प्रकाशित वाक्य – अध्याय 7

🌟 अध्याय की झलक:
यह अध्याय पिछले अध्याय (छठी मुहर) के बाद आता है और एक “अंतराल” (Interlude) जैसा है।
यह परमेश्वर के संरक्षण और उसकी दया को दर्शाता है — कैसे कुछ लोग महाकष्टकाल के दौरान सुरक्षित रखे जाते हैं और कैसे अनगिनत भीड़ स्वर्ग में विजय का उत्सव मनाती है।
यह अध्याय दो मुख्य दृश्य दिखाता है:
 पृथ्वी पर 144,000 लोगों की मुहरबंदी।
 स्वर्ग में महान भीड़ की आराधना।


🔹 1-3 पद: चार स्वर्गदूतों द्वारा पृथ्वी का थामना

  • चार स्वर्गदूत पृथ्वी के चार कोनों पर खड़े हैंऔर चार हवाओं को रोक रहे हैं ताकि पृथ्वी पर कोई नुकसान न पहुँचे।
  • एक और स्वर्गदूत “जीवित परमेश्वर की मुहर” के साथ आता है और कहता है:

जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न कर लेंतब तक पृथ्वीसमुद्र और पेड़ों को नुकसान न पहुँचाओ।

प्रतीक:

  • चार स्वर्गदूत और चार हवाएँ — पूरी पृथ्वी पर परमेश्वर का नियंत्रण।
  • मुहर — परमेश्वर का स्वामित्वसुरक्षाऔर छुटकारे की गारंटी।
  • माथे पर मुहर लगाना — परमेश्वर के दासों की पहचान और संरक्षण।

🌬 सीख: परमेश्वर अपने जनों को विपत्तियों में पहचानता और सुरक्षित रखता है।


🔹 4-8 पद: 144,000 इस्राएलियों की मुहरबंदी

  • 12 गोत्रों में से प्रत्येक से 12,000 कुल 144,000 लोगों पर मुहर लगाई जाती है।
  • ये इस्राएली वंशज हैंजिन्हें महाकष्टकाल में विशेष रूप से सुरक्षित रखा गया।

प्रतीक:

  • 144,000 — पूर्णता और परमेश्वर के चुने हुए जनों का प्रतिनिधित्व।
  • 12,000 x 12 गोत्र — व्यवस्था और समर्पण की पूर्णता।

📜🛡️ सीख: परमेश्वर की योजना में इस्राएल का पुनःस्थापन भी शामिल है।


🔹 9-17 पद: स्वर्ग में महान भीड़ का दर्शन

  • यूहन्ना ने एक बड़ी भीड़ देखी जिसे कोई गिन नहीं सकता था — हर राष्ट्रजातिलोग और भाषा से।
  • वे सफेद वस्त्र पहने हुए और हथेलियों में खजूर की डालियाँ लिए खड़े थे।
  • वे ऊँचे स्वर से कह रहे थे:

उद्धार हमारे परमेश्वर का है जो सिंहासन पर बैठा हैऔर मेम्ना का है!

प्रतीक:

  • महान भीड़ — वे जो महाकष्टकाल से निकलकर विजय प्राप्त करते हैं।
  • सफेद वस्त्र — धार्मिकतापवित्रता और विजय का प्रतीक।
  • खजूर की डालियाँ — विजय और आनंद का प्रतीक (जैसे यीशु के यरूशलेम प्रवेश पर लोग लहराते थे)।

🌿👗 सीख: परमेश्वर की कृपा हर भाषाराष्ट्र और संस्कृति के लिए खुली है। उद्धार सार्वभौमिक है।


🔹 13-17 पद: भीड़ का परिचय और उनका पुरस्कार

  • एक प्राचीन व्यक्ति ने यूहन्ना से पूछा: “ये कौन हैं जो सफेद वस्त्र पहने हुए हैं?
  • उत्तर दिया गया:

ये वे हैं जो महाकष्टकाल से निकल कर आए हैं। उन्होंने अपने वस्त्र मेम्ने के लहू में धोकर उजले किए हैं।

  • अब वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने उसकी सेवा करते हैं।
  • वे फिर कभी भूखे या प्यासे नहीं रहेंगेसूर्य या तपन उन्हें न सताएगी।
  • मेम्ना उनका चरवाहा बनेगा और उन्हें जीवन के जल के सोतों तक ले जाएगा।
  • परमेश्वर उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा।

प्रतीक:

  • महाकष्टकाल से निकलनेवाले — विजयी विश्वासी जो विश्वास में दृढ़ रहे।
  • मेम्ने का चरवाहा बनना — यीशु का प्रेम और देखभाल।
  • आँसू पोंछना — परम शांति और पुनर्स्थापना।

🛐💧 सीख: महाकष्ट में धैर्य और विश्वास से टिके रहने वालों के लिए अनन्त आनंद और शांति निश्चित है।


 इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️ परमेश्वर विपत्तियों में भी अपने लोगों को पहचानता और सुरक्षित करता है।
✝️ उद्धार किसी एक जाति के लिए नहींबल्कि सारी मानवता के लिए है।
✝️ महाकष्टकाल के बावजूदपरमेश्वर के विश्वासी अंततः विजय पाएँगे।
✝️ यीशु मसीह ही हमारा चरवाहा हैजो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है।


📌 याद रखने योग्य वचन:
और परमेश्वर उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा।”
(प्रकाशित वाक्य 7:17)