1. भूमिका: यहूदी जीवन का परिचय
यहूदी संस्कृति और परंपराएँ बाइबल के संदर्भ को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यहूदी जीवनशैली, धार्मिक रीति-रिवाज, त्योहार, भोजन, और समाजिक संरचना हमें पुराने और नए नियम की घटनाओं को बेहतर समझने में सहायता करते हैं। इस पाठ में, हम यहूदी जीवन के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से जानेंगे।
2. यहूदी जीवनशैली
(i) परिवार और समाज
- यहूदी समाज में परिवार एक मजबूत इकाई होती है, जिसमें माता-पिता और बच्चों के बीच गहरा सम्मान और अनुशासन होता है।
- पुरुष प्रधान समाज था, लेकिन महिलाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती थी, जैसे – देवकी और रूत।
- शिक्षा का उच्च महत्व – तोराह (व्यवस्था) की शिक्षा बच्चों को छोटी उम्र से दी जाती थी।
(ii) यहूदी भोजन और आहार संबंधी नियम
- कोशेर (Kosher) आहार: यहूदी धर्म में खाने-पीने के कड़े नियम होते हैं। (लेवीयव्यवस्था 11)
- शुद्ध और अशुद्ध भोजन: केवल जुगाली करने वाले और खुर वाले जानवरों को खाना मान्य था।
- मांस और दूध को एक साथ न खाना (निर्गमन 23:19)।
- विशेष भोजन: फसह के समय बिना खमीर की रोटी (मत्याह) और करवा जड़ी-बूटियाँ खाई जाती हैं।
(iii) यहूदी वस्त्र और परिधान
- तालीत (Tallit): प्रार्थना के समय पहना जाने वाला विशेष कपड़ा।
- तिफिलिन (Tefillin): माथे और बाँह पर बाँधे जाने वाले विशेष पट्टे जिनमें व्यवस्था की आयतें होती हैं। (व्यवस्थाविवरण 6:8)
- कीपा (Kippah): पुरुषों द्वारा पहना जाने वाला छोटा टोपा, जो परमेश्वर के प्रति आदर प्रकट करता है।
3. यहूदी धार्मिक परंपराएँ और रीति-रिवाज
(i) यहूदी पूजा और आराधना
- सब्त (Sabbath): यहूदी धर्म में हर सप्ताह का सातवाँ दिन (शनिवार) पवित्र माना जाता है, जिसमें कोई श्रम नहीं किया जाता। (निर्गमन 20:8-10)
- आराधना स्थल: मंदिर (पुराने नियम में) और आराधनालय (नए नियम में)।
- याजक और फरीसी: यहूदी धर्म में याजकों और धर्मशास्त्रियों की विशेष भूमिका होती थी।
(ii) प्रमुख यहूदी त्योहार
- फसह (Passover): मिस्र से छुटकारे की याद में मनाया जाता है। (निर्गमन 12)
- सब्त का पर्व (Shavuot): तोराह प्राप्ति का उत्सव।
- झोपड़ियों का पर्व (Sukkot): 40 वर्षों की जंगल यात्रा की याद।
- यौम किप्पुर (Yom Kippur): प्रायश्चित और पश्चाताप का सबसे महत्वपूर्ण दिन।
- हनुक्का (Hanukkah): मंदिर की पुनःस्थापना का पर्व।
4. यहूदी धार्मिक ग्रंथ और शिक्षा
(i) प्रमुख धार्मिक ग्रंथ
- तनख (Tanakh): यहूदी बाइबल, जो पुराने नियम के समान है।
- तलमूद (Talmud): यहूदी धर्मशास्त्र और परंपराओं का विस्तृत संग्रह।
- मिशना (Mishnah): यहूदी धर्मशास्त्र का प्रारंभिक संकलन।
(ii) यहूदी शिक्षा प्रणाली
- छोटे बच्चों को बेट सेफर में प्रारंभिक धार्मिक शिक्षा दी जाती थी।
- किशोरावस्था में बेट मिद्राश में गहन अध्ययन कराया जाता था।
- केवल कुछ विशेष छात्र रब्बियों के अधीन अध्ययन करके धर्मगुरु बनते थे।
5. यहूदी रीति-रिवाज और जीवन की घटनाएँ
(i) जन्म और बचपन
- खतना (Circumcision): जन्म के आठवें दिन खतना किया जाता था। (उत्पत्ति 17:10-12)
- नामकरण: परमेश्वर की आशीष से नाम रखा जाता था।
(ii) विवाह और पारिवारिक जीवन
- विवाह यहूदी संस्कृति में पवित्र माना जाता था। (उत्पत्ति 2:24)
- विवाह का समारोह कुबाह (Chuppah) के नीचे होता था।
- कन्या का दहेज और विवाह अनुबंध (केतुबा) महत्वपूर्ण होते थे।
(iii) मृत्यु और अंतिम संस्कार
- शव को जल्द से जल्द दफनाया जाता था। (व्यवस्थाविवरण 21:23)
- शोक की अवधि (शिव‘आ) सात दिनों तक मनाई जाती थी।
6. सामान्य प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: यहूदी धर्म में सब्त क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: सब्त यहूदी धर्म का सबसे पवित्र दिन है, जिसमें परमेश्वर ने विश्राम किया और इस्राएलियों को इसे पवित्र मानने की आज्ञा दी। (निर्गमन 20:8-10)
प्रश्न 2: यहूदी भोजन नियमों का क्या उद्देश्य था?
उत्तर: यह नियम स्वास्थ्य, आत्मिक पवित्रता और परमेश्वर की आज्ञाकारिता को बनाए रखने के लिए बनाए गए थे। (लेवीयव्यवस्था 11)
प्रश्न 3: फसह पर्व का क्या महत्व है?
उत्तर: यह मिस्र की गुलामी से छुटकारे की याद में मनाया जाता है और इसमें बलिदान के मेमने का विशेष महत्व होता है। (निर्गमन 12)
प्रश्न 4: यहूदी शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: यहूदी बच्चों को बचपन से ही तोराह की शिक्षा देकर धर्म में दृढ़ बनाना।
प्रश्न 5: खतना यहूदी धर्म में क्यों किया जाता था?
उत्तर: यह अब्राहम के साथ परमेश्वर की वाचा का चिन्ह था। (उत्पत्ति 17:10-12)
7. निष्कर्ष
यहूदी जीवन, संस्कृति और रीति-रिवाजों को समझना बाइबल को गहराई से जानने में मदद करता है। यहूदी समाज, उनका खान-पान, पूजा-पद्धति, पर्व और धार्मिक रीति-रिवाज हमें बाइबल की घटनाओं और उनके ऐतिहासिक संदर्भ को बेहतर तरीके से समझने में सहायता करते हैं।