प्रकाशित वाक्य – अध्याय 14

🌟 अध्याय की झलक:
यह अध्याय न्याय और दया के बीच संतुलन को दर्शाता है। एक ओर 144,000 वफादार जन स्वर्ग में परमेश्वर की महिमा गाते हैं, वहीं दूसरी ओर तीन स्वर्गदूत पृथ्वी पर न्याय की घोषणा करते हैं। अंत में पृथ्वी की “कटाई” – यानी दो प्रकार के न्याय का ज़िक्र है: धर्मियों का संग्रह और दुष्टों का नाश।


🔹 1-5 पद: युगों के लिए चुने गए – 144,000

फिर मैंने देखा, कि देखो, मेम्ना सिय्योन पर्वत पर खड़ा है, और उसके साथ 1,44,000 जन हैं, जिनके माथे पर उसके और उसके पिता का नाम लिखा हुआ था।”

🔍 प्रतीक और अर्थ:

 

·  मेम्ना – यीशु मसीह।

· सिय्योन पर्वत – स्वर्गीय सिय्योन या आत्मिक यरूशलेम का प्रतीक (इब्रानियों 12:22)

·  144,000 – ये वही विश्वासी हैं जिन्हें प्रका. 7 में “महर” किया गया था। ये अंत तक वफादार रहे।

· माथे पर नाम – यह उनके परमेश्वर के साथ संबंध और पहचान का चिन्ह है।

· कुँवारी” – आत्मिक दृष्टि से शुद्धता और मसीह के प्रति पूर्ण निष्ठा।

· झूठ न बोला” – पूर्ण सत्य में चलने वाले।🕊🎶

 

सीख: सच्चे विश्वासी संसार के भ्रष्टाचार से अलग होकर मसीह के साथ खड़े रहते हैं।


🔹 6-13 पद: तीन स्वर्गदूतों का सन्देश

 

1.      पहला स्वर्गदूत: सुसमाचार की अंतिम पुकार

उसने… यह अनन्त सुसमाचार सुनाया… परमेश्वर से डरो, और उसकी महिमा करो।”

· सभी राष्ट्रों के लिए अंतिम अवसर – परमेश्वर की आराधना करो!

 

2.     दूसरा स्वर्गदूत: बाबुल का पतन

गिर गया, महान बाबुल गिर गया, जिसने अपने व्यभिचार की मदिरा से सब जातियों को पिलाया।”

· बाबुल – धार्मिक और राजनीतिक भ्रष्टता का प्रतीक।

·  इसका पतन सुनिश्चित है।

3.    तीसरा स्वर्गदूत: पशु की छाप का परिणाम

 

यदि कोई पशु और उसकी मूरत की पूजा करे, और अपनी छाप अपने माथे या हाथ पर ले… वह परमेश्वर के क्रोध का पात्र बनेगा।” ☠🔥

· पशु की छाप लेने का अर्थ है: शैतान की व्यवस्था में भागीदार होना।

· इसका अंत अनन्त दण्ड है।🧠📛✋

सीख: आत्मिक सतर्कता ज़रूरी है – परमेश्वर के प्रति निष्ठा बनाए रखें, चाहे कीमत कुछ भी हो।


🔹 14-20 पद: दो प्रकार की कटाई

 

🌾 पहली कटाई – मसीह द्वारा

एक सफेद बादल पर मनुष्य के पुत्र के समान कोई बैठा था… और उसने पृथ्वी पर अपनी दरांती चलाई।”

· यह मसीह द्वारा धर्मियों की आत्मिक कटाई है – मसीही जनों का संग्रह।

 

🍇 दूसरी कटाई – दुष्टों का न्याय

 

पृथ्वी की दाखलताओं की दरांती चलाकर दाखें इकट्ठी कीं… और परमेश्वर के क्रोध की हौद में फेंका।”

· यह दुष्टों का न्याय है।

· लोहू बह निकला और घोड़ों की लगाम तक आ गया” – अत्यधिक और गंभीर न्याय। ⚖🌍

 

सीख: न्याय निश्चित है – समय रहते पश्चाताप ज़रूरी है।


✅ इस अध्याय से क्या सिखें?

 

✝परमेश्वर अपने वफादार लोगों को चिन्हित करता है और अंत तक उनकी रक्षा करता है।
✝पूरी दुनिया को अंतिम चेतावनी दी जाती है – यह दया का संकेत है।
✝पशु की छाप लेने का मतलब सिर्फ कोई “सिस्टम” नहीं, बल्कि निष्ठा की दिशा है – परमेश्वर या शैतान।
✝न्याय दो भागों में होता है – एक उद्धार के लिए, एक नाश के लिए।


📌 याद रखने योग्य वचन:

जो मसीह यीशु में मरते हैं, वे धन्य हैं… वे अपने परिश्रम से विश्राम पाएंगे।”
(प्रकाशित वाक्य 14:13)