निर्गमन: मूसा, निर्गमन और व्यवस्था का दिया जाना

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1. भूमिका

निर्गमन (Exodus) बाइबल की दूसरी पुस्तक है और यह इस्राएलियों की मिस्र से मुक्ति, परमेश्वर के साथ उनकी वाचा, और मूसा द्वारा उन्हें दी गई व्यवस्था का वर्णन करती है। यह पुस्तक दर्शाती है कि कैसे परमेश्वर अपने चुने हुए लोगों को गुलामी से छुड़ाता है, उन्हें अपनी व्यवस्था देता है, और उन्हें एक राष्ट्र के रूप में स्थापित करता है

निर्गमन तीन प्रमुख विषयों को समाहित करता है:

  1. मूसा का बुलावा और इस्राएल की मुक्ति (अध्याय 1-18)
  2. सिनै पर्वत पर परमेश्वर की वाचा और व्यवस्था का दिया जाना (अध्याय 19-24)
  3. मिश्कान (तंबू) और उपासना प्रणाली की स्थापना (अध्याय 25-40)

2. मूसा: परमेश्वर का चुना हुआ अगुवा

(i) मूसा का जन्म और बचपन (निर्गमन 2)

  • इस्राएली मिस्र में गुलामी में थे, और फिरौन ने उनके नवजात पुत्रों की हत्या का आदेश दिया।
  • मूसा का जन्म हुआ और उसकी माँ ने उसे एक टोकरी में नील नदी में बहा दिया।
  • फिरौन की बेटी ने मूसा को अपनाया और उसे राजमहल में पाला।

(ii) मूसा का मिद्यान जाना (निर्गमन 2:11-25)

  • मूसा ने एक मिस्री को मार डाला और फरार होकर मिद्यान चला गया।
  • वहाँ उसने एक याजक की बेटी से विवाह किया और चरवाहे के रूप में कार्य किया।

(iii) जलती हुई झाड़ी और परमेश्वर का बुलावा (निर्गमन 3-4)

  • परमेश्वर ने मूसा को जलती हुई झाड़ी के माध्यम से बुलाया।
  • उसे फिरौन के पास जाकर इस्राएलियों को छुड़ाने का आदेश मिला।
  • मूसा को परमेश्वर का पवित्र नाम “मैं जो हूँ सो हूँ” (YHWH) प्रकट किया गया।

3. इस्राएल की मिस्र से मुक्ति (निर्गमन 5-15)

(i) दस विपत्तियाँ और फिरौन की हठधर्मिता (निर्गमन 7-12)

परमेश्वर ने फिरौन को चेतावनी दी, लेकिन उसके हृदय के कठोर होने के कारण दस विपत्तियाँ भेजीं:

  1. नील नदी का पानी रक्त बना।
  2. मेंढकों की विपत्ति।
  3. जूँओं का प्रकोप।
  4. मक्खियों का हमला।
  5. पशुओं की महामारी।
  6. शरीर पर फोड़े-फुंसी।
  7. ओलों की भारी वर्षा।
  8. टिड्डियों का आक्रमण।
  9. अंधकार की विपत्ति।
  10. पहलौठों की मृत्यु।
 

पास्का (Passover) की स्थापना:

  • इस्राएलियों को अपने द्वारों पर मेम्ने के लहू का चिन्ह लगाने को कहा गया ताकि मृत्यु का दूत उनके घरों को छोड़ दे।
  • यहूदियों के लिए फसह पर्व (Passover) की शुरुआत इसी घटना से हुई।

(ii) लाल समुद्र का विभाजन और मिस्र से निर्गमन (निर्गमन 14-15)

  • परमेश्वर ने मूसा के द्वारा लाल समुद्र को दो भागों में विभाजित किया, और इस्राएली सुरक्षित पार हो गए।
  • मिस्री सेना समुद्र में डूब गई।

4. परमेश्वर की व्यवस्था और वाचा (निर्गमन 19-24)

(i) सिनै पर्वत पर परमेश्वर की उपस्थिति (निर्गमन 19)

