जैसा कि आप जानते हैं 1 साल पहले यानी 2020 में मुझे मौका मिला उत्तराखंड में जाकर सुसमाचार सुनाने का। बोहुत से विश्वासियों से मिला, बोहतों को सुसमाचार सुनाया। इनमे से कुछ लोगों के मैंने वीडियो बना के social media पर डाले। ये वीडियोस जब कुछ राजनीति में सक्रिय दलों के पास पोहुचे तो वे तुरंत हरकत में आ गए क्योंकि उनको मेरे इन कामों के कारण अपना धर्म खतरे में पड़ता दिखाई दिया शायद।
इन लोगों में मेरे विरुद्ध FIR दर्ज करवाई जिसमे 7 धाराएं लगी थीं। अपमान करना, वर्ग विशेष को नुकसान पोहुचाना या प्रयास करना, लालच देकर धर्म परिवर्तन कराना (Religious Conversion in India Uttarakhand)और कुछ इसी प्रकार और भी धाराएं या अपराध जोड़े गए थे। जब मुझे बुलाया गया पेश होने के लिए तो मैं पहले कुछ हफ्ते नहीं जा पाया लेकिन फ़ोन पर बात होती रही। फिर आखिरकार वो दिन आया जब मुझे जाने का मौका मिला। इस दौरान मैंने रास्ते में लाइव वीडियो भी बनाया था जो काफी Share किया गया।
जब मैं थाने में पहुचा तो वहां के अधिकारी जो मुझ से पूछताछ कर रहे थे उनका बर्ताव बोहुत सहज था। अक्सर जैसा हम फिल्मों देखते हैं बोहुत Rude या गुस्सैल और अशांत, ऐसा बिल्कुल नहीं था। पूरी नम्रता और शांति से उन्होंने मुझसे सवाल पूछे और मैंने जवाब भी दिये।
इसी दौरान उन्होंने मुझे बताया कि मुझपर जो धाराएं लगाई गई हैं उनके कारण वो मुझे तुरंत जेल में डालने जा रहे हैं। मैं सारे रास्ते येही सोचते हुए आया कि अगर जेल भी जाना पड़े तो मैं तैयार हूं। खुदको मानसिक तौर पर इसके लिए तैयार करता रहा। पर जैसे ही अधिकारी ने मुझसे जेल में डालने की बात कही मुझे तुरंत मेरे बच्चों की याद आ गयी। थोड़ी देर के लिए ये सोचकर मैं डर गया कि मैं अब शायद लंबे समय तक मेरे बच्चों को नहीं देख पाऊंगा और मैंने जांच अधिकारी से निवेदन किया कि मुझे जेल में न डालें। इसके विपरीत वे जब भी मुझे बुलाएंगे मैं आ जाऊंगा। उन्होंने मेरे इस नवेदन को मान लिया और मुझे आश्वासन दिया कि वे मुझे घर जाने देंगे। ये सुनते ही मुझे शांति मिली।
जिस जगह मैं गया था वहां तक पोहुचने का रास्ता भी बड़ा सुनसान और अकेलापन भरा था। शायद इसी कारण मैं थोड़ी देर के लिए कमज़ोर पड़ गया। वास्तव में अगर जेल में डाल ही देते तो शायद थोड़ी देर में मैं खुदको संभाल लेता। खैर जो हुआ सो हुआ। इन सबके बाद उन्होंने मुझसे मेरा फ़ोन मांगा और उसमें कार्यवाही के तहत सबूतों की जांच की गई। जब उन्हें वही screenshot मिले जो शिकायत करता के द्वारा दिए गए थे तो उन्होंने मेरा फ़ोन sim सहित जप्त कर लिया।
बोहुत अच्छा बर्ताव करते हुए उन्होंने मुझे चाय भी पिलाई अन्यथा मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई हत्यारा या आतंकवादी हूं जिसके चलते मुझे ऐसे व्यवहार का अधिकार नहीं है पर सराहना करता हूँ उत्तराखंड पुलिस की मैंने शायद ही कभी किसी उत्तराखंड पुलिस के अधिकारी को गाली देते या बदतमीज़ी करते देखा है। इन सब बातों के बाद उन्होंने बताएं दर्ज किया और जो Standard Protocol होता है वो पूरा करके उन्होंने मुझे जाने दिया। मुझे वहां से निकलने में रात हो गयी थी और मेरी पत्नी ने कहा कि रात का सफर न करूं क्योंकि रास्ता जंगली और वीरान है। लेकिन मैं अपने बच्चों से मिलने के लिए बोहुत बेताब था इसलिए कहीं रुका नहीँ और रात को 1 बजे अपने घर पोहुँचा। मैं परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ उन्होंने मुझे ये सौभाग्य दिया कि मैं प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार के लिए सब करने पाया। आप सभी की प्रार्थनाओं के लिए भी धन्यवाद।