यीशु मसीह की दिव्यता ईसाई धर्म के सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक है। कई लोग उन्हें केवल एक महान शिक्षक या भविष्यवक्ता मानते हैं, लेकिन बाइबल स्पष्ट रूप से दिखाती है कि यीशु केवल एक मनुष्य नहीं थे, बल्कि वे स्वयं परमेश्वर थे।
अगर हम किसी व्यक्ति को केवल उसके कार्यों से पहचानें, तो हमें यह देखना होगा कि यीशु ने कौन-कौन से कार्य किए। क्या वे केवल एक अच्छे गुरु की तरह सिखाते रहे, या फिर उन्होंने ऐसे कार्य किए जो केवल परमेश्वर कर सकता है? आइए हम विस्तार से जानें कि बाइबल में उनकी दिव्यता को कैसे प्रमाणित किया गया है।
A. यीशु मसीह ने स्वयं को परमेश्वर घोषित किया
बहुत से लोग तर्क देते हैं कि यीशु ने स्वयं को परमेश्वर कभी नहीं कहा, लेकिन बाइबल इसके विपरीत प्रमाण देती है। आइए देखते हैं कि उन्होंने स्वयं को किस तरह परमेश्वर घोषित किया।
1. स्वयं को पिता के बराबर बताया
- योहन 10:30 – “मैं और पिता एक हैं।”
- जब यीशु ने यह कहा, तो यहूदी नेताओं ने उन्हें पत्थरवाह करने का प्रयास किया, क्योंकि वे समझ गए कि यीशु स्वयं को परमेश्वर के समान बता रहे हैं (योहन 10:31-33)।
- अगर यीशु परमेश्वर नहीं होते, तो वे इस तरह का दावा नहीं करते और न ही किसी को यह भ्रमित करने देते।
2. स्वयं को “मैं हूँ” (I AM) कहा
- योहन 8:58 – “सत्य, सत्य मैं तुमसे कहता हूँ, अब्राहम के होने से पहले मैं हूँ।”
- यह वही नाम है जिससे परमेश्वर ने मूसा से बात की थी (निर्गमन 3:14)।
- यहूदियों ने इसे ईशनिंदा माना और यीशु को मारने के लिए पत्थर उठाए।
3. ईश्वरीय विशेषणों का उपयोग किया
- “जीवन की रोटी” (योहन 6:35) – केवल परमेश्वर ही जीवन प्रदान कर सकता है।
- “जगत की ज्योति” (योहन 8:12) – यह दर्शाता है कि वे आध्यात्मिक अंधकार को दूर कर सकते हैं।
- “अच्छा चरवाहा” (योहन 10:11) – परमेश्वर को पुराने नियम में चरवाहा कहा गया है (भजन 23:1)।
- “जीवन और पुनरुत्थान” (योहन 11:25) – केवल परमेश्वर के पास जीवन और मृत्यु पर अधिकार है।
B. बाइबल यीशु को परमेश्वर के रूप में प्रस्तुत करती है
1. पुराने नियम की भविष्यवाणियाँ
- यशायाह 9:6 – यीशु को “पराक्रमी परमेश्वर” और “अनंतकाल का पिता” कहा गया।
- मीका 5:2 – उनकी उत्पत्ति “सनातन काल से” बताई गई।
2. नए नियम में पुष्टि
- योहन 1:1-3 – “आरंभ में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।”
- कुलुस्सियों 2:9 – “क्योंकि उसी में ईश्वरत्व की सारी परिपूर्णता देह रूप में वास करती है।”
C. यीशु ने ईश्वरीय कार्य किए
यीशु ने केवल चमत्कार नहीं किए, बल्कि उन्होंने वह कार्य किए जो केवल परमेश्वर कर सकता है।
1. सृष्टि की रचना
- कुलुस्सियों 1:16 – “सब कुछ उसी के द्वारा और उसी के लिए सृजा गया।”
- इसका अर्थ है कि यीशु सृष्टिकर्ता हैं, न कि केवल सृजित प्राणी।
2. पापों को क्षमा करना
- मरकुस 2:5-7 – यीशु ने एक व्यक्ति के पाप क्षमा किए, जिससे यहूदी क्रोधित हो गए क्योंकि केवल परमेश्वर ही पाप क्षमा कर सकता है।
- यीशु ने यह साबित किया कि उनके पास परमेश्वर का अधिकार है।
3. मृतकों को जीवित करना
- यूहन्ना 11:43-44 – लाज़र को मृतकों में से जीवित किया।
- केवल परमेश्वर के पास जीवन और मृत्यु पर अधिकार है।
D. यीशु की आराधना की गई
बाइबल में यह स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि यीशु की आराधना की गई, और उन्होंने इसे स्वीकार किया। यदि वे केवल मनुष्य होते, तो वे आराधना को अस्वीकार कर देते।
1. शिष्यों ने यीशु की आराधना की
- मत्ती 14:33 – जब यीशु पानी पर चले, तो चेलों ने उन्हें दंडवत किया।
- योहन 20:28 – थोमा ने यीशु को “हे मेरे प्रभु और मेरे परमेश्वर” कहा।
2. स्वर्गदूतों ने आराधना करने दी
- प्रकाशितवाक्य 5:12-14 – स्वर्ग में यीशु की आराधना की गई।
E. त्रित्व (Trinity) और यीशु की दिव्यता
त्रित्व का सिद्धांत हमें समझाता है कि परमेश्वर तीन व्यक्तियों में प्रकट होता है – पिता, पुत्र (यीशु मसीह), और पवित्र आत्मा।
1. तीनों व्यक्तियों की पहचान
- मत्ती 28:19 – “पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो।”
- 2 कुरिन्थियों 13:14 – प्रेरित पौलुस ने तीनों का उल्लेख किया।
निष्कर्ष
यीशु मसीह की दिव्यता बाइबल में स्पष्ट रूप से प्रमाणित है। उन्होंने स्वयं को परमेश्वर घोषित किया, उनके अनुयायियों ने उनकी आराधना की, और उन्होंने ऐसे कार्य किए जो केवल परमेश्वर ही कर सकता है। इसलिए, यीशु केवल एक नबी या शिक्षक नहीं थे, बल्कि वे स्वयं परमेश्वर थे, जिन्होंने संसार को बचाने के लिए देह धारण किया।