भारत की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक, हड़प्पा या सिंधु घाटी सभ्यता (3300–1300 ईसा पूर्व) न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से विकसित थी, बल्कि नगर-योजना, जल निकासी, व्यापारिक नेटवर्क, और सांस्कृतिक समरसता में भी अग्रणी थी। परंतु लगभग 1900 ईसा पूर्व के बाद यह महान सभ्यता पतन की ओर बढ़ने लगी। इसके पीछे जलवायु परिवर्तन, नदियों का मार्ग बदलना, सामाजिक विघटन और बाहरी आक्रमण जैसे कई संभावित कारण माने जाते हैं।
अब प्रश्न यह उठता है कि — हड़प्पा सभ्यता के पतन के बाद भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक दिशा क्या थी? किसने इस खाली स्थान को भरा? और क्या यह एक सीधा संक्रमण था या एक जटिल ऐतिहासिक प्रक्रिया?
इस लेख में हम इन्हीं सवालों का उत्तर ढूंढ़ने का प्रयास करेंगे।
1. उत्तर-हड़प्पा काल (Late Harappan Period: 1900–1300 BCE)
हड़प्पा के पतन के बाद एक चरण आया जिसे “उत्तर-हड़प्पा काल” कहा जाता है। यह काल लगभग 600 वर्षों तक चला और इसमें हड़प्पा की नगर सभ्यता धीरे-धीरे गांवों में बदलने लगी।
इस काल की विशेषताएं:
- नगरों का क्षय: मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, लोथल जैसे महानगर खाली होने लगे।
- व्यापार और लेखन का अंत: अंतरराष्ट्रीय व्यापार लगभग रुक गया और सिंधु लिपि पूरी तरह से लुप्त हो गई।
- स्थानीयकरण: लोग छोटे गांवों में बसने लगे और क्षेत्रीय संस्कृतियाँ उभरने लगीं।
- नई परंपराएँ: नए किस्म की मिट्टी के बर्तन (Painted Grey Ware) का प्रचलन हुआ।
2. वैदिक सभ्यता (Rigvedic Period: लगभग 1500–1000 BCE)
हड़प्पा के पतन के बाद भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में आर्यों के आगमन और वैदिक सभ्यता की स्थापना हुई।
क्या यह एक आक्रमण था या प्रवास?
दो प्रमुख सिद्धांत हैं:
- आर्य आक्रमण सिद्धांत (Aryan Invasion Theory): कहता है कि आर्य मध्य एशिया से आए और हड़प्पा को नष्ट किया।
- आर्य प्रवास सिद्धांत (Migration Theory): कहता है कि आर्य धीरे-धीरे भारत में प्रवासित हुए और हड़प्पन सभ्यता के पतन के बाद बस गए।
हाल के डीएनए और भाषाई अध्ययनों से यह स्पष्ट होता है कि आर्य बाहर से आए थे लेकिन उन्होंने हड़प्पा को नष्ट नहीं किया; वे उसके बाद आए।
वैदिक सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं:
📜 धर्म और जीवनशैली
- इंद्र, अग्नि, सोम, वरुण जैसे देवताओं की पूजा।
- यज्ञ और हवन की परंपरा।
- गाय, अग्नि और ऋचाओं को पवित्र माना गया।
- मूर्तिपूजा और मंदिर का कोई संकेत नहीं।
🐎 रथ और घोड़े
- वैदिक साहित्य में रथ, घोड़े, और अश्वमेध यज्ञ का अत्यधिक वर्णन है।
- हड़प्पा में घोड़ों के प्रमाण नगण्य हैं, जबकि वैदिक संस्कृति में यह केंद्रीय भूमिका में है।
📖 साहित्य
- ऋग्वेद की रचना इस काल में हुई – यह विश्व की सबसे प्राचीन ग्रंथों में से एक है।
- बाद में यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की रचना हुई।
👨👩👦 समाज व्यवस्था
- चार वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) का प्रारंभिक आधार।
- परिवार और गौ-पालन आधारित समाज।
3. पेंटेड ग्रे वेयर संस्कृति (PGW Culture: 1200–600 BCE)
यह संस्कृति उत्तर भारत (विशेषकर गंगा-यमुना क्षेत्र) में विकसित हुई और इसे अक्सर महाभारत काल से जोड़ा जाता है।
विशेषताएं:
- ग्रे रंग के चिकने बर्तन जिन पर काले चित्र बनाए गए हैं।
- छोटे, व्यवस्थित गांवों का निर्माण।
- कृषि और पशुपालन का मिश्रण।
- लोहे के औजारों का प्रारंभिक प्रयोग।
यह संस्कृति पूर्व वैदिक सभ्यता और महाजनपद युग के बीच की कड़ी मानी जाती है।
4. महाजनपद काल और प्रारंभिक राज्य व्यवस्था (600–300 BCE)
PGW संस्कृति के बाद भारत में महाजनपद स्थापित होने लगे।
प्रमुख महाजनपद:
- मगध
- कोशल
- कुरु
- पंचाल
- अवंति
विशेषताएं:
- शहरीकरण और प्रारंभिक राज्यों की स्थापना।
- व्यापार और सिक्कों का प्रयोग।
- बौद्ध और जैन धर्म का उदय।
इस समय बौद्ध धर्म और जैन धर्म के विचारों ने वैदिक परंपरा को चुनौती दी।
5. निष्कर्ष: सभ्यताओं का उत्तराधिकार या परिवर्तन?
हड़प्पा की नगर सभ्यता का पतन किसी एक घटना का परिणाम नहीं, बल्कि धीरे-धीरे होते परिवर्तनों की श्रृंखला थी। इसके पश्चात:
- उत्तर-हड़प्पा काल आया जो संक्रमण की अवस्था थी।
- इसके बाद वैदिक सभ्यता ने नया धार्मिक, भाषाई और सामाजिक आधार तैयार किया।
- फिर PGW संस्कृति और अंततः महाजनपद।
इसलिए, यह कहा जा सकता है कि:
हड़प्पा सभ्यता का उत्तराधिकारी कोई एक संस्कृति नहीं थी, बल्कि एक लंबी ऐतिहासिक प्रक्रिया में कई परतों के साथ नया भारत आकार ले रहा था—जिसमें आर्य, स्थानीय निवासी, और विभिन्न संस्कृतियाँ मिलकर आगे चलकर “भारत” नामक सभ्यता का आधार बनीं।
महत्वपूर्ण बात: हिंदू धर्म का विकास एक निरंतर प्रक्रिया
- हड़प्पा: प्रकृति पूजा, मातृदेवी, योग की झलक, परंतु कोई विशिष्ट देवता नहीं।
- वैदिक काल: अग्नि, इंद्र, वरुण की स्तुति; यज्ञ और ऋचाएँ।
- बाद का काल: पुराणों का लेखन, शिव, विष्णु, राम, कृष्ण की आराधना; मंदिर और मूर्तिपूजा।
अतः वर्तमान हिंदू धर्म, हड़प्पा, वैदिक, बौद्ध, जैन, और पुराणिक परंपराओं का सम्मिलित विकास है—एक सतत सांस्कृतिक संक्रमण का परिणाम, ना कि कोई एक धर्म की एकरूप स्थापना।