एज्रा की पुस्तक का सर्वेक्षण (Survey of the Book of Ezra)

1️ पुस्तक का परिचय

एज्रा की पुस्तक यहूदा के लोगों की बाबुली बंधुआई से वापसी और परमेश्वर की आराधना की पुनर्स्थापना पर केंद्रित है। यह दो प्रमुख घटनाओं को उजागर करती है:

  1. ज़ेरुब्बाबेल के नेतृत्व में यरूशलेम लौटकर मंदिर का पुनर्निर्माण (अध्याय 1-6)
  2. एज्रा के नेतृत्व में आत्मिक जागृति और व्यवस्था का पुनर्स्थापन (अध्याय 7-10)
  • लेखक: एज्रा (यहूदी परंपरा और आंतरिक साक्ष्य के अनुसार)।
  • लिखने का समय: लगभग 450-400 ईसा पूर्व।
  • ऐतिहासिक संदर्भ: बाबुली बंधुआई के बाद यहूदी लोग फ़ारसी राजा कुस्रू (साइरस) के आदेश से यहूदा लौट रहे थे।

2️ मुख्य विषय (Themes of Ezra)

  1. परमेश्वर की विश्वासयोग्यतापरमेश्वर अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करता है।
  2. पुनर्स्थापन और आराधनामंदिर का पुनर्निर्माण और व्यवस्था की पुनर्स्थापना।
  3. आत्मिक जागृतिपरमेश्वर के वचन के प्रति समर्पण।
  4. पवित्रता और अलगाव यहूदी लोगों को अन्य जातियों से अलग होकर जीवन जीने का निर्देश।
  5. नेतृत्व और सेवाज़ेरुब्बाबेल और एज्रा का नेतृत्व यह दिखाता है कि परमेश्वर के लोगों को कैसे मार्गदर्शन देना चाहिए।

3️ पुस्तक की संरचना (Outline of Ezra)

खंड

विवरण

मुख्य अध्याय

1. यहूदियों की बाबुल से वापसी

राजा कुस्रू की आज्ञा और यहूदी लोगों की वापसी

अध्याय 1-2

2. मंदिर का पुनर्निर्माण

वेदी की स्थापना, विरोध और मंदिर का पुनर्निर्माण

अध्याय 3-6

3. एज्रा का नेतृत्व और आत्मिक सुधार

एज्रा की यरूशलेम यात्रा,律法 (व्यवस्था) की शिक्षा और पुनर्स्थापन

अध्याय 7-10


4️ प्रमुख घटनाएँ (Key Events in Ezra)

  1. राजा कुस्रू (Cyrus) की आज्ञा और यहूदियों की वापसी (अध्याय 1)
    • यह भविष्यवाणी का पूर्ति (यशायाह 44:28, यिर्मयाह 29:10) है।
    • परमेश्वर लोगों को अपने वचन के अनुसार पुनर्स्थापित करता है।
  2. मंदिर का पुनर्निर्माण और विरोध (अध्याय 3-6)
    • वेदी स्थापित की गई और बलिदान शुरू हुए।
    • स्थानीय शत्रुओं ने विरोध किया, लेकिन परमेश्वर की योजना पूरी हुई।
    • हाग्गै और जकर्याह भविष्यद्वक्ताओं ने यहूदी लोगों को प्रोत्साहित किया।
  3. एज्रा की वापसी और आत्मिक सुधार (अध्याय 7-10)
    • एज्रा यरूशलेम में व्यवस्था का पुनर्स्थापन करता है।
    • लोगों को अन्यजातियों से विवाह छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है।
    • परमेश्वर की वाचा के प्रति नवीनीकरण किया जाता है।

5️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from Ezra)

✅ परमेश्वर की योजनाएँ पूरी होती हैंबाबुली बंधुआई से वापसी यह दर्शाती है कि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करता है।
✅ सच्ची आराधना का पुनर्स्थापन आवश्यक हैपरमेश्वर अपने लोगों को वापस लाकर उनकी आराधना को पुनर्स्थापित करता है।
✅ नेतृत्व और आज्ञाकारिता महत्वपूर्ण हैंज़ेरुब्बाबेल और एज्रा के नेतृत्व से हम परमेश्वर के मार्ग पर चलने की प्रेरणा पाते हैं।
✅ आत्मिक सुधार आवश्यक हैपरमेश्वर के वचन के प्रति समर्पण ही आत्मिक जागृति लाता है।
✅ प्रतिकूलता के बावजूद परमेश्वर की इच्छा पूरी होती हैमंदिर निर्माण के विरोध के बावजूद परमेश्वर ने इसे पूरा किया।


6️ मसीही दृष्टिकोण (Christ in Ezra)

🔹 पुनर्स्थापन और यीशु मसीहएज्रा की पुस्तक में यहूदियों की वापसी और आत्मिक जागृति मसीह के पुनर्स्थापनकारी कार्य का प्रतीक है।
🔹 मंदिर और यीशुयरूशलेम का मंदिर पुनः बनाया गया, जो अंततः मसीह में पूर्ण हुआ (यूहन्ना 2:19-21)
🔹 व्यवस्था और अनुग्रहएज्रा व्यवस्था को पुनर्स्थापित करता है, जबकि यीशु व्यवस्था को पूरा करता है (मत्ती 5:17)
🔹 एज्रा और मसीहएज्रा ने व्यवस्था सिखाई, जबकि मसीह ने हमें नई वाचा दी।


7️ निष्कर्ष (Conclusion)

एज्रा की पुस्तक यह दर्शाती है कि परमेश्वर अपने लोगों को कभी नहीं छोड़ता। वह उन्हें पुनर्स्थापित करता है, आराधना को पुनर्जीवित करता है और आत्मिक सुधार लाता है। मसीह में हमें सच्चा पुनर्स्थापन और अनुग्रह मिलता है।

🔎 अध्ययन प्रश्न:
1️
 राजा कुस्रू की आज्ञा से हमें क्या आत्मिक शिक्षा मिलती है?
2️
 एज्रा के नेतृत्व से हम मसीही जीवन में क्या सीख सकते हैं?
3️
 मंदिर के पुनर्निर्माण का मसीही विश्वास में क्या महत्व है?

 

 

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