1️ पुस्तक का परिचय (Introduction)
सपन्याह की पुस्तक एक भविष्यवाणी है जो यहूदा के पापों, आसन्न न्याय, और भविष्य में परमेश्वर की दया और पुनर्स्थापन (restoration) पर केंद्रित है। यहोवा का दिन एक प्रमुख विषय है, जो यह दर्शाता है कि परमेश्वर पाप के विरुद्ध न्यायी और धर्मियों के लिए दयालु है।
लेखक:
भविष्यवक्ता सपन्याह (सपन्याह 1:1)
लिखने का समय:
635-625 ईसा पूर्व (राजा योशिय्याह के राज्यकाल में)
ऐतिहासिक संदर्भ:
सपन्याह ने अपनी भविष्यवाणी उस समय दी जब यहूदा अधर्म और मूर्तिपूजा में डूब चुका था। यह भविष्यवाणी योशिय्याह के सुधारों (2 राजा 22-23) से पहले दी गई थी। परमेश्वर ने चेतावनी दी कि यदि लोग न सुधरे, तो उन्हें बाबुल की बंधुआई में जाना पड़ेगा।
2️ मुख्य विषय (Themes of Zephaniah)
यहोवा का दिन (Day of the Lord) – न्याय और उद्धार का दिन।
परमेश्वर की धार्मिकता – वह पाप को दंडित करता है।
उद्धार की आशा – परमेश्वर अपने लोगों को पुनर्स्थापित करेगा।
नम्रता और पश्चाताप – परमेश्वर का अनुग्रह उन्हीं को मिलता है जो नम्र होते हैं।
3️ पुस्तक की संरचना (Outline of Zephaniah)
खंड | विवरण | अध्याय |
भाग 1 | यहूदा और राष्ट्रों पर परमेश्वर का न्याय | 1:1-2:3 |
भाग 2 | अन्य राष्ट्रों पर परमेश्वर का क्रोध | 2:4-15 |
भाग 3 | यरूशलेम का न्याय और भविष्य का उद्धार | 3:1-20 |
4️ प्रमुख शिक्षाएँ (Key Lessons from Zephaniah)
सपन्याह 1:14 – “यहोवा का बड़ा दिन निकट है; वह निकट और बहुत शीघ्र आनेवाला है।”
सपन्याह 2:3 – “यहोवा के दीन लोगों, तुम यहोवा को ढूँढो… सम्भव है कि तुम यहोवा के दिन के कोप से बचे रहो।”
सपन्याह 3:9 – “तब मैं लोगों को ऐसा शुद्ध होंठ दूँगा कि वे सब यहोवा का नाम लें।”
सपन्याह 3:17 – “यहोवा तेरा परमेश्वर तेरे बीच में है, वह उद्धार करने में शक्तिमान है।”
5️ आत्मिक शिक्षाएँ (Spiritual Lessons from Zephaniah)
परमेश्वर न्यायी है और पाप को सहन नहीं करता।
यहोवा का दिन निश्चित है – हमें पश्चाताप करना चाहिए।
परमेश्वर नम्र और दीन लोगों को बचाता है।
उद्धार केवल परमेश्वर में है, जो अपने लोगों को पुनर्स्थापित करेगा।
6️ मसीही दृष्टिकोण (Christ in Zephaniah)
सपन्याह 3:15 – “तेरा दण्ड हट गया, उसने तेरा शत्रु दूर कर दिया।” – यह मसीह के द्वारा उद्धार का संकेत है।
सपन्याह 3:17 – मसीह हमारे बीच में रहने वाले परमेश्वर के रूप में प्रकट हुए।
यहोवा का दिन – मसीह के दूसरे आगमन से संबंधित है, जब वह न्याय और उद्धार लाएगा।
7️ निष्कर्ष (Conclusion)
सपन्याह की पुस्तक हमें यह सिखाती है कि परमेश्वर न्यायी है, लेकिन वह अपने लोगों से प्रेम भी करता है। यदि हम पश्चाताप करें और परमेश्वर की ओर मुड़ें, तो वह हमें उद्धार देगा और आशीषित करेगा।
अध्ययन प्रश्न (Study Questions)
1️ सपन्याह 1:14 के अनुसार “यहोवा का दिन” क्या है?
2️ परमेश्वर ने यहूदा और अन्य राष्ट्रों को क्यों दंडित करने का निर्णय लिया?
3️ सपन्याह 3:17 में परमेश्वर का चरित्र कैसे प्रकट होता है?
4️ यहोवा के दिन से संबंधित मसीही विश्वास क्या है?