पुराने नियम की सभी 39 पुस्तकों का संक्षिप्त सर्वेक्षण

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उत्पत्ति (Genesis)

✍ लेखक: मूसा | 🕰 समय: लगभग 1450-1400 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह बाइबल की पहली पुस्तक है, जिसमें सृष्टि, आदम और हव्वा, पाप का प्रवेश, और इस्राएल की शुरुआत का विवरण है। इसमें अब्राहम, इसहाक, याकूब और यूसुफ की कहानियाँ भी शामिल हैं।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: सृष्टि की योजना, पाप का प्रभाव, परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ, और विश्वास द्वारा धर्मी ठहराया जाना।


निर्गमन (Exodus)

✍ लेखक: मूसा | 🕰 समय: लगभग 1450-1400 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक इस्राएलियों की मिस्र से मुक्ति और परमेश्वर द्वारा मूसा के माध्यम से दी गई व्यवस्था को दर्शाती है। इसमें दस आज्ञाएँ, लाल समुद्र का विभाजन और सिनै पर्वत पर परमेश्वर के साथ इस्राएल की वाचा का वर्णन किया गया है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: उद्धार, आज्ञाकारिता, परमेश्वर की उपस्थिति, और बलिदान प्रणाली।


लैव्यव्यवस्था (Leviticus)

✍ लेखक: मूसा | 🕰 समय: लगभग 1445-1400 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक परमेश्वर की पवित्रता और इस्राएल के लिए उसके धार्मिक नियमों को दर्शाती है। इसमें याजकीय कर्तव्यों, बलिदान प्रणाली और नैतिकता से संबंधित विस्तृत निर्देश दिए गए हैं।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: पवित्रता, बलिदान, याजकीय सेवकाई, और परमेश्वर के साथ शुद्ध जीवन।


गिनती (Numbers)

✍ लेखक: मूसा | 🕰 समय: लगभग 1445-1405 ईसा पूर्व
📖 परिचय: इस पुस्तक में इस्राएलियों की जंगल में 40 वर्षों की यात्रा का विवरण दिया गया है। इसमें उनकी गणना, विद्रोह की घटनाएँ, और कनान देश में प्रवेश की तैयारी सम्मिलित हैं।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर में भरोसा, आज्ञाकारिता का महत्व, और अविश्वास के परिणाम।


व्यवस्थाविवरण (Deuteronomy)

✍ लेखक: मूसा | 🕰 समय: लगभग 1405 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक मूसा द्वारा इस्राएलियों को दी गई आखिरी शिक्षाओं को एकत्र करती है। इसमें परमेश्वर की व्यवस्था का दोहराव है और परमेश्वर की व्यवस्था के प्रति विश्वासयोग्यता की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की आज्ञाओं के प्रति प्रेम और आज्ञाकारिता, परमेश्वर की आशीष और श्राप।


यहोशू (Joshua)

✍ लेखक: यहोशू | 🕰 समय: लगभग 1405-1385 ईसा पूर्व
📖 परिचय: इस पुस्तक में इस्राएल के कनान देश पर अधिकार करने और उसके विभाजन की घटनाएँ दर्ज हैं। यहोशू परमेश्वर के प्रति पूर्ण विश्वास और आज्ञाकारिता का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं की पूर्ति, विजय का रहस्य, और विश्वास की शक्ति।


न्यायियों (Judges)

✍ लेखक: संभवतः शमूएल | 🕰 समय: लगभग 1050-1000 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक इस्राएलियों की बार-बार आज्ञा का उल्लंघन करना, परिणाम स्वरूप उनपर आए संकटों, और संकट से निकालने के लिए परमेश्वर द्वारा भेजे गए न्यायियों की कहानी बताती है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की दया, पश्चाताप का महत्व, और अनियंत्रित जीवन के परिणाम।


रूत (Ruth)

✍ लेखक: संभवतः शमूएल | 🕰 समय: लगभग 1000 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक मोआबी स्त्री रूत की कहानी है, जो अपनी सास नाओमी के प्रति अटूट निष्ठा दिखाती है और परमेश्वर की कृपा द्वारा दाऊद के वंश की पूर्वज बनती है और यीशु मसीह की वंशावली में जुड़ जाती है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की योजना, वफादारी, और उद्धार का अद्भुत कार्य।


1 शमूएल (1 Samuel)

✍ लेखक: शमूएल, नातान, और गाद | 🕰 समय: लगभग 930-900 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक इस्राएल के पहले राजा शाऊल और दूसरे राजा दाऊद के अभिषेक की कहानी प्रस्तुत करती है। इसमें शमूएल की सेवकाई और इस्राएल के एक राष्ट्र के रूप में संगठित होने का वर्णन है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर का नेतृत्व, मनुष्य की असफलता, और हृदय की शुद्धता का महत्व।


