गैप थ्योरी मसीही विद्वानों द्वारा प्रयुक्त एक व्याख्या है, जो उत्पत्ति में सृष्टि रचना और पृथ्वी कितनी पुरानी है यह सुझाव देने वाले वैज्ञानिक प्रमाणों को प्रकट करता है। इस सिद्धांत के अनुसार, उत्पत्ति 1:1 और उत्पत्ति 1:2 के बीच एक समय अंतराल है, जिसके दौरान एक विनाशकारी घटना घटी, जिससे पृथ्वी का विनाश हो गया और फिर दोबारा से इसका सृजन किया गया।
उत्पत्ति 1:1 – मूल रचना: गैप थ्योरी के अनुसार, “आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की” (उत्पत्ति 1:1) वचन परमेश्वर द्वारा एक मूल और पूर्ण सृष्टि को दर्शाता है। यह घटना अरबों साल पहले हो सकती थी, जो पृथ्वी की आयु की वैज्ञानिक समझ के अनुरूप है।
गैप: गैप सिद्धांत यह सुझाव देता है कि उत्पत्ति 1:1 और उत्पत्ति 1:2 के बीच एक महत्वपूर्ण अवधि बीती—संभवतः लाखों या अरबों साल। इस समय के दौरान, पृथ्वी में जीवन के कई रूप हो सकते थे, जिनमें प्रागैतिहासिक जीव जैसे डायनासोर आदि शामिल हो सकते हैं। एक विनाशकारी घटना (प्रधान स्वर्गदूत लुसिफेर का पतन) ने इस मूल सृष्टि को नष्ट कर दिया।
उत्पत्ति 1:2 – एक निराकार और शून्य पृथ्वी: “अब पृथ्वी निराकार और सूनी थी; और गहरे जल के ऊपर अंधकार छाया था, और परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मंडला रहा था” (उत्पत्ति 1:2) वाक्यांश को गैप थ्योरी के समर्थक इस विनाशकारी घटना के परिणामस्वरूप बताते हैं। पृथ्वी, जो कभी जीवंत और जीवन से भरपूर थी, अब सुनसान और अराजक हो गई थी।
छह दिन का पुनः सृजन: इस अंतराल के बाद, उत्पत्ति 1:3-31 में वर्णित छह दिन के सृजन को पृथ्वी का पुनः सृजन या पुनर्स्थापन माना जाता है, न कि इसका मूल सृजन। इस पुनः सृजन में वर्तमान वस्तुओं व जीवों का निर्माण, आदम और हव्वा की सृष्टि, और आज हम जिस दुनिया को जानते हैं, उसका बनाया जाना शामिल है।
बाइबिल समर्थन: गैप थ्योरी के समर्थक अक्सर उत्पत्ति 1:2 में हिब्रू शब्द “हयाह” की ओर इशारा करते हैं, जिसका सामान्यत: अनुवाद “था” के रूप में किया जाता है, लेकिन इसका अर्थ “बन गया” भी हो सकता है। यह सुझाव देता है कि पृथ्वी “निराकार और शून्य” बन गई, जिसका मतलब है कि यह एक पिछले स्थिति से बदल गई। वे ऐसे अंशों का भी संदर्भ देते हैं जैसे कि यशायाह 45:18, जो कहता है कि परमेश्वर ने पृथ्वी को सूनी नहीं बनाई, बल्कि इसे निवास के लिए सृजा था, इसे इस बात का प्रमाण मानते हैं कि पृथ्वी मूल रूप से जीवन के साथ बनाई गई थी।
शैतान का पतन: गैप थ्योरी के अनुसार स्वर्ग के प्रधान स्वर्गदूत लुसिफेर का परमेश्वर के खिलाफ बलवा करना और इसके कारण उसका पतन और स्वर्ग से निष्कासित किया जाना ही मूल सृष्टि के विनाश का कारण बना। इसके लिए यह वचन हैं, यहेजकेल 28:12-17 और यशायाह 14:12-15
विज्ञान के साथ सामंजस्य: गैप थ्योरी कुछ लोगों के लिए आकर्षक है क्योंकि यह पृथ्वी बहुत पुरानी और इसकी आयु बहुत अधिक होने को स्वीकार करती है, जो भूवैज्ञानिक और जीवाश्म रिकॉर्ड के साथ मेल भी खाता है, जबकि उत्पत्ति की सृजन वर्णन को भी बनाए रखती है। यह उत्पत्ति के प्रतीकात्मक पठन के बिना बाइबिल समयरेखा को वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ मिलकर समझने का एक तरीका प्रदान करती है।
स्पष्ट बाइबिलीय प्रमाण की कमी: आलोचक तर्क देते हैं कि गैप थ्योरी बताती है जो स्पष्ट रूप से नहीं कहा गया है। बाइबिल कहीं भी स्पष्ट रूप से दोनों आयतों के बीच किसी समय अंतराल या आदम पूर्व जीवन का संकेत नहीं देती, और इब्रानी शब्द “हयाह” का अनुवाद “था” के बजाय “बन गया” के रूप में करना अटकलें या गलती माना जाता है।
वैकल्पिक व्याख्याएँ: अन्य व्याख्याएँ, जैसे डे-एज थ्योरी (जो सृजन के प्रत्येक “दिन” को एक लंबी अवधि के रूप में देखती है) या फ्रेमवर्क हाइपोथीसिस (जो सृजन के दिनों को एक साहित्यिक ढांचा मानती है, न कि एक कालानुक्रमिक कथा), उत्पत्ति को वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ जानने समझने के अन्य तरीके प्रस्तुत करती हैं।
धार्मिक चिंताएँ: कुछ विद्वानों को चिंता है कि गैप थ्योरी सृजन के वर्णन को अनावश्यक ही बना देती है और उत्पत्ति की सादगी और स्पष्टता को कमजोर कर सकती है।
गैप थ्योरी उत्पत्ति में सृजन कथा पर एक दिलचस्प दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, जो बाइबिलीय पाठ और वैज्ञानिक निष्कर्षों के बीच के अंतर को मिटाने का प्रयास करती है। जबकि यह एक पुरानी पृथ्वी को उत्पत्ति की शाब्दिक व्याख्या के साथ समझने का एक तरीका प्रदान करती है, यह पवित्र शस्त्र में व्याख्यात्मक विकल्पों में से एक बनी रहती है। यह सिद्धांत सबके द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है और विद्वानों और विश्वासियों के बीच बहस का विषय बना हुआ है।