बाइबिल में ऐसा विवरण नहीं मिलता जहां यीशु ने साफ शब्दों में कहा हो कि, “मैं परमेश्वर हूँ।” वहीं यीशु ने यह भी नहीं कहा कि मै परमेश्वर नहीं हुँ। उदाहरण के लिए यूहन्ना 10:30 में यीशु के इन शब्दों को देखिये, “मैं और पिता एक हैं।” यीशु ने इस कथन में यह साफ किया कि वह परमेश्वर के तुल्य है और परमेश्वर और यीशु एक ही है। यहूदी कभी भी ऐसा नहीं कह सकते थे क्योंकि उनकी दृष्टि में यह परमेश्वर का अपमान होता था।
इसी कारण से उन्होंने यीशु को पत्थरवाह करना चाहा। “… तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्वर बनाता है” (यूहन्ना 10:33)। यहूदी यीशु के कहने के अर्थ को समझ गए थे। यहां ध्यान दें कि यीशु अपने परमेश्वर होने के दावे को खारिज नहीं किया।
जब यीशु यह घोषणा करता है कि “मैं और पिता एक हैं” (यूहन्ना 10:30), तो वह यह कह रहा था कि वह और पिता स्वभाव और तत्व में एक हैं। यूहन्ना 8:58 इसका एक अन्य उदाहरण है।
यीशु ने घोषणा की कि, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि इस से पहले कि अब्राहम उत्पन्न हुआ, मैं हूँ !” (यूहन्ना 1:1, 8:48) जिन यहूदियों ने इस कथन को सुना परमेश्वर की निन्दा के कारण उसका पत्थरवाह करके उसको मारना चाहा, क्योंकि मूसा की व्यवस्था में इस अपराध की यही दंड था। (लैव्यव्यवस्था 24:15)।
यूहन्ना रचित सुसमाचार में भी हम यही देखते हैं : “वचन परमेश्वर था” और “वचन देहधारी हुआ” (यूहन्ना 1:1, 1:14)। ये आयतें स्पष्ट संकेत देती हैं कि यीशु ही देह रूप में परमेश्वर है।
प्रेरितों के काम 20:28 बताता है कि, “तुम परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली करो, जिसे उसने अपने लहू से मोल लिया है।” जिसने परमेश्वर की कलीसिया को अपने लहू से मोल लिया है, अर्थात् यीशु मसीह ने।
प्रेरितों के काम 20:28 घोषणा करती है कि परमेश्वर ने उसकी कलीसिया को अपने स्वयं के लहू से मोल ले लिया है और लहू यीशु मसीह ने क्रूस पर बहाया। इसलिए, यीशु ही परमेश्वर है!
थोमा ने यीशु से कहा “हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर” (यूहन्ना 20:28)। यहां पर यीशु ने उसे रोका या सुधारा नहीं।
तीतुस 2:13 हमें हमारे परमेश्वर और उद्धारकर्ता, यीशु मसीह के आगमन के लिए इन्तजार करने के लिए उत्साहित करता है।
इब्रानियों 1:8 में, पिता यीशु के लिए घोषणा करता है कि, “परन्तु पुत्र के विषय में कहता है कि, ‘हे परमेश्वर, तेरा सिंहासन युगानुयुग रहेगा, तेरे राज्य का राजदण्ड न्याय का राजदण्ड है।” पिता यीशु को “हे परमेश्वर” कह कर उल्लेख कर रहा है जिस कारण यीशु ही निश्चय परमेश्वर है।
प्रकाशितवाक्य में, एक स्वर्गदूत प्रेरित यूहन्ना को केवल परमेश्वर को ही दण्डवत् करने के लिए निर्देश देता (प्रकाशितवाक्य 19:10)। पवित्रशास्त्र में कई बार यीशु ने आराधना को प्राप्त किया है (मत्ती 2:11, 14:33, 28:9, 17; लूका 24:52; यूहन्ना 9:38)। उसने लोगों को कभी भी उसकी आराधना करने के लिए नहीं फटकारा।
यदि यीशु परमेश्वर नहीं होता, तो उसने लोगों से कह दिया होता कि वे उसकी आराधना न करें, ठीक वैसे ही जैसे स्वर्गदूत ने प्रकाशितवाक्य में किया।
कई और भी आयतें और पवित्रशास्त्र के संदर्भ हैं जो यीशु के ईश्वरत्व को सत्यापित करते हैं।
सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि यदि यीशु परमेश्वर नहीं है, तो उसकी मृत्यु पूरे संसार के पापों के जुर्माने की कीमत अदा करने के लिये पर्याप्त नहीं हो सकती थी (1यूहन्ना 2:2)। यदि वह परमेश्वर नहीं होता तो यीशु मात्र एक साधारण प्राणी होता, वह पापों की सज़ा की कीमत अपने प्राण देकर अदा नहीं कर सकता था। ये काम केवल परमेश्वर ही कर सकते थे। केवल परमेश्वर ही इस संसार के पापों को उठा कर ले जा सकता (2 कुरिन्थियों 5:21), मर कर जी उठने के द्वारा, मृत्यु और पाप के ऊपर अपने विजय को प्रमाणित कर सकता है।