2 शमूएल (2 Samuel)

✍ लेखक: शमूएल, नातान, और गाद | 🕰 समय: लगभग 930-900 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक राजा दाऊद के शासनकाल का वर्णन करती है—उसकी विजय, उसकी कमजोरियाँ, और परमेश्वर के साथ उसका संबंध। इसमें दाऊद की गलतियों और उसके पश्चाताप को भी दर्शाया गया है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की कृपा, पश्चाताप की शक्ति, और विश्वास की सच्चाई। 

1 राजा (1 Kings)

✍ लेखक: संभवतः यिर्मयाह | 🕰 समय: लगभग 560-540 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक सुलैमान के शासनकाल, मंदिर के निर्माण, और उसके बाद इस्राएल के विभाजन की कहानी बताती है। यह यहूदा और इस्राएल के राजाओं के कार्यों और परमेश्वर के प्रति उनकी निष्ठा या अवज्ञा का वर्णन करती है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की आशीष और न्याय, मूर्तिपूजा के दुष्परिणाम, आज्ञाकारिता का महत्व।


2 राजा (2 Kings)

✍ लेखक: संभवतः यिर्मयाह | 🕰 समय: लगभग 560-540 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक इस्राएल और यहूदा के पतन, बेबीलोन में बंधुआई, और परमेश्वर के न्याय की कहानी है। इसमें एलिय्याह और एलीशा भविष्यवक्ताओं की सेवकाई का विवरण भी है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: पाप का परिणाम, परमेश्वर की दया, और भविष्यद्वक्ताओं की भूमिका।


1 इतिहास (1 Chronicles)

✍ लेखक: एज्रा | 🕰 समय: लगभग 450-400 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक आदम से लेकर दाऊद तक की वंशावली प्रस्तुत करती है और दाऊद के शासन पर केंद्रित है। यह इस्राएल के लिए परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं को भी उजागर करती है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की वाचा, उपासना का महत्व, और आत्मिक नेतृत्व।


2 इतिहास (2 Chronicles)

✍ लेखक: एज्रा | 🕰 समय: लगभग 450-400 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यहूदा के राजाओं के इतिहास का विवरण देती है और इस्राएल के पतन और बेबीलोन में बंधुआई के कारणों को बताती है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: विश्वासयोग्यता और अवज्ञा का परिणाम, परमेश्वर की करुणा और बहाली।


एज्रा (Ezra)

✍ लेखक: एज्रा | 🕰 समय: लगभग 450-400 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक यहूदी लोगों की बेबीलोन में बंधुआई से वापसी, मंदिर के पुनर्निर्माण, और व्यवस्था के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की बहाली, आराधना का पुनर्स्थापन, और धार्मिक शुद्धता।


नहेमायाह (Nehemiah)

✍ लेखक: नहेमायाह | 🕰 समय: लगभग 445-420 ईसा पूर्व
📖 परिचय: नहेमायाह की अगुवाई में यहूदी लोग यरूशलेम की दीवारों का पुनर्निर्माण करते हैं और आत्मिक सुधार लाते हैं।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: नेतृत्व, प्रार्थना की शक्ति, और परमेश्वर के कार्य के प्रति समर्पण।


एस्तेर (Esther)

✍ लेखक: संभवतः मोर्दकै | 🕰 समय: लगभग 460-350 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यहूदी महिला एस्तेर की कहानी जो फारस की रानी बनती है और अपने लोगों को विनाश से बचाती है। इसमें परमेश्वर की अदृश्य योजना को दर्शाया गया है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की संप्रभुता, विश्वासयोग्यता, और ईश्वरीय उद्देश्य।


अय्यूब (Job)

✍ लेखक: अज्ञात (संभवतः मूसा) | 🕰 समय: लगभग 2000-1800 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक एक धर्मी पुरुष अय्यूब की परीक्षा, उसके दुखों, और परमेश्वर की महिमा का वर्णन करती है। यह हमें बताती है कि कष्टों में भी परमेश्वर के उद्देश्यों पर भरोसा रखना चाहिए।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की संप्रभुता, धैर्य की महिमा, और विश्वास में स्थिरता।


भजन संहिता (Psalms)

✍ लेखक: दाऊद, आसाफ, कोरह के पुत्र, और अन्य | 🕰 समय: लगभग 1000-400 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक स्तुति, प्रार्थना, और परमेश्वर के प्रति प्रेम की काव्यात्मक अभिव्यक्ति है। यह विभिन्न भावनाओं—आनंद, दु:ख, आशा, और पश्चाताप को दर्शाती है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: उपासना, प्रार्थना की शक्ति, परमेश्वर की विश्वासयोग्यता, और उद्धार।


