic है, scientific नहीं।
    • अलग-अलग versions of Ramayana (Valmiki, Tulsidas, Kamban) में अलग-अलग descriptions हैं।
    • Software simulation theoretically possible है, लेकिन वह “ऐतिहासिक प्रमाण” नहीं बन सकता।
  • NASA खुद अपनी official FAQ में कहता है कि “हमने कभी राम या महाभारत जैसी किसी धार्मिक घटना की तारीख confirm नहीं की।”