  • इस्राएली सिनै पर्वत के पास पहुँचे और परमेश्वर ने मूसा को बुलाया।
  • परमेश्वर ने इस्राएलियों के साथ एक नए नियम (वाचा) की स्थापना की।

(ii) दस आज्ञाएँ (निर्गमन 20:1-17)

  1. परमेश्वर को छोड़ किसी और की उपासना न करना।
  2. मूर्तियाँ न बनाना।
  3. परमेश्वर के नाम का अनादर न करना।
  4. विश्राम दिन को पवित्र रखना।
  5. माता-पिता का आदर करना।
  6. हत्या न करना।
  7. व्यभिचार न करना।
  8. चोरी न करना।
  9. झूठी गवाही न देना।
  10. दूसरों की वस्तुओं का लालच न करना।

5. मिश्कान (तंबू) और उपासना प्रणाली की स्थापना (निर्गमन 25-40)

(i) मिश्कान का निर्माण (निर्गमन 25-31)

  • परमेश्वर ने मूसा को मिश्कान (Tabernacle) बनाने का निर्देश दिया।
  • इसमें परमेश्वर की उपस्थिति बनी रहती थी।

(ii) स्वर्ण बछड़ा और इस्राएल की अवज्ञा (निर्गमन 32-34)

  • मूसा की अनुपस्थिति में इस्राएलियों ने एक स्वर्ण बछड़ा बनाकर उसकी उपासना की।
  • परमेश्वर ने उन्हें दंड दिया, लेकिन मूसा की प्रार्थना से उन्हें दया मिली।

6. प्रमुख धार्मिक संदेश

  1. परमेश्वर अपने लोगों को छुटकारा देने वाला है।
  2. आज्ञाकारिता और विश्वास अनिवार्य हैं।
  3. व्यवस्था पवित्रता और परमेश्वर की उपासना की नींव रखती है।
  4. मिश्कान में परमेश्वर की उपस्थिति उनके बीच बनी रहती थी।

7. सामान्य प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: मूसा को परमेश्वर ने क्यों चुना?

उत्तर: परमेश्वर ने मूसा को इस्राएलियों का नेतृत्व करने और उन्हें मिस्र से छुड़ाने के लिए चुना क्योंकि वह नम्र और परमेश्वर का आज्ञाकारी था (गिनती 12:3)

प्रश्न 2: दस विपत्तियों का क्या उद्देश्य था?

उत्तर: विपत्तियों के द्वारा परमेश्वर ने मिस्र के देवताओं की शक्ति को व्यर्थ सिद्ध किया और फिरौन को इस्राएलियों को छोड़ने के लिए मजबूर किया।

प्रश्न 3: फसह (Passover) का क्या महत्व है?

उत्तर: फसह यीशु मसीह के बलिदान की भविष्यवाणी थी, जिसमें मसीह परमेश्वर का मेम्ना बनकर हमारे पापों के लिए मरा (1 कुरिन्थियों 5:7)

प्रश्न 4: दस आज्ञाएँ आज भी क्यों महत्वपूर्ण हैं?

उत्तर: ये नैतिक व्यवस्था हैं जो हमें परमेश्वर और लोगों के साथ सही तरीके से जीना सिखाती हैं (मत्ती 22:37-40)

प्रश्न 5: मिश्कान (Tabernacle) किसका प्रतीक था?

उत्तर: यह यीशु मसीह का प्रतीक था, जो परमेश्वर और मनुष्यों के बीच मध्यस्थ बनकर आया (यूहन्ना 1:14)


8. निष्कर्ष

निर्गमन पुस्तक परमेश्वर के छुटकारे, न्याय और व्यवस्था को प्रकट करती है। यह हमें सिखाती है कि परमेश्वर अपने लोगों को पाप और गुलामी से छुड़ाने के लिए एक मार्ग प्रदान करता है। यीशु मसीह इस्राएल के छुटकारे का आध्यात्मिक पूर्ति है, जो हमें पाप के दासत्व से मुक्त करता है। इस पुस्तक का अध्ययन विश्वास, आज्ञाकारिता और परमेश्वर की उपासना में बढ़ने में हमारी मदद करता है।

 

 

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