नीतिवचन (Proverbs)

✍ लेखक: राजा सुलैमान और अन्य | 🕰 समय: लगभग 970-700 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक व्यावहारिक ज्ञान, नैतिकता, और धार्मिक जीवन के सिद्धांतों को सिखाती है। इसमें जीवन के सभी क्षेत्रों के लिए ज्ञान और समझ दी गई है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: ज्ञान की शक्ति, परमेश्वर का भय, अनुशासन और न्याय। 

सभोपदेशक (Ecclesiastes)

✍ लेखक: राजा सुलैमान | 🕰 समय: लगभग 935 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक जीवन के अर्थ और उद्देश्य की खोज करती है। लेखक संसारिक उपलब्धियों, संपत्ति, और सुखों की अस्थिरता को दर्शाता है और यह निष्कर्ष निकालता है कि परमेश्वर के बिना सब कुछ व्यर्थ है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर के बिना जीवन अर्थहीन है, सच्चा आनंद परमेश्वर के भय में है, और अंततः न्याय परमेश्वर का ही होगा।


श्रेष्ठगीत (Song of Solomon)

✍ लेखक: राजा सुलैमान | 🕰 समय: लगभग 970-930 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह प्रेम, विवाह, और पति-पत्नी के संबंधों पर एक सुंदर काव्य है। इसे मसीह और उसकी कलीसिया के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: विवाह में प्रेम की शुद्धता, परमेश्वर और उसके लोगों के बीच प्रेम, और विश्वासयोग्यता का महत्व।


यशायाह (Isaiah)

✍ लेखक: यशायाह भविष्यवक्ता | 🕰 समय: लगभग 740-680 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक परमेश्वर के न्याय, उद्धार, और मसीह की भविष्यवाणी करती है। इसमें इस्राएल की धार्मिक भ्रष्टता, बेबीलोन में बंधुआई की चेतावनी, और अंततः मसीह के आगमन की प्रतिज्ञा शामिल है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: मसीहा का आगमन, परमेश्वर की पवित्रता, न्याय और अनुग्रह।


यिर्मयाह (Jeremiah)

✍ लेखक: यिर्मयाह भविष्यवक्ता | 🕰 समय: लगभग 627-580 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक यरूशलेम के पतन और बेबीलोन की बंधुआई के समय की घटनाओं का वर्णन करती है। इसमें इस्राएल की अविश्वासयोग्यता और परमेश्वर की नई वाचा की प्रतिज्ञा का उल्लेख है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: पाप के दुष्परिणाम, पश्चाताप का आह्वान, और परमेश्वर की नई वाचा।


विलापगीत (Lamentations)

✍ लेखक: यिर्मयाह | 🕰 समय: लगभग 586 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक यरूशलेम के पतन और इस्राएल की पीड़ा को दर्शाने वाली एक शोकगाथा है। यह परमेश्वर की दया और करुणा की भी घोषणा करती है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: पाप का दुखद परिणाम, परमेश्वर की दया और करुणा, और आशा की पुनर्स्थापना।


यहेजकेल (Ezekiel)

✍ लेखक: यहेजकेल भविष्यवक्ता | 🕰 समय: लगभग 593-571 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक बाबुल की बंधुआई के दौरान यहेजकेल को दिए गए दर्शन और भविष्यवाणियों का संग्रह है। इसमें इस्राएल के पुनर्स्थापन और नए मंदिर की भविष्यवाणी भी शामिल है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की संप्रभुता, आत्मिक पुनर्जीवन, और न्याय।


दानिय्येल (Daniel)

✍ लेखक: दानिय्येल | 🕰 समय: लगभग 605-530 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक दानिय्येल और उसके साथियों के बाबुल में विश्वास की परीक्षा की कहानी बताती है। इसमें कई महत्वपूर्ण भविष्यवाणियाँ भी शामिल हैं, विशेष रूप से अंत के दिनों से संबंधित।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की संप्रभुता, विश्वास की परीक्षा, और भविष्य की भविष्यवाणियाँ।


होशे (Hosea)

✍ लेखक: होशे भविष्यवक्ता | 🕰 समय: लगभग 753-715 ईसा पूर्व
📖 परिचय: होशे की व्यक्तिगत कहानी और इस्राएल के परमेश्वर से दूर जाने की तुलना की गई है। परमेश्वर की प्रेमपूर्ण करुणा और उद्धार योजना को दर्शाया गया है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की प्रेमपूर्ण वफादारी, पश्चाताप, और उद्धार।


योएल (Joel)

