1️ पुस्तक का परिचय (Introduction)
मत्ती रचित सुसमाचार, नया नियम की पहली पुस्तक है और यह मुख्य रूप से यहूदियों के लिए लिखा गया है ताकि वे समझ सकें कि यीशु ही प्रतिज्ञा किया गया मसीह (मशियाह) और राजा है। इसमें यीशु की वंशावली, उसके शिक्षाएँ, चमत्कार और मृत्यु व पुनरुत्थान का वर्णन है।
लेखक:
मत्ती (लेवी) – एक पूर्व चुंगी लेने वाला, जिसे यीशु ने प्रेरित बनने के लिए बुलाया (मत्ती 9:9)।
लिखने का समय:
लगभग 50-70 ईस्वी
मुख्य उद्देश्य:
यहूदियों को यह दिखाना कि यीशु ही भविष्यवाणी किए गए मसीहा (मशियाह) और दाऊद के वंश से राजा हैं।
पुराने नियम की भविष्यवाणियों की पूर्ति को स्पष्ट करना।
मसीही जीवन के लिए यीशु की शिक्षाओं को प्रस्तुत करना।
2️ मुख्य विषय (Themes of Matthew)
यीशु मसीह – यहूदियों का राजा और मसीहा
पुराने नियम की भविष्यवाणियों की पूर्ति
स्वर्ग का राज्य (Kingdom of Heaven) का संदेश
यीशु की शिक्षाएँ – पहाड़ी उपदेश (Sermon on the Mount)
यीशु के चमत्कार और सेवकाई
यीशु का क्रूस पर बलिदान और पुनरुत्थान
3️ पुस्तक की संरचना (Outline of Matthew)
खंड | विवरण | अध्याय |
भाग 1 | यीशु मसीह का जन्म और परिचय | 1-4 |
भाग 2 | यीशु की शिक्षा और चमत्कार | 5-15 |
भाग 3 | यीशु का मिशन और मसीही राज्य का उद्घाटन | 16-25 |
भाग 4 | यीशु का क्रूस, मृत्यु और पुनरुत्थान | 26-28 |
4️ प्रमुख घटनाएँ और शिक्षाएँ (Key Events and Teachings in Matthew)
यीशु की वंशावली (अध्याय 1) – यह दिखाता है कि यीशु दाऊद और अब्राहम की संतान हैं।
यीशु का जन्म (अध्याय 2) – मसीह का जन्म, बुद्धिमानों (मागी) का आना, और हेरोदेस का विरोध।
यीशु का बपतिस्मा और परीक्षा (अध्याय 3-4) – यह दिखाता है कि यीशु मसीह परमेश्वर के पुत्र हैं।
पहाड़ी उपदेश (अध्याय 5-7) – मसीही जीवन के सिद्धांत और स्वर्ग के राज्य के नियम।
यीशु के चमत्कार (अध्याय 8-9) – बीमारों को चंगा करना, शांति देना, और दुष्टात्माओं को निकालना।
यीशु के दृष्टांत (अध्याय 13) – स्वर्ग के राज्य के बारे में दृष्टांत।
यीशु का यरूशलेम में प्रवेश (अध्याय 21) – मसीहा के रूप में स्वागत।
यीशु की भविष्यवाणी (अध्याय 24-25) – अंत समय और न्याय के दिन की भविष्यवाणियाँ।
यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान (अध्याय 26-28) – क्रूस पर मृत्यु और तीसरे दिन पुनरुत्थान।
महान आदेश (Great Commission) (मत्ती 28:19-20) – “जाओ और सब जातियों को चेला बनाओ।”
5️ मसीही भविष्यवाणियाँ (Messianic Prophecies in Matthew)
मत्ती 1:23 – “कुँवारी गर्भवती होगी” (यशायाह 7:14 की पूर्ति)।
मत्ती 2:6 – “बेतलेहेम से राजा उत्पन्न होगा” (मीका 5:2 की पूर्ति)।
मत्ती 3:3 – “मरुस्थल में पुकारनेवाले की आवाज़” (यशायाह 40:3 की पूर्ति)।
मत्ती 8:17 – “उसने हमारी दुर्बलताओं को ले लिया” (यशायाह 53:4 की पूर्ति)।
मत्ती 21:9 – “होषन्ना दाऊद के संतान को” (भजन संहिता 118:26 की पूर्ति)।
6️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from Matthew)
यीशु ही मसीह और राजा हैं।
स्वर्ग के राज्य के लिए विश्वास और पश्चाताप आवश्यक है।
यीशु की शिक्षाएँ हमें सच्ची धार्मिकता और प्रेम सिखाती हैं।
क्रूस पर यीशु का बलिदान हमारे पापों का प्रायश्चित है।
महान आदेश (Great Commission) हमें सुसमाचार प्रचार के लिए बुलाता है।
7️ निष्कर्ष (Conclusion)
मत्ती रचित सुसमाचार हमें यह प्रमाणित करता है कि यीशु ही मसीहा हैं, जिनके बारे में पुराने नियम में भविष्यवाणी की गई थी। उनकी शिक्षाएँ, उनके चमत्कार, उनका बलिदान और पुनरुत्थान हमें यह दिखाते हैं कि केवल मसीह में विश्वास के द्वारा ही उद्धार संभव है।
अध्ययन प्रश्न (Study Questions)
1️ मत्ती का मुख्य उद्देश्य क्या था?
2️ मत्ती 5-7 में यीशु ने क्या महत्वपूर्ण शिक्षा दी?
3️ पुराने नियम की कौन-कौन सी भविष्यवाणियाँ यीशु में पूरी हुईं?
4️ “महान आदेश” (Great Commission) का हमारे लिए क्या महत्व है?