भजन संहिता का सर्वेक्षण (Survey of the Book of Psalms)

1️ पुस्तक का परिचय (Introduction)

भजन संहिता बाइबल की सबसे लंबी पुस्तक है और यह काव्यात्मक शैली में लिखी गई है। इसमें 150 भजन हैं, जो विभिन्न प्रकार के विषयों को समाहित करते हैं, जैसे स्तुति, आराधना, याचना, पश्चाताप, और मसीही भविष्यवाणी। यह पुस्तक विशेष रूप से इब्रियों की आराधना और प्रार्थना का संकलन है।

📌 लेखक:
भजन संहिता विभिन्न लेखकों द्वारा लिखी गई है, जिनमें प्रमुख हैं:
✅ राजा दाऊद (लगभग 73 भजन)
✅ आसाफ (12 भजन)
✅ कोरह के पुत्र (11 भजन)
✅ सुलेमान (2 भजन)
✅ मूसा (भजन 90)
✅ अज्ञात लेखक (कई भजन)

📌 लिखने का समय: लगभग 1400-400 ईसा पूर्व

📌 ऐतिहासिक संदर्भ:
भजन संहिता इस्राएल की आराधना का एक प्रमुख भाग थी और इसे मंदिर में गायन और संगीत के साथ प्रयोग किया जाता था। यह पुस्तक हजारों वर्षों तक मसीही विश्वासियों के लिए आराधना और प्रार्थना का स्रोत बनी हुई है।


2️ मुख्य विषय (Themes of Psalms)

✅ परमेश्वर की महिमा और स्तुतिकई भजन परमेश्वर की महानता, उसकी संप्रभुता और प्रेम की स्तुति करते हैं (भजन 8, 19, 29, 100)
✅ दुःख और विनतीजब लेखक संकट में होते थे, तब वे परमेश्वर से सहायता की गुहार लगाते थे (भजन 22, 42, 88)
✅ पश्चाताप और क्षमाकुछ भजन मनुष्य के पाप और परमेश्वर की क्षमा पर ध्यान केंद्रित करते हैं (भजन 32, 51)
✅ मसीह की भविष्यवाणीकई भजन यीशु मसीह के बारे में भविष्यवाणी करते हैं (भजन 2, 22, 110)
✅ परमेश्वर की व्यवस्था और धार्मिकताभजन संहिता हमें परमेश्वर के वचन को प्रेम करने और उसके मार्गों पर चलने की शिक्षा देती है (भजन 1, 19, 119)


3️ पुस्तक की संरचना (Outline of Psalms)

भजन संहिता को पाँच भागों में विभाजित किया गया है, जो मूसा की पाँच पुस्तकों (पेंटाट्यूक) के समान हैं:

खंड

विवरण

मुख्य अध्याय

भाग 1 (भजन 1-41)

व्यक्तिगत स्तुति और प्रार्थना

भजन 1, 8, 19, 23

भाग 2 (भजन 42-72)

राष्ट्रीय और व्यक्तिगत उद्धार की प्रार्थनाएँ

भजन 42, 51, 63, 72

भाग 3 (भजन 73-89)

संकट और परमेश्वर की विश्वासयोग्यता

भजन 73, 84, 89

भाग 4 (भजन 90-106)

इतिहास और परमेश्वर की संप्रभुता

भजन 90, 91, 103

भाग 5 (भजन 107-150)

स्तुति और आराधना के भजन

भजन 119, 136, 150


4️ प्रमुख भजन और उनकी शिक्षाएँ (Key Psalms and Their Lessons)

📍 भजन 1धर्मी और अधर्मी का जीवन
📍 भजन 23यहोवा हमारा चरवाहा है
📍 भजन 51दाऊद का पश्चाताप का भजन
📍 भजन 91परमेश्वर की सुरक्षा
📍 भजन 119परमेश्वर के वचन की महिमा
📍 भजन 150संपूर्ण सृष्टि की स्तुति


5️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from Psalms)

✅ परमेश्वर हर स्थिति में हमारे साथ हैचाहे हम दुःख में हों या आनन्द में, हम उससे प्रार्थना कर सकते हैं।
✅ सच्ची आराधना का महत्वपरमेश्वर हमारी आराधना और स्तुति को चाहता है।
✅ पश्चाताप और क्षमा का मार्गजब हम अपने पापों को स्वीकार करते हैं, तो वह हमें क्षमा करता है।
✅ परमेश्वर के वचन का सामर्थ्यउसकी व्यवस्था में चलना हमें आशीषित करता है।
✅ मसीही विश्वास की नींवयीशु मसीह की भविष्यवाणियाँ इस पुस्तक में स्पष्ट रूप से प्रकट होती हैं।


6️ मसीही दृष्टिकोण (Christ in Psalms)

🔹 भजन 2मसीह राजा के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
🔹 भजन 22यीशु के क्रूस पर बलिदान की भविष्यवाणी।
🔹 भजन 110मसीह याजक और राजा के रूप में।
🔹 भजन 118 – “कोने का पत्थर” मसीह की ओर संकेत करता है।


7️ निष्कर्ष (Conclusion)

भजन संहिता हमें सिखाती है कि हर परिस्थिति में हमें परमेश्वर की स्तुति करनी चाहिए। यह पुस्तक हमें प्रार्थना करना, उसकी योजना पर भरोसा रखना और उसके प्रेम में बने रहना सिखाती है। मसीह की भविष्यवाणियाँ हमें यीशु के जीवन और मिशन को गहराई से समझने में मदद करती हैं।


🔎 अध्ययन प्रश्न (Study Questions)

1️ भजन संहिता हमें प्रार्थना और आराधना के बारे में क्या सिखाती है?
2️
 कौन-से भजन यीशु मसीह की ओर संकेत करते हैं, और वे कैसे पूरा हुए?
3️
 भजन 23 और भजन 91 से हमें क्या आत्मिक शिक्षा मिलती है?
4️
 भजन 119 परमेश्वर के वचन के बारे में क्या कहता है?

 

 

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