1. परिचय
गिनती (Numbers) बाइबल की चौथी पुस्तक है और यह इस्राएलियों की मिस्र से निकलने के बाद की यात्रा को दर्शाती है। यह पुस्तक 1440-1400 ईसा पूर्व लिखी गई थी और इसे मूसा ने लिखा। इसमें परमेश्वर के लोगों की गिनती, उनके जंगल में सफर, परमेश्वर की आशीषें, उनके अविश्वास और उसकी सज़ाओं का वर्णन है। यह पुस्तक हमें सिखाती है कि किस प्रकार परमेश्वर की योजना और उसकी आज्ञाओं के प्रति समर्पण आवश्यक है।
2. ऐतिहासिक और पुरातात्विक प्रमाण
गिनती की पुस्तक में वर्णित घटनाएँ ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। पुरातत्वविदों ने सीनै पर्वत (Mount Sinai) और कादेश-बर्नेआ (Kadesh Barnea) के आसपास के क्षेत्रों में इस्राएलियों के पड़ावों के संकेत पाए हैं। मिस्र और मध्य पूर्व के अभिलेखों में भी इस्राएलियों के जंगल में भटकने की संभावित पुष्टि मिलती है।
3. पुस्तक का विभाजन
गिनती की पुस्तक को चार मुख्य भागों में बाँटा जा सकता है:
1. इस्राएलियों की गिनती (अध्याय 1-4)
इस भाग में इस्राएलियों की जनगणना का वर्णन है, जिसमें कुल 603,550 पुरुष गिने गए। यह गिनती इस्राएल की सैन्य शक्ति और उनके गोत्रों की व्यवस्था को दर्शाती है।
2. जंगल में यात्रा और अविश्वास (अध्याय 5-25)
- इस्राएलियों को परमेश्वर ने वादा किया था कि वे प्रतिज्ञा किए गए देश में प्रवेश करेंगे, लेकिन उनका अविश्वास और शिकायतों के कारण वे 40 वर्षों तक जंगल में भटकते रहे।
- 12 गुप्तचरों को कनान भेजा गया, लेकिन केवल यहोशू और कालिब ने परमेश्वर पर विश्वास दिखाया।
- इस्राएलियों ने बार-बार परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया, जिसके कारण उन्हें दंड मिला।
3. नया विश्वास और दूसरी पीढ़ी की तैयारी (अध्याय 26-36)
- पहली पीढ़ी की मृत्यु के बाद, दूसरी पीढ़ी को परमेश्वर की आज्ञाओं को पुनः सिखाया गया।
- परमेश्वर ने यहोशू को मूसा का उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
- प्रतिज्ञा किए गए देश में प्रवेश से पहले, कुछ गोत्रों को यरदन नदी के पूर्व में भूमि दी गई।
4. आत्मिक शिक्षा
गिनती की पुस्तक हमें यह सिखाती है:
- परमेश्वर की योजनाएँ अटल होती हैं।
- अविश्वास परमेश्वर की आशीषों से वंचित कर सकता है।
- परमेश्वर अपने लोगों से पवित्रता की अपेक्षा करता है।
- धैर्य और भरोसा मसीही जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
5. मसीही जीवन में गिनती का महत्व
- विश्वास की परीक्षा – जैसे इस्राएली जंगल में परीक्षा से गुज़रे, वैसे ही मसीही जीवन में हमें भी परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है।
- परमेश्वर की अगुवाई – गिनती दिखाती है कि परमेश्वर अपने लोगों को मार्गदर्शन देता है, जैसे उसने बादल और अग्नि के खंभे से किया।
- यीशु मसीह की ओर संकेत – जैसे कांस्य साँप को देखकर लोग बच गए (गिनती 21:9), वैसे ही यीशु मसीह पर विश्वास करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
6. निष्कर्ष
गिनती की पुस्तक एक चेतावनी और एक प्रेरणा दोनों है। यह हमें दिखाती है कि परमेश्वर की आज्ञाकारिता का इनाम है, लेकिन अविश्वास के परिणाम घातक हो सकते हैं। यदि हम परमेश्वर पर भरोसा रखें, तो वह हमें हमारे प्रतिज्ञा किए गए आशीषों तक पहुँचाएगा।