प्रकाशित वाक्य – अध्याय 9

🌟 अध्याय की झलक:
यह अध्याय परमेश्वर के न्याय का और भी भयानक चित्र प्रस्तुत करता है।
पाँचवीं तुरही में अधोलोक (Abyss) से भयावह टिड्डियों का दल निकलता हैऔर छठी तुरही में घुड़सवार सेनाएँ पृथ्वी के एक तिहाई मनुष्यों का नाश करती हैं।
यह अध्याय दिखाता है कि मनुष्य कितना भी पीड़ा झेलेफिर भी कई लोग मन नहीं फिराते।


🔹 1-12 पद: पाँचवीं तुरही – अधोलोक से टिड्डियों का आतंक

  • पाँचवें स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी:
    • एक तारे को स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरते हुए देखा गया।
    • उसे अधोलोक के कुएँ की कुंजी दी गई।
    • कुएँ से धुआँ उठाजैसे बड़े भट्ठी से निकलता है।
    • धुएँ से टिड्डी जैसे जीव निकलेजिनके पास बिच्छू जैसी शक्ति थी।
    • उन्हें आदेश था कि वे न हरी घासन वृक्षबल्कि केवल उन मनुष्यों को हानि पहुँचाएँ जिनके माथे पर परमेश्वर की मुहर नहीं है।
    • वे पाँच महीने तक लोगों को सताएँगेपर मारेंगे नहीं।
    • लोग मौत चाहेंगेलेकिन मौत उनसे दूर भागेगी।

प्रतीक और उनके अर्थ:

  • गिरा हुआ तारा — एक स्वर्गदूत या दूत जो गिर चुका हैसंभवतः शैतान।
  • अधोलोक का कुआँ — बुराई का कारागारदुष्ट शक्तियों का स्रोत।
  • धुआँ — अंधकारभ्रम और पाप का प्रसार।
  • टिड्डियाँ — सामान्य टिड्डियाँ नहींबल्कि दुष्ट आत्मिक शक्तियाँजो पीड़ा पहुँचाती हैं।
  • बिच्छू का डंक — गहरी पीड़ा और मानसिक-आध्यात्मिक यातना का प्रतीक।
  • पाँच महीने — सीमित समय के लिए परमेश्वर का नियंत्रित न्याय।

सीख: परमेश्वर के बिना जीवन अंधकार और पीड़ा से भर जाता है।


🔹 13-19 पद: छठी तुरही – घातक घुड़सवारों की सेना

  • छठे स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी:
    • स्वर्ण वेदी के चार सींगों से एक आवाज़ आई।
    • चार स्वर्गदूतों को छोड़ने का आदेश मिलाजो बड़े यमुना (यूफ्रेटीस) नदी के पास बंधे थे।
    • इन चारों ने एक बहुत बड़ी सेना को छोड़ा — दो करोड़ घुड़सवार!
    • इन घुड़सवारों के घोड़ों के सिर शेरों जैसे थेऔर उनके मुँह से आगधुआँ और गंधक निकलती थी।
    • इन तीन विपत्तियों (आगधुआँगंधक) से पृथ्वी का एक तिहाई मानवता मारी गई।

प्रतीक और उनके अर्थ:

  • चार बँधे हुए स्वर्गदूत — न्याय के लिए ठहराए गए स्वर्गिक प्राणीअब छोड़ दिए गए।
  • यमुना (यूफ्रेटीस) — प्राचीन सभ्यताओं का केंद्रबाइबिल में अक्सर संकटों का स्रोत।
  • दो करोड़ घुड़सवार — विशालअजेय विनाशकारी सेना।
  • घोड़ों के मुँह से आगधुआँ और गंधक निकलना — विनाशकारी युद्ध और परमाणु/रासायनिक हमलों का प्रतीक भी हो सकता है।
  • तीन विपत्तियाँ — व्यापक मौत और तबाही का प्रतीक।

सीख: जब मानवता पश्चाताप नहीं करतीतो न्याय और भी कठोर होता जाता है।


🔹 20-21 पद: फिर भी मन फिराया नहीं

  • इतनी भयंकर विपत्तियों के बाद भी बचे हुए मनुष्यों ने अपने पापों से मन नहीं फिराया।
  • वे अभी भी दुष्ट आत्माओं की पूजा करते रहे,
    • सोनेचाँदीपीतलपत्थर और लकड़ी की मूर्तियों कीजो न देखतीन सुनतीन चलती हैं।
  • उन्होंने हत्याएँजादू-टोनाव्यभिचार और चोरी करना नहीं छोड़ा।

प्रतीक:

  • मूर्ति पूजा और पाप में लिप्तता — मानव हृदय की कठोरता और आत्मिक अंधापन।

सीख: दुख और विपत्ति भी यदि पश्चाताप नहीं लातीतो इसका परिणाम और भी भयानक हो सकता है।


✅ इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️ परमेश्वर का न्याय गहरा और निश्चित है।
✝️ दुष्ट आत्माएँ भी परमेश्वर की अनुमति के बिना कार्य नहीं कर सकतीं।
✝️ पश्चाताप करने का समय सीमित है — अवसर रहते प्रभु की ओर लौटना चाहिए।
✝️ कठोर हृदय विनाश को बुलाता है।


📌 याद रखने योग्य वचन:
और उन लोगों ने न तो अपने हाथों के कामों से मन फिरायान दुष्टात्माओं कीन मूर्तियों की उपासना छोड़ दी…”
(प्रकाशित वाक्य 9:20)