🌟अध्याय की झलक: यह अध्याय पिछले अध्याय (छठी मुहर) के बाद आता है और एक “अंतराल” (Interlude) जैसा है। यह परमेश्वर के संरक्षण और उसकी दया को दर्शाता है — कैसे कुछ लोग महाकष्टकाल के दौरान सुरक्षित रखे जाते हैं और कैसे अनगिनत भीड़ स्वर्ग में विजय का उत्सव मनाती है। यह अध्याय दो मुख्य दृश्य दिखाता है: ➔पृथ्वी पर 144,000 लोगों की मुहरबंदी। ➔स्वर्ग में महान भीड़ की आराधना।
🔹1-3 पद: चार स्वर्गदूतों द्वारा पृथ्वी का थामना
चार स्वर्गदूत पृथ्वी के चार कोनों पर खड़े हैं, और चार हवाओं को रोक रहे हैं ताकि पृथ्वी पर कोई नुकसान न पहुँचे।
एक और स्वर्गदूत “जीवित परमेश्वर की मुहर” के साथ आता है और कहता है:
“जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न कर लें, तब तक पृथ्वी, समुद्र और पेड़ों को नुकसान न पहुँचाओ।“
प्रतीक:
चार स्वर्गदूत और चार हवाएँ — पूरी पृथ्वी पर परमेश्वर का नियंत्रण।
मुहर — परमेश्वर का स्वामित्व, सुरक्षा, और छुटकारे की गारंटी।
माथे पर मुहर लगाना — परमेश्वर के दासों की पहचान और संरक्षण।
🌬️✋सीख: परमेश्वर अपने जनों को विपत्तियों में पहचानता और सुरक्षित रखता है।
🔹4-8 पद: 144,000 इस्राएलियों की मुहरबंदी
12 गोत्रों में से प्रत्येक से 12,000 कुल 144,000 लोगों पर मुहर लगाई जाती है।
ये इस्राएली वंशज हैं, जिन्हें महाकष्टकाल में विशेष रूप से सुरक्षित रखा गया।
प्रतीक:
144,000 — पूर्णता और परमेश्वर के चुने हुए जनों का प्रतिनिधित्व।
12,000 x 12 गोत्र — व्यवस्था और समर्पण की पूर्णता।
📜🛡️ सीख: परमेश्वर की योजना में इस्राएल का पुनःस्थापन भी शामिल है।
🔹9-17 पद: स्वर्ग में महान भीड़ का दर्शन
यूहन्ना ने एक बड़ी भीड़ देखी जिसे कोई गिन नहीं सकता था — हर राष्ट्र, जाति, लोग और भाषा से।
वे सफेद वस्त्र पहने हुए और हथेलियों में खजूर की डालियाँ लिए खड़े थे।
वे ऊँचे स्वर से कह रहे थे:
“उद्धार हमारे परमेश्वर का है जो सिंहासन पर बैठा है, और मेम्ना का है!“
प्रतीक:
महान भीड़— वे जो महाकष्टकाल से निकलकर विजय प्राप्त करते हैं।
सफेद वस्त्र — धार्मिकता, पवित्रता और विजय का प्रतीक।
खजूर की डालियाँ — विजय और आनंद का प्रतीक (जैसे यीशु के यरूशलेम प्रवेश पर लोग लहराते थे)।
🌿👗सीख: परमेश्वर की कृपा हर भाषा, राष्ट्र और संस्कृति के लिए खुली है। उद्धार सार्वभौमिक है।
🔹13-17 पद: भीड़ का परिचय और उनका पुरस्कार
एक प्राचीन व्यक्ति ने यूहन्ना से पूछा: “ये कौन हैं जो सफेद वस्त्र पहने हुए हैं?“
उत्तर दिया गया:
“ये वे हैं जो महाकष्टकाल से निकल कर आए हैं। उन्होंने अपने वस्त्र मेम्ने के लहू में धोकर उजले किए हैं।“
अब वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने उसकी सेवा करते हैं।
वे फिर कभी भूखे या प्यासे नहीं रहेंगे, सूर्य या तपन उन्हें न सताएगी।
मेम्ना उनका चरवाहा बनेगा और उन्हें जीवन के जल के सोतों तक ले जाएगा।
परमेश्वर उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा।
प्रतीक:
महाकष्टकाल से निकलनेवाले — विजयी विश्वासी जो विश्वास में दृढ़ रहे।
मेम्ने का चरवाहा बनना — यीशु का प्रेम और देखभाल।
आँसू पोंछना — परम शांति और पुनर्स्थापना।
🛐💧सीख: महाकष्ट में धैर्य और विश्वास से टिके रहने वालों के लिए अनन्त आनंद और शांति निश्चित है।
✅इस अध्याय से क्या सिखें? ✝️परमेश्वर विपत्तियों में भी अपने लोगों को पहचानता और सुरक्षित करता है। ✝️उद्धार किसी एक जाति के लिए नहीं, बल्कि सारी मानवता के लिए है। ✝️महाकष्टकाल के बावजूद, परमेश्वर के विश्वासी अंततः विजय पाएँगे। ✝️यीशु मसीह ही हमारा चरवाहा है, जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है।
📌याद रखने योग्य वचन: “और परमेश्वर उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा।” (प्रकाशित वाक्य 7:17)