1️ पुस्तक का परिचय (Introduction)
हाग्गै की पुस्तक परमेश्वर की भविष्यवाणी है जो यहूदी लोगों को यह बताती है कि वे अपने निजी कार्यों में लगे रहने के बजाय परमेश्वर के मंदिर को पुनः स्थापित करें। यह पुस्तक हमें सिखाती है कि जब हम परमेश्वर की इच्छा को पहले स्थान पर रखते हैं, तो वह हमें आशीषित करता है।
लेखक:
भविष्यवक्ता हाग्गै (हाग्गै 1:1)
लिखने का समय:
520 ईसा पूर्व (बाबुल की बंधुआई से लौटने के बाद)
ऐतिहासिक संदर्भ:
इस्राएल 70 वर्षों तक बाबुल की बंधुआई में था। जब राजा कुस्रू (Cyrus) ने यहूदियों को वापस लौटने की अनुमति दी, तो वे यरूशलेम लौटे और मंदिर को फिर से बनाने लगे। लेकिन शत्रुओं और अपने व्यक्तिगत कार्यों में व्यस्त रहने के कारण उन्होंने इस कार्य को रोक दिया। हाग्गै ने यहूदियों को परमेश्वर के मंदिर के निर्माण को फिर से शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
2️ मुख्य विषय (Themes of Haggai)
परमेश्वर की आराधना को प्राथमिकता दें।
आत्मिक सुस्ती को त्यागें और परमेश्वर के कार्य को करें।
परमेश्वर की आशीष उन पर है जो उसकी आज्ञा मानते हैं।
परमेश्वर का भविष्य का राज्य आएगा।
3️ पुस्तक की संरचना (Outline of Haggai)
खंड | विवरण | अध्याय |
भाग 1 | मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश | 1:1-15 |
भाग 2 | परमेश्वर की आशीष का आश्वासन | 2:1-9 |
भाग 3 | पवित्रता और आशीष | 2:10-19 |
भाग 4 | ज़रूब्बाबेल की भविष्यवाणी | 2:20-23 |
4️ प्रमुख शिक्षाएँ (Key Lessons from Haggai)
हाग्गै 1:4 – “क्या तुम्हारे लिये यह समय है कि तुम छतदार घरों में बसे रहो, और यह भवन उजाड़ पड़ा रहे?”
हाग्गै 1:6 – “तुम बहुत बोते हो, परन्तु थोड़ा काटते हो; खाते हो, परन्तु तृप्त नहीं होते।”
हाग्गै 2:9 – “इस भवन की पिछली महिमा पहली से बड़ी होगी।”
हाग्गै 2:19 – “अब से मैं तुम्हें आशीष दूँगा।”
5️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from Haggai)
परमेश्वर की इच्छा को प्राथमिकता दें – आत्मिक कार्य पहले आने चाहिए।
हमारी उदासीनता हमें परमेश्वर की आशीष से दूर कर सकती है।
परमेश्वर अपने भवन में महिमा प्रकट करता है।
जो लोग परमेश्वर की आज्ञा मानते हैं, वे उसकी आशीष पाते हैं।
6️ मसीही दृष्टिकोण (Christ in Haggai)
हाग्गै 2:9 – मसीह के राज्य की महिमा परमेश्वर के नए यरूशलेम में प्रकट होगी।
हाग्गै 2:23 – ज़रूब्बाबेल को मसीह के वंश का प्रतीक माना जाता है।
मसीह मंदिर का सच्चा स्वरूप हैं (यूहन्ना 2:19-21)।
7️ निष्कर्ष (Conclusion)
हाग्गै की पुस्तक हमें सिखाती है कि हमें परमेश्वर की योजना को प्राथमिकता देनी चाहिए। जब हम अपने जीवन में परमेश्वर के कार्य को सबसे पहले रखते हैं, तो वह हमें आत्मिक और भौतिक रूप से आशीषित करता है।
अध्ययन प्रश्न (Study Questions)
1️ हाग्गै 1:4 में परमेश्वर ने यहूदियों को किस बात के लिए ललकारा?
2️ परमेश्वर ने यहूदी लोगों की आशीष क्यों रोकी थी?
3️ हाग्गै 2:9 के अनुसार, “इस भवन की पिछली महिमा” किस बात की ओर इशारा करती है?
4️ हम अपने जीवन में परमेश्वर के कार्य को कैसे प्राथमिकता दे सकते हैं?