1️ पुस्तक का परिचय (Introduction)
ओबद्दाह की पुस्तक बाइबल की सबसे छोटी पुस्तक है, जिसमें केवल एक ही अध्याय है। इसमें परमेश्वर द्वारा एदोम के विरुद्ध न्याय की घोषणा की गई है, क्योंकि उन्होंने इस्राएल के विरुद्ध अहंकार, घमंड और क्रूरता दिखाई थी।
लेखक:
भविष्यवक्ता ओबद्दाह (ओबद्दाह 1:1)
लिखने का समय:
लगभग 586-553 ईसा पूर्व (यरूशलेम के नाश के बाद)
ऐतिहासिक संदर्भ:
एदोम, इस्राएल का पड़ोसी राष्ट्र था, जो इसहाक के पुत्र एदोम (एसाव) के वंशज थे। जब बाबुल ने 586 ईसा पूर्व में यरूशलेम को नष्ट किया, तब एदोमियों ने इस्राएलियों की सहायता करने के बजाय उनका उपहास किया और उनके विनाश में योगदान दिया। परमेश्वर ने ओबद्दाह के द्वारा घोषणा की कि एदोम अपने पापों के कारण दंडित किया जाएगा।
2️ मुख्य विषय (Themes of Obadiah)
अहंकार और घमंड का न्याय – एदोम ने अपने अहंकार के कारण इस्राएल का अनादर किया।
भ्रातृत्व की अवहेलना – एदोम ने अपने भाई इस्राएल के विपत्ति के समय उनका उपहास किया।
परमेश्वर की न्यायप्रियता – परमेश्वर राष्ट्रों के पापों को देखता है और न्याय करता है।
इस्राएल की बहाली – परमेश्वर अपने लोगों को पुनर्स्थापित करेगा और उनके शत्रुओं का विनाश करेगा।
3️ पुस्तक की संरचना (Outline of Obadiah)
खंड | विवरण | पद |
भाग 1 | एदोम के विरुद्ध परमेश्वर का न्याय | 1-9 |
भाग 2 | एदोम के पापों की सूची | 10-14 |
भाग 3 | परमेश्वर का न्याय और इस्राएल की बहाली | 15-21 |
4️ प्रमुख शिक्षाएँ (Key Lessons from Obadiah)
ओबद्दाह 1:3 – “तेरे मन का अभिमान तुझे धोखा दे रहा है।”
ओबद्दाह 1:10 – “अपने भाई याकूब पर किए गए उपद्रव के कारण तू सदा के लिये लज्जित होगा।”
ओबद्दाह 1:15 – “जैसा तू ने किया है, वैसा ही तुझ से किया जाएगा।”
ओबद्दाह 1:21 – “राज्य यहोवा का होगा।”
5️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from Obadiah)
अहंकार विनाश की ओर ले जाता है।
परमेश्वर अपने लोगों की रक्षा करता है और उनके शत्रुओं का न्याय करता है।
परमेश्वर सभी राष्ट्रों का न्याय करता है, न केवल इस्राएल का।
परमेश्वर अपने लोगों को पुनर्स्थापित करने का वादा करता है।
6️ मसीही दृष्टिकोण (Christ in Obadiah)
“राज्य यहोवा का होगा” (ओबद्दाह 1:21) – यह यीशु मसीह के राज्य की ओर इशारा करता है।
यीशु मसीह ने दीनता सिखाई, जबकि एदोम अभिमान में था।
यीशु न्यायी राजा के रूप में लौटेंगे और अपने राज्य की स्थापना करेंगे।
7️ निष्कर्ष (Conclusion)
ओबद्दाह की पुस्तक हमें सिखाती है कि अहंकार और अन्याय का परिणाम विनाश है, लेकिन परमेश्वर अपने वफादार लोगों को पुनर्स्थापित करता है।
अध्ययन प्रश्न (Study Questions)
1️ एदोम का सबसे बड़ा पाप क्या था?
2️ ओबद्दाह 1:3 में अहंकार के बारे में क्या कहा गया है?
3️ परमेश्वर का न्याय और दया इस पुस्तक में कैसे प्रकट होती हैं?
4️ ओबद्दाह 1:21 का मसीही दृष्टिकोण से क्या अर्थ है?