✍ लेखक: योएल भविष्यवक्ता | 🕰 समय: संभवतः 835-796 या 500 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक टिड्डियों की विपत्ति और “प्रभु के दिन” की भविष्यवाणी करती है। इसमें परमेश्वर की आत्मा के उंडेले जाने की प्रतिज्ञा भी दी गई है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर का न्याय, पश्चाताप, और आत्मा का उंडेलना।


आमोस (Amos)

✍ लेखक: आमोस भविष्यवक्ता | 🕰 समय: लगभग 760-750 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक इस्राएल के सामाजिक अन्याय, धार्मिक पाखंड, और आने वाले न्याय के बारे में चेतावनी देती है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: सामाजिक न्याय, सच्ची आराधना, और परमेश्वर का न्याय। 

ओबद्याह (Obadiah)

✍ लेखक: ओबद्याह भविष्यवक्ता | 🕰 समय: लगभग 850-586 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह बाइबल की सबसे छोटी भविष्यद्वक्ता पुस्तक है, जो एदोम के खिलाफ परमेश्वर के न्याय की भविष्यवाणी करती है। एदोम इस्राएल के प्रति क्रूरता और घमंड के कारण दंडित किया जाएगा।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर का न्याय, घमंड का विनाश, और इस्राएल की बहाली।


योना (Jonah)

✍ लेखक: योना भविष्यवक्ता | 🕰 समय: लगभग 785-760 ईसा पूर्व
📖 परिचय: योना को नीनवे जाने का आदेश मिला, लेकिन उसने भागने की कोशिश की। परमेश्वर ने उसे एक बड़ी मछली के माध्यम से वापस भेजा, और नीनवे के लोगों ने पश्चाताप किया।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की करुणा, पश्चाताप की शक्ति, और सभी जातियों के लिए उद्धार।


मीका (Micah)

✍ लेखक: मीका भविष्यवक्ता | 🕰 समय: लगभग 735-700 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक इस्राएल और यहूदा के खिलाफ परमेश्वर के न्याय और मसीह के जन्म की भविष्यवाणी करती है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: सामाजिक न्याय, मसीहा का आगमन, और परमेश्वर की दया।


नहूम (Nahum)

✍ लेखक: नहूम भविष्यवक्ता | 🕰 समय: लगभग 660-630 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक नीनवे (असीरियाई साम्राज्य की राजधानी) के विनाश की भविष्यवाणी करती है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर का न्याय, दुष्टों का विनाश, और धार्मिक लोगों की रक्षा।


हबक्कूक (Habakkuk)

✍ लेखक: हबक्कूक भविष्यवक्ता | 🕰 समय: लगभग 612-589 ईसा पूर्व
📖 परिचय: हबक्कूक ने परमेश्वर से पूछा कि वह दुष्टों को क्यों सहन करता है, और परमेश्वर ने उत्तर दिया कि वह अपने समय में न्याय करेगा।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की संप्रभुता, विश्वास द्वारा धर्मी जीवन, और न्याय का इंतजार।


सपन्याह (Zephaniah)

✍ लेखक: सपन्याह भविष्यवक्ता | 🕰 समय: लगभग 640-620 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक “प्रभु के दिन” की चेतावनी देती है, जो यहूदा और अन्य जातियों पर न्याय लाएगा।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: न्याय, शुद्धि, और परमेश्वर का शेष लोगों को आशीष देना।


हाग्गै (Haggai)

✍ लेखक: हाग्गै भविष्यवक्ता | 🕰 समय: लगभग 520 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुस्तक मंदिर के पुनर्निर्माण पर केंद्रित है और लोगों को अपने सांसारिक कार्यों से ऊपर परमेश्वर की प्राथमिकता रखने के लिए प्रेरित करती है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: परमेश्वर की उपस्थिति, आज्ञाकारिता, और समर्पण।


जकर्याह (Zechariah)

✍ लेखक: जकर्याह भविष्यवक्ता | 🕰 समय: लगभग 520-470 ईसा पूर्व
📖 परिचय: जकर्याह ने मंदिर के पुनर्निर्माण के दौरान प्रेरित किया और मसीह के आगमन की भविष्यवाणी की।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: मसीह की भविष्यवाणी, आत्मिक पुनरुद्धार, और परमेश्वर की योजना।


मलाकी (Malachi)

✍ लेखक: मलाकी भविष्यवक्ता | 🕰 समय: लगभग 430 ईसा पूर्व
📖 परिचय: यह पुराना नियम की अंतिम पुस्तक है, जो मसीह के आने की भविष्यवाणी करती है और लोगों को सच्ची आराधना के लिए बुलाती है।
📜 मुख्य शिक्षाएँ: हृदय की शुद्धता, परमेश्वर की न्यायप्रियता, और मसीहा का आगमन।