1 कुरिन्थियों की पुस्तक का सर्वेक्षण (Survey of the Book of 1 Corinthians)

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1️ पुस्तक का परिचय (Introduction)

1 कुरिन्थियों की पुस्तक नया नियम की एक महत्वपूर्ण पत्री है, जिसे पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया के लिए लिखा था। यह कलीसिया कई आत्मिक समस्याओं और विभाजनों का सामना कर रही थी, जिसके कारण पौलुस ने उन्हें सुधारने के लिए यह पत्र लिखा।

📌 लेखक:

✅ पौलुस प्रेरित (1 कुरिन्थियों 1:1)

📌 लिखने का समय:

✅ लगभग 55 ईस्वी (इफिसुस में रहते हुए लिखा गया)

📌 मुख्य उद्देश्य:

✅ कलीसिया के भीतर पाई जाने वाली समस्याओं का समाधान देना।
✅ आत्मिक वरदानों और मसीही जीवन के सिद्धांतों को स्पष्ट करना।
✅ प्रेम, एकता, और पुनरुत्थान की शिक्षाओं पर बल देना।


2️ मुख्य विषय (Themes of 1 Corinthians)

✅ कलीसिया में एकता और विभाजन का समाधान।
✅ अनैतिकता और नैतिक शुद्धता की शिक्षा।
✅ आत्मिक वरदानों का सही उपयोग।
✅ प्रेम की सर्वोच्चता (1 कुरिन्थियों 13)
✅ मसीह का पुनरुत्थान और हमारे पुनरुत्थान की आशा।


3️ पुस्तक की संरचना (Outline of 1 Corinthians)

खंड

विवरण

अध्याय

भाग 1

कलीसिया में विभाजन और एकता का संदेश

1-4

भाग 2

नैतिक शुद्धता और आत्मिक अनुशासन

5-7

भाग 3

मसीही स्वतंत्रता और आत्मिक जागरूकता

8-10

भाग 4

आत्मिक वरदानों और प्रेम की सर्वोच्चता

11-14

भाग 5

मसीह का पुनरुत्थान और हमारी आशा

15

भाग 6

निष्कर्ष और अंतिम निर्देश

16


4️ प्रमुख शिक्षाएँ और शिक्षाएँ (Key Teachings in 1 Corinthians)

📍 1 कुरिन्थियों 1:10 – “तुम सब एक ही मन और एक ही विचार के साथ रहो।”
📍 1 कुरिन्थियों 3:16 – “क्या तुम नहीं जानते कि तुम परमेश्वर का मन्दिर हो?”
📍 1 कुरिन्थियों 6:19-20 – “तुम्हारी देह पवित्र आत्मा का मन्दिर है।”
📍 1 कुरिन्थियों 10:13 – “परमेश्वर तुम्हें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में न डालेगा।”
📍 1 कुरिन्थियों 11:23-26प्रभु भोज की स्थापना।
📍 1 कुरिन्थियों 13:4-7 – “प्रेम धीरजवन्त और कृपालु है…।”
📍 1 कुरिन्थियों 15:20-22मसीह का पुनरुत्थान हमारी आशा है।


5️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from 1 Corinthians)

✅ मसीही जीवन में एकता और प्रेम अत्यावश्यक हैं।
✅ कलीसिया को नैतिक और आत्मिक रूप से शुद्ध रहना चाहिए।
✅ आत्मिक वरदानों का उपयोग परमेश्वर की महिमा के लिए किया जाना चाहिए।
✅ प्रेम सबसे बड़ा आत्मिक गुण है।
✅ मसीह का पुनरुत्थान हमारे विश्वास की नींव है।


6️ प्रमुख पात्र (Key Figures in 1 Corinthians)

🔹 पौलुस प्रेरितइस पत्री के लेखक और कलीसिया के आत्मिक मार्गदर्शक।
🔹 कुरिन्थ की कलीसियाजिसे यह पत्र लिखा गया, जहाँ कई समस्याएँ थीं।
🔹 मसीह यीशुउद्धार, पुनरुत्थान, और प्रेम के प्रमुख उदाहरण।


7️ मसीही भविष्यवाणियाँ (Messianic Prophecies in 1 Corinthians)

📍 1 कुरिन्थियों 1:30मसीह हमारी धार्मिकता और पवित्रता है।
📍 1 कुरिन्थियों 5:7 – “मसीह हमारा फसह का मेम्ना है।”
📍 1 कुरिन्थियों 15:3-4 – “मसीह हमारे पापों के लिए मरा और तीसरे दिन जी उठा।”


8️ निष्कर्ष (Conclusion)

1 कुरिन्थियों की पुस्तक हमें सिखाती है कि मसीही विश्वासियों को प्रेम, एकता, और आत्मिक परिपक्वता में बढ़ना चाहिए। यह कलीसिया को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है और मसीह के पुनरुत्थान की महान आशा को प्रकट करती है।


🔎 अध्ययन प्रश्न (Study Questions)

1️ 1 कुरिन्थियों 1:10 के अनुसार, कलीसिया में एकता क्यों आवश्यक है?
2️
 आत्मिक वरदानों का क्या उद्देश्य है? (1 कुरिन्थियों 12-14)
3️
 1 कुरिन्थियों 13 में प्रेम के कौन-कौन से गुण बताए गए हैं?
4️
 1 कुरिन्थियों 15 में मसीह के पुनरुत्थान का क्या महत्व है?