🌟 अध्याय की झलक:
स्वर्ग में एक अत्यंत महत्वपूर्ण दृश्य सामने आता है — परमेश्वर के हाथ में एक पुस्तक है, जो सात मुहरों से बंद है।
पूरा स्वर्ग शोक करता है क्योंकि कोई उसे खोलने योग्य नहीं दिखता।
तभी “मेम्ना” (यानी यीशु मसीह) प्रकट होता है और वह इस पुस्तक को लेने और खोलने योग्य पाया जाता है।
यह अध्याय मसीह की विजय, बलिदान और आराधना को प्रकट करता है।
🔹 1-4 पद: मुहरबंद पुस्तक और स्वर्ग का दुःख
प्रतीक:
📜 सीख: जब तक मसीह प्रकट नहीं होता, हमारे पास कोई आशा नहीं होती।
🔹 5-7 पद: विजयी सिंह और बलिदान मेम्ना
प्रतीक:
🦁🐑 सीख: यीशु मसीह बलशाली राजा भी हैं और बलिदान देने वाला सेवक भी।
🔹 8-10 पद: स्वर्ग में मेम्ना की आराधना
“तू ही इस पुस्तक को लेने और इसकी मुहरें खोलने के योग्य है; क्योंकि तू मारा गया और तूने अपने लहू के द्वारा हर जाति, भाषा, लोगों और राष्ट्र में से लोगों को परमेश्वर के लिए खरीद लिया…”
प्रतीक:
🎵 सीख: उद्धार का अनुभव नई आराधना और नई आराधना का जीवन उत्पन्न करता है।
🔹 11-14 पद: स्वर्ग और सारी सृष्टि की संयुक्त आराधना
“मेम्ना जो मारा गया, सामर्थ्य, धन, ज्ञान, बल, आदर, महिमा और धन्यवाद के योग्य है।”
“सिंहासन पर बैठे हुए और मेम्ना की महिमा, आदर और सामर्थ्य युगानुयुग रहे!”
प्रतीक:
🌍 सीख: यीशु मसीह ही सारी सृष्टि की आराधना का केन्द्र हैं।
✅ इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️ मसीह ही परमेश्वर की योजना को पूरा करने के योग्य हैं।
✝️ केवल उनका बलिदान ही मनुष्यजाति का उद्धार संभव बनाता है।
✝️ स्वर्ग और पृथ्वी — दोनों के आराध्य केवल मसीह हैं।
✝️ हमें अपने जीवन से उन्हें आदर, महिमा और धन्यवाद देना चाहिए।
📌 याद रखने योग्य वचन
“तू ही इस पुस्तक को लेने और इसकी मुहरें खोलने के योग्य है; क्योंकि तू मारा गया और तूने अपने लहू के द्वारा हर जाति, भाषा, लोगों और राष्ट्र में से लोगों को परमेश्वर के लिए खरीद लिया।”
(प्रकाशित वाक्य 5